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कैंसर से अब डरना नहीं, लड़ना है

कोई शख्स कैंसर से पीड़ित है, यह जानकर आम तौर पर रोगी के साथ उसके परिजनों के दिमाग में अचानक दहशत हावी हो जाती है। यह सही है कि समय रहते इस रोग का समुचित इलाज न होने पर यह जानलेवा बन सकता है, लेकिन मेडिकल साइंस में हुई तरक्की के कारण अब विभिन्न प्रकार के कैंसर से ड

By Edited By: Published: Tue, 04 Feb 2014 11:20 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2014 11:20 AM (IST)
कैंसर से अब डरना नहीं, लड़ना है

कोई शख्स कैंसर से पीड़ित है, यह जानकर आम तौर पर रोगी के साथ उसके परिजनों के दिमाग में अचानक दहशत हावी हो जाती है। यह सही है कि समय रहते इस रोग का समुचित इलाज न होने पर यह जानलेवा बन सकता है, लेकिन मेडिकल साइंस में हुई तरक्की के कारण अब विभिन्न प्रकार के कैंसर से डरने की जरूरत नहीं..

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कैंसर क्या है

सहज शब्दों में कहें, तो कैंसर शरीर में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का एक समूह है। कैंसर शरीर के अंग विशेष से अन्य भागों में भी फैल सकता है। अगर शरीर में तेजी से बढ़ने वाली कोई गांठ हैं, तो वह कैंसर हो सकती है। वहीं जो गांठ तेजी से नहीं बढ़ती, उसमें कैंसर होने की आशंका कम होती है। मस्तिष्क में तेजी से बढ़ने वाली गांठें ट्यूमर कहलाती हैं। ध्यान दें कि हर गांठ कैंसर नहीं होती।

नई तकनीकों का जवाब नहीं

कैंसर रोग की पहचान (डायग्नोसिस) और अवस्था (स्टेज) का पता करने के लिए पैट सीटी स्कैन अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। बॉयोप्सी जांच से भी कैंसर का पता चलता है, लेकिन पैट सीटी परीक्षण से शरीर के किसी भी अंग में (मस्तिष्क को छोड़कर) कैंसर का सटीक पता लगाया जा सकता है। वस्तुत: दिमाग के कैंसरग्रस्त भाग के परीक्षण में एमआरआई परीक्षण अधिक कारगर सिद्ध हुआ है।

कई रोगों की जांच में कारगर

पैट सीटी स्कैन लिम्फोमा, फेफड़े के कैंसर, खाने की नली के कैंसर और गर्भाशय के मुख के कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) का पता लगाने के लिए एक सटीक व प्रमुख जांच है। इससे कैंसर पीड़ित व्यक्ति के रोग की वास्तविक अवस्था का पता लग जाता है और सही इलाज की दिशा मिल जाती है। इलाज के बाद इस जांच के द्वारा यह भी पता चल जाता है कि कैंसर के अंश शरीर में हैं या नहीं। इस जांच से कैंसरग्रस्त भाग के 5 मि.मी. तक की स्थिति का पता चल जाता है।

साइबर नाइफ

इसेदुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश में अनेक लोग कैंसर की तीसरी व चौथी अवस्था के दौरान अस्पतालों में इलाज के लिये पहुंचते हैं। साइबर नाइफ एक आधुनिकतम तकनीक है, जिसके प्रयोग से बेहोश किए बगैर कैंसर का निदान किया जाता है। वस्तुत: साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी का एक अत्यंत कारगर 'टारगेट सिस्टम' है, जिसमें रोगी के शरीर के प्रभावित अंग पर सर्जरी किए बगैर कैंसर का इलाज संभव है। साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, फेफड़ों, पैनक्रियास और गुर्दे के कैंसर के इलाज में सफल साबित हुई है। इसके अलावा मुख व गले का कैंसर अगर दोबारा हो जाएं, तो साइबर नाइफ के जरिये उनका इलाज भी संभव है।

भविष्य की आशा है प्रोटॉन थेरेपी

विकिरण चिकित्सा(रेडिएशन थेरेपी) कैंसर पर विजय पाने के लिये इलाज का एक अभिन्न अंग है। विकसित पाश्चात्य देशों में प्रोटॉन थेरेपी द्वारा विकिरण चिकित्सा कैंसर के इलाज में चंद दशकों से प्रचलन में है। इस तकनीक के इलाज से विकिरण ऊर्जा कैंसरग्रस्त भाग में ही डिपॉजिट की जाती है। इसके परिणामस्वरूप कैंसरग्रस्त भाग के आसपास स्थित अन्य स्वस्थ सामान्य ऊतक (नॉर्मल टिश्यू) पूरी तरह से बचा लिये जाते हैं।

बच्चों में होने वाले कैंसर और खोपड़ी (स्कल)में होने वाले कैंसर (जो सर्जरी से ठीक नहीं हो सकते है) के मामलों में भी प्रोटॉन थेरेपी काफी कारगर सिद्ध हुई है। इस थेरेपी के जरिये ऐसे 80 से 90 प्रतिशत कैंसर खत्म किये जा सकते हैं। प्रोटॉन थेरेपी एक ऐसा सटीक इलाज है, जिसमें विकिरण चिकित्सा से होने वाले दुष्प्रभाव नहीं होते। अभी प्रोटान थेरेपी देश में उपलब्ध नहीं है, लेकिन निकट भविष्य में देश के चुनिंदा अस्पतालों में इस थेरेपी की सुविधा उपलब्ध हो सकती है।

(डॉ. तेजिंदर कटारिया, प्रमुख: रेडिएशन ऑनकोलॉजी, मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव)

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