अब प्रोस्टेट कैंसर का इलाज हुआ आसान
अखरोट के आकार की प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में पेशाब की थैली के नीचे स्थित होती है। यह ग्रंथि कुछ ऐसे पदार्थ(फैक्टर्स)पैदा करती है, जिनसे प्रजनन क्रिया में मदद मिलती है। प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसकी चपेट में सामान्यत: 50 की उम्र पार कर चुके लोगों के आने का खतरा सबसे
अखरोट के आकार की प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में पेशाब की थैली के नीचे स्थित होती है। यह ग्रंथि कुछ ऐसे पदार्थ(फैक्टर्स)पैदा करती है, जिनसे प्रजनन क्रिया में मदद मिलती है। प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसकी चपेट में सामान्यत: 50 की उम्र पार कर चुके लोगों के आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसा नहीं है कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज उपलब्ध नहीं है। अगर वक्त रहते रोग का पता चल जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। बहरहाल, मेडिकल डायग्नोसिस के क्षेत्र में हुई प्रगति ने इस कैंसर के इलाज की प्रक्रिया को कहीं ज्यादा कारगर बना दिया है। बॉयोप्सी की नई तकनीक से यह बात सुनिश्चित की जाती है कि अमुक रोगी का इलाज किस प्रकार होना है। इस तकनीक से प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी को न सिर्फ बेहद सुरक्षित बना दिया है, बल्कि इसके इलाज में भी किसी खामी की आशंका नहीं रह गयी है।
क्या है नई तकनीक
बॉयोप्सी से पहले प्रोस्टेट कैंसर के रोगी को पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन) रक्त जांच करवानी पड़ती है। इस जांच के बाद ही प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। अगर पीएसए का स्तर अधिक है, तो प्रोस्टेट कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इस बीमारी का शुरुआती दौर में ही पता करने के लिए यह जांच बेहद कारगर है क्योंकि इस जांच के द्वारा बीमारी के लक्षणों से पहले ही उसका पता चल जाता है। अगर आपकी प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हुई है या फिर सख्त हो गई तो डॉक्टर बॉयोप्सी की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में प्रोस्टेट ग्रंथि से टिश्यू निकालकर उसकी जांच करने के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए यह बेहद जरूरी है कि बॉयोप्सी ठीक से होनी चाहिए। अगर बॉयोप्सी में खामी रह गयी तो इलाज में गड़बड़ी हो सकती है। कलर डॉप्लर थ्री डी मैपिंग(विद कंट्रास्ट) की तकनीक इस क्षेत्र में सबसे आधुनिक मानी जाती है। अगर इस विधि से बॉयोप्सी होती है तो सटीक इलाज की संभावना बढ़ जाती है।
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क्यों होता है यह रोग
बढ़ती उम्र, आनुवांशिक कारण और हार्मोनों के अनियंत्रित प्रभाव को प्रोस्टेट कैंसर की मुख्य वजह माना जाता है।
रोग होने के आसार
-बार-बार पेशाब आना। पेशाब करने में ताकत लगाना।
-पेशाब देर से होना या फिर रुक-रुक कर होना।
-पेशाब कर लेने के बाद भी बूंद-बूंद टपकना।
-पेशाब धीरे-धीरे होना और पेशाब होने में रुकावट होना।
-पेशाब या वीर्य में रक्त का आना।
-प्रोस्टेट कैंसर बढ़ जाने की स्थिति में कमर के निचले हिस्से या पेल्विस बोंस में दर्द होता है।
(डॉ.विनीत मल्होत्रा नई दिल्ली)
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