'गर्भावस्था में गलत दवाई लेने से हो सकता है बच्चे के दिल में छेद'
भोपाल। 'गर्भावस्था में दवाइयों का सेवन समझदारी से डॉक्टर की सलाह पर ही करें। गलत दवा गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल में छेद का कारण बन सकती है। मिर्गी के इलाज में काम आने वाली दवा वेलपोरिक एसिड दवाई जन्मजात दिल में छेद होने का एक बडा कारण
भोपाल। 'गर्भावस्था में दवाइयों का सेवन समझदारी से डॉक्टर की सलाह पर ही करें। गलत दवा गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल में छेद का कारण बन सकती है। मिर्गी के इलाज में काम आने वाली दवा वेलपोरिक एसिड दवाई जन्मजात दिल में छेद होने का एक बडा कारण है।'
यह जानकारी एलएन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जेके हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. एचके पांडे ने दी। डॉ.पांडे ने बताया कि हृदय में छेद की बीमारियां प्रत्येक एक हजार पर 8 बच्चों को होती हैं। यह जन्मजात बीमारी है। इसकी ब़$डी वजहों में गर्भावस्था में गलत दवा का सेवन, जेनेटिक प्रभाव आदि प्रमुख हैं। वर्तमान में सर्जरी के अलावा डिवाइज लगाकर भी इस बीमारी का इलाज हो रहा है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जीसी गौतम ने बताया कि पहले हृदय में छेद का इलाज सिर्फ सर्जरी थी, लेकिन अब डिवाइस लगाकर छेद को बंद कर दिया जाता है। इसका प्रभाव बहुत अच्छा है। शरीर पर कटने-चिरने के निशान भी नहीं रहते।
यह लक्षण देखें
डॉ.ने बताया कि हृदय में छेद वाले दो तरह के मरीज होते हैं। एक प्रकार के मरीजों के शरीर की अंगुलियां व होंठ नीले पड़ जाते हैं। इन्हें ब्लू बेबी भी कहा जाता है। अगर किसी मरीज में यह लक्षण नहीं हो तो दूसरे लक्षणों से इस बीमारी को समझा जाता है। जैसे हमेशा सर्दी जुकाम बना रहना, निमोनिया होना, वजन नहीं बढऩा, मां का दूध पीते समय माथे पर पसीना आना, कम दूध पीना व सांस फूलना आदि। इन लक्षणों के होने पर कार्डियोलॉस्टि को दिखाएं। सरकार 14 साल तक के बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवाती है।
लाइव प्रदर्शन 8 नवंबर को
डॉ. आनंद यादव ने बताया कि प्रदेश के चिकित्सकों के लिए हार्ट सर्जरी एवं डिवाइज लगाने की तकनीक का प्रदर्शन एलएन मेडिकल कॉलेज के जेके अस्पताल में 8 नवंबर को किया जाएगा। हार्ट सर्जरी ओटी में होगी और डिवाइस केथ लैब में लगाई जाएंगी। इनका लाइव टेलीकास्ट ऑडिटोरियम में बैठे लोग देख सकेंगे।
राजधानी में भी संभव
प्रदेश के सबसे अच्छे कार्डियक सर्जन्स में शुमार और अब तक 6 हजार से ज्यादा ओपन हार्ट सर्जरी कर चुके डॉ. एचके पांडे का कहना है कि अगर किसी ब्रेन डेड व्यक्ति का हृदय मिले तो राजधानी में भी हृदय प्रत्यारोपण किया जा सकता है। डॉ. पांडे ने बताया कि हमारे पास वे सारी सुविधाएं हैं, जो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी होती हैं, लेकिन लोगों में आर्गन डोनेशन के प्रति जागरूकता नहीं है इसलिए हृदय नहीं मिल पाते हैं। डॉ. पांडे ने बताया कि जब हार्ट बहुत कमजोर हो जाए तब हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।