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अनियंत्रित डाइबिटीज काबू करना आपके हाथ

मधुमेह के बारे में पता चलते ही रक्त शर्करा (ब्लड शुगर)को नियंत्रण में रखें। दवा समय से लें और समय-समय पर अपने डॉक्टर से जांच करवाएं। मधुमेह को नियंत्रण में रखने से आप इसकी जटिलताओं (कॉम्पलीकेशंस) से बचाव कर सकते हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2016 04:14 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2016 04:18 PM (IST)
अनियंत्रित डाइबिटीज काबू करना आपके हाथ

मधुमेह के अनियंत्रित होने से लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर लगातार उच्च (हाई) होने से हृदय और रक्त वाहिनियां (ब्लडवेसेल्स), आंखें, गुर्दे, नसों (नव्र्स) और दांतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो कालांतर में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

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इसके अलावा मधुमेह से ग्रस्त लोगों में संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है। अनियंत्रित मधुमेह हृदय रोग, अंधापन, गुर्दे के रोग और अन्य

समस्याओं का प्रमुख कारण है। ब्लड शुगर के स्तर, रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) और कॉलेस्टेरॉल को सामान्य रखने से मधुमेह से होने वाले दुष्परिणामों

से बचाव कर सकते हैं। अनियंत्रित मधुमेह के कुछ दुष्परिणाम ऐसे होते हैं जो धीरे-धीरे सामने आते हैं। जैसे किडनी का रोग आदि। आइए जानते हैं मधुमेह से संबंधित कुछ जटिलताओं को...

हाइपोग्लाइसीमिया

इसका आशय है-रक्त शर्करा का 60 से 70 एमजी/ डीएल से कम हो जाना। हाइपोग्लासीमिया का मुख्य कारण समय से खाना न खाना, जरूरत से अधिक दवाएं लेना या इंसुलिन लेना, अचानकव्यायाम बढ़ाना या अधिक मात्रा में शराब पीना हाइपोग्लाइसीमिया होने के कुछ मुख्य कारण हैं।

लक्षण- चक्कर आना, अचानक पसीना होना, दिल की धड़कन तेज होना, कमजोरी और हाथ-पैरों का कांपना हाइपोग्लासीमिया के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षणों के नजर आने पर शीघ्र ही चीनी, शहद या जूस का सेवन करना चाहिए। अगर हो सके, तो शुगर की जांच ग्लूकोमीटर से करें। बेहोशी की स्थिति में पीडि़त को नजदीकी अस्पताल ले जाएं।

सबसे महत्वपूर्ण है हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव, जिसके लिए रोगी को हमेशा आहार समय पर खाना चाहिए।

डाइबिटिक न्यूरोपैथी

लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड शुगर के कारण होने वाली यह एक गंभीर समस्या है।

हाई ब्लड शुगर से शरीर की नसें प्रभावित हो जाती हैं।

लक्षण- हाथ-पैरों में दर्द, पैरों में सुइयां चुभना, हाथों और पैरों में चीटियां चलने जैसा अहसास

होना आदि डाइबिटिक न्यूरोपैथी के लक्षण हैं। मधुमेह के लगभग 50 प्रतिशत रोगियों

में न्यूरोपैथी की समस्या पायी जाती है। शुगर को नियंत्रित करने से न्यूरोपैथी से बचाव

संभव है।

डाइबिटिक फुट

अनियंत्रित मधुमेह से पैरों की रक्त वाहिनियों में रक्त संचरण (ब्लड सर्कुलेशन) में कमी आ

जाती है। ऐसी स्थिति में पैर में लगी छोटी चोट संक्रमण के कारण ठीक नहीं होती। पैर में अल्सर

का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह वालों को पैरों का खास ध्यान रखना चाहिए। कभी भी जूता

पहने बगैर नहीं चलना चाहिए। हीटर के करीब अपने पैरों को नहीं लाना चाहिए।

डाइबिटीज कीटोएसिडोसिस

यह जटिलता इंसुलिन हार्मोन की अत्यधिक कमी के कारण उत्पन्न होती है। रोगी को तुरंत

इंसुलिन और आई.वी. फ्ल्यूड न मिलने से स्थिति गंभीर हो सकती है।

लक्षण- अत्यधिक प्यास लगना, ज्यादा पेशाब आना, मुंह सूखना, पेट दर्द और उल्टी

आना मधुमेह कीटोएसिडोसिस के कुछ प्रमुख लक्षण हैं। इस स्थिति से बचने के लिए कभी

भी अपनी दवा न छोड़ें। जो लोग इंसुलिन लेते हैं, वे इसे नियमित तौर पर लें।

डाइबिटिक रेटिनोपैथी

यह आंखों को प्रभावित करने वाली अनियंत्रित मधुमेह की एक जटिलता है। डाइबिटिक रेटिनोपैथी रेटिना को पोषण प्रदान करने वाली छोटी रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) को नुकसान पहुंचने से होता है। मधुमेह वालों को साल में एक बार आंख की जांच किसी नेत्र विशेषज्ञ से जरूर करवानी चाहिए।

हृदय रोग

मधुमेह वालों को हृदय रोग होने का खतरा सामान्य लोगों से अधिक होता है। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), हाई कोलेस्टेरॉल और हाई ब्लड ग्लूकोज कालांतर में हृदय रोग का कारण बन सकते हैं।

अगर माता-पिता में किसी को हृदय रोग का

इतिहास रहा हो, तो हृदय रोग होने की संभावना अधिक हो जाती है। ब्लड शुगर की मात्रा अधिक होने के कारण रक्त धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं, परन्तु यह प्रक्रिया धीरे धीरे होती है। हृदय रोग से बचाव के लिए खून पतला करने की और कॉलेस्टेरॉल को कम करने की दवाएं मधुमेह के साथ जी रहे लोगों को दी जाती हैं। इसके अलावा हमें रक्त शर्करा ब्लडप्रेशर, कॉलेस्टेरॉल और वजन को नियंत्रण में रखना चाहिए। धूम्रपान से बचें।

डाइबिटिक नेफ्रोपैथी

इस समस्या में किडनी की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को उच्च रक्तचाप और ब्लड शुगर की मात्रा अधिक होने से क्षति पहुंचती है। इस तरह से धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।

लक्षण- पेशाब में प्रोटीन आना डाइबिटिक नेफ्रोपैथी या फिर किडनी के खराब होने का पहला

लक्षण है। मधुमेह और रक्तचाप को नियंत्रित रखना किडनी रोग से बचने का मूल मंत्र है। रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए नमक का सेवन मधुमेह वालों को कम से कम करना चाहिए और हाई ब्लडप्रेशर की दवाएं नियमित रूप से लेना चाहिए।

डॉ.अंबरीश मित्तल सीनियर इंडोक्राइनोलॉजिस्ट

मेदांत दि मेडिसिटी, गुडग़ांव


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