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हारेगा टाइफाइड

टाइफाइड बुखार हर मौसम में लोगों को संक्रमित कर सकता है, किंतु गर्मियों के मौसम की शुरुआत होते ही इस रोग के मामले बढऩे लगते हैं। इस रोग की रोकथाम और इलाज क्या है...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2015 01:00 PM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2015 01:09 PM (IST)
हारेगा टाइफाइड

टाइफाइड बुखार हर मौसम में लोगों को संक्रमित कर सकता है, किंतु गर्मियों के मौसम की शुरुआत होते ही इस रोग के मामले बढऩे लगते हैं। इस रोग की रोकथाम और इलाज क्या है...

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साल्मोनेला टायफी या साल्मोनेला पैराटायफी नामक बैक्टीरिया द्वारा संक्रमित होना टाइफाइड रोग का प्रमुख कारण है। मानव ही इसका संवाहक है। दूषित वातावरण और खराब सफाई व्यवस्था इस बीमारी को फैलाती है। इसके कारक जीवाणु संवाहक के मल द्वारा विसर्जित होकर पीने के पानी व खाने की चीजों को दूषित कर अन्य लोगों को संक्रमित कर देते हैं। भारत, पाकिस्तान और ईजिप्ट की सीवेज व्यवस्था ठीक न होने की वजह से इन देशों में टाइफाइड दुनिया में सबसे ज्यादा होता है।

छोटी आंत और फिर रक्त की धारा में प्रवाहित होकर बैक्टीरिया लिवर, तिल्ली और रक्त मज्जा में आगे पनपता है। इस स्थिति के बाद ही बुखार व अन्य लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो हफ्ता लग जाता है, जिसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं। बैक्टीरिया दोबारा रक्त में प्रवाहित होकर पित्त की थैली, लिवर और आंतों पर धावा बोल देता है और मरीज के मल से विसर्जित होने लगता है।

लक्षण

- मर्ज की शुरुआत सिरदर्द, कमजोरी और फिर धीरे-धीरे बढ़ते बुखार से होती है। जो कुछ ही दिनों मे 104 डिग्री फॉरेनहाइट तक पहुंच सकता है।

- पीडि़त मरीज को भूख कम लगती है।

- पेट दर्द और कभी-कभी डायरिया की समस्या हो सकती है।

- कुछ मरीजों मे खांसी भी आ सकती है। बुखार तेजी पर पहुंच कर स्थिर हो जाता है और 3 से 4 हफ्ते में स्वत: चला जाता है, लेकिन इलाज होने पर जल्दी ठीक हो सकता है।

जांचें

अनुभवी डॉक्टर टाइफाइड बुखार को लक्षणों से ही पहचान लेते हैं, पर बीमारी की पुष्टि करने के लिए आम तौर पर विडाल टेस्ट किया जाता है, जो बुखार के एक सप्ताह के उपरांत ही पॉजिटिव आता है। एक सप्ताह से पहले किया विडाल टेस्ट बेकार होता है। विडाल टेस्ट अन्य बहुत सी बीमारियो में पॉजिटिव आ सकता है परन्तु दोबारा किये जाने पर बढ़ता हुआ टाइटर अधिक विश्वसनीय होता है। प्रथम सप्ताह में रक्त का कल्चर भी विश्वसनीय

जांच है। मल में साल्मोनेला का कल्चर भी किया जा सकता है।

इलाज

इस रोग का उपचार एंटीबॉयोटिक्स द्वारा सरलता से हो सकता है, बशर्ते समय पर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाए। अब सुरक्षित व कारगर एंटीबॉयोटिक्स के उपलब्ध होने पर यह रोग शीघ्र ही दूर हो जाता है।

इलाज के बाद बुखार

जाने में 5 से 7 दिन तक लग सकते है पर मरीज को अंदर से तबियत में सुधार होता महसूस होता है। बुखार ठीक हो जाने पर भी एंटीबायोटिक्स का कोर्स 10 से 14 दिनों तक अवश्य पूरा करना चाहिए। बुखार ठीक हो जाता है, परन्तु यह रोग रिलैप्स यानी दोबारा हो सकता है। शुरू के दिनों मे एंटीबॉयोटिक्स ग्लूकोज के सहारे नस द्वारा भी दी जा सकती है।

रोकथाम

टाइफाइड से विश्व में प्रतिवर्ष करोड़ों लोग ग्रस्त होते है और करीब दो लाख लोग मर जाते हैं। टाइफाइड से बचने के लिए देश की संपूर्ण सेनिटेशन व्यवस्था और सीवेज सिस्टम को ठीक करना पड़ेगा। इसके अलावा टाइफाइड का टीका दो वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक तीन साल पर गर्मी शुरू होने के पहले ही लगवा लेना चाहिए। सुरक्षित जल और हाथ धोने की आदत इस बीमारी को बहुत हद तक रोक सकती है। क्योंकि खाने-पीने का सामान तैयार करने वालों को अपनी हाइजीन (स्वच्छता ) पर ध्यान देना होगा। बेहतर होगा की गर्मी के मौसम में घर का बना ताजा खाना खाएं।

डॉ. निखिल गुप्ता

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ

nikhilgupta1155@gmail.com

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