बचिए हीनभावना से
स्वाभिमान निर्भर करता है उच्च विचारों, भावनाओं, निर्णय क्षमता और सकारात्मक सोच पर इनका अभाव बनाता है हीनभावना का शिकार, टिप्स कानपुर की पर्सनॉलिटी, रिलेशनशिप एंड सॉफ्ट स्किल ट्रेनर डॉ. रूबी चावला के...
असफलता दिलाती सफलता
अगर आप यह समझती हैं कि जीवन में सब कुछ हमारे अनुकूल रहे तो यह सबसे बड़ी भूल है। लक्ष्य या कार्ययोजना में असफल होने का अर्थ यह नहीं है कि आपमें उसे करने की क्षमता नहीं है। असफल होने पर गलतियों की समीक्षा करें और इस बात को दृढ़विश्वास के साथ स्वीकारें कि जो क्षमता सफल लोगों में है, वह आपमें भी है और अगले प्रयास में सफलता आपके सम्मुख होगी।
जारी रखिए कोशिश
कोई भी मुकाम हासिल करने से पहले जरूरी है हीनभावना से उबरना। आप एक्टिंग के लिए ऑडीशन देने जाती हैं और पहले से ही यह तय कर लेती हैं कि कोई न कोई रोल तो मिल ही सकता है तो मान लीजिए कि लीड रोल किसी दूसरे के खाते में जाएगा। क्योंकि आप हीनता की वशीभूत होकर पहले ही तय कर चुकी हैं कि जो मिलेगा वह ही काफी होगा और मेरा लीड रोल में सेलेक्शन नहीं होगा। इसीलिए जो मिलेगा वही स्वीकार कर लूंगी। यह खुद के आत्मविश्वास से धोखा है। हमेशा साहस के साथ लक्ष्य पर निगाह रखिए और आगे बढऩे की कोशिश जारी रखिए।
गलतियों को स्वीकारें
गलती किसी से भी हो सकती है, आप कोई विशेष नहीं हैं कि इससे बच जाएंगी। गलती होने पर कभी उसे मन में हावी न होने दें, बल्कि इस बात पर फोकस करें कि मैं अब जो करने जा रही हूं, उसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। गलती को दिमाग में जगह देने से भी हीनभावना आती है। इसलिए इसकी पुनरावृत्ति से बचिए।
हमेशा बड़ा सोचिए
अपनी सोच को विस्तार दीजिए। हमेशा बड़ा सोचिए। इस धारणा से उबरिए कि कुछ तो हासिल हो ही जाएगा। जब आप बड़े सपने को साकार करने की कोशिश करेंगी तो बतौर सफलता कुछ न कुछ ऐसा हाथ जरूर लगेगा, जो आपके लिए काफी होगा। छोटी सोच भी हीनभावना को उपजाने का बड़ा कारण है।