ठंडे रहिए, स्वस्थ रहिए
ठंडे रहिए, स्वस्थ रहिए मेलबर्न। हाल ही में मेलबर्न में हुए एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि ठंडे वातावरण में रहने से आप स्वस्थ रह सकते हैं। ठंडा वातावरण ब्राउन फैट्स की वृद्धी को बढ़ावा देता है जो मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों से बचाता है। लोगों में ब्राउन फैट्स का घटना या बढ़ना उनके व्यापक वातावरण पर निर्भर करता है। जहां ठंडा वा
मेलबर्न। हाल ही में मेलबर्न में हुए एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि ठंडे वातावरण में रहने से आप स्वस्थ रह सकते हैं। ठंडा वातावरण ब्राउन फैट्स की वृद्धि को बढ़ावा देता है जो मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों से बचाता है। लोगों में ब्राउन फैट्स का घटना या बढ़ना उनके व्यापक वातावरण पर निर्भर करता है। जहां ठंडा वातावरण इन फैट्स को बढ़ावा देता है, वहीं गर्म वातावरण इन्हें नष्ट करता है।
पूर्व अध्ययनों में देखा गया है कि जिन लोगों में ब्राउन फैट्स की मात्रा अधिक होती है वे दुबले होने के साथ ही मंद रक्त शर्करा भी होता है।
ऑस्ट्रेलिया के गारवन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के एंडोक्राइनोलोजिस्ट पॉल ली ने कहा, 'अभी तक इस शोध से पहले यह अज्ञात था कि किसी मनुष्य में ब्राउन फैट्स की मात्रा को परिवर्तित किया जा सकता है या नहीं। हमने पाया कि शीत माह ब्राउन फैट्स को 30 से 40 फीसदी तक बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं ने पांच स्वस्थ व्यक्तियों को चार माह के निर्धारित तापमान में रखा जिसकी सीमा 19 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस तक रखी गयी। दिनभर सामान्य जीवन व्यतीत करने के बाद वे रात में 10 घंटे तापमान नियंत्रित कक्ष में रहते थे। इसमें पाया गया कि ग्रीष्म माह में ब्राउन फैट्स घटे और शीत माह में बढ़े।
'इंसुलिन संवेदनशीलता और ब्राउन फैट्स की बढ़ोतरी में सुधार क्षीण ग्लूकोज मेटाबोलिज्म के उपचार में कई नए आयाम खोलेगा। वहीं दूसरी ओर, समकालीन समाज में व्यापक गर्माहट से थोड़ी-बहुत ठंडक की कमी से ब्राउन फैट्स के निर्माण में क्षति आ सकती है एवं मोटापे और मेटाबौलिक गड़बडी़ में सहयोग कर सकता है।' पॉल ने बताया।
यह शोध 'डायबिटीज' नामक जर्नल में प्रकाशित की गयी।