Move to Jagran APP

हारमोन प्रतिरोधी ब्रेस्ट कैंसर की दवा ईजाद

अमेरिकी विज्ञानियों ने हारमोन प्रतिरोधी ब्रेस्ट कैंसर को रोकने वाले प्रभावशाली दवा का ईजाद किया है। इसके जरिये कैंसर सेल की वृद्धि को सफलतापूर्वक रोका जा सकता है। इस दवा का नाम पल्बोसिसलिब है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 23 Feb 2015 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 23 Feb 2015 05:48 PM (IST)
हारमोन प्रतिरोधी ब्रेस्ट कैंसर की दवा ईजाद

नई दिल्ली। अमेरिकी विज्ञानियों ने हारमोन प्रतिरोधी ब्रेस्ट कैंसर को रोकने वाले प्रभावशाली दवा का ईजाद किया है। इसके जरिये कैंसर सेल की वृद्धि को सफलतापूर्वक रोका जा सकता है। इस दवा का नाम पल्बोसिसलिब है।

loksabha election banner

यह दवा खासकर उन रोगियों के लिए काफी प्रभावशाली है जिनमें हाल में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता चला है और जिन्होंने तुरंत ही एंडोक्राइन थेरेपी शुरू की है। अमेरिकी दवा नियामक संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) इसे मंजूरी दे चुका है।

शोध में शामिल पेन्सिलवानिया विश्वविद्यालय की एंजेला डीमिशेल ने बताया कि एफडीए की मंजूरी मिलने से मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर के पीडि़तों को एक और विकल्प मिल जाएगा। वहीं, एक अन्य शोधकर्ता प्रोफेसर पीटर ओ-डॉयर ने बताया कि इस दवा का परीक्षण सफल रहा है।

नए न्यूरॉन हमें बनाते हैं परिस्थितियों के अनुकूल

मस्तिष्क में बनने वाले न्यूरॉन हमें पर्यावरण की विभिन्न परिस्थितियों के प्रति अनुकूल बनाते हैं। अमेरिका में नए शोध से इसका पता चला है। अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों ने बताया कि नए न्यूरॉन विशेष परिवेश में हिप्पोकैंपस (मस्तिष्क में स्थित जटिल न्यूरल संरचना) को दुरुस्त करता है। हिप्पोकैंपस दिमाग का वह हिस्सा है जो स्मरण और समझने की क्षमता को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रिंसटन विश्वविद्यालय की माया ओपनडैक ने बताया कि प्रौढ़ता के दौरान अस्तित्व में आने वाले नए न्यूरॉन किसी भी इंसान के व्यवहार के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। माया और उनकी सहयोगी एलिजाबेथ गुल्ड ने नए शोध के जरिये यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह एक वयस्क में पर्यावरण से जुड़ी परिस्थितियां नए न्यूरॉन के लिए जिम्मेदार है और कैसे ये न्यूरॉन इंसानों और जानवरों को नए परिवेश के प्रति अनुकूलित करने में मदद करता है।

तनाव के कारण हिप्पोकैंपस में ऐसे न्यूरॉन की संख्या में कमी आती है, जबकि तनाव रहित माहौल और शारीरिक श्रम से इसमें वृद्धि होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तनाव से प्रेरित न्यूरोजेनेसिस को हिप्पोकैंपस के क्षीण प्रदर्शन से जोड़ जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.