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हाई ब्लडप्रेशर हो जाएं होशियार

अगर उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से ग्रस्त व्यक्ति अपने ब्लडप्रेशर को दवाओं और जीवन-शैली में सकारात्मक परिवर्तन कर नियंत्रित रखते हैं, तो वे मस्तिष्क आघात (स्ट्रोक या ब्रेन अटैक) के खतरे से बच सकते हैं... आम तौर पर लोग अचानक होने वाले तेज सिरदर्द को हल्के में लेते हैं। वे सोचते हैं

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2015 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2015 01:27 PM (IST)
हाई ब्लडप्रेशर हो जाएं होशियार

अगर उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से ग्रस्त व्यक्ति अपने ब्लडप्रेशर को दवाओं और जीवन-शैली में सकारात्मक परिवर्तन कर नियंत्रित रखते हैं, तो वे मस्तिष्क आघात (स्ट्रोक या ब्रेन अटैक) के खतरे से बच सकते हैं...

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आम तौर पर लोग अचानक होने वाले तेज सिरदर्द को हल्के में लेते हैं। वे सोचते

हैं कि यह अपने-आप ठीक हो जाएगा।

ज्यादातर लोग ऐसे अनुभवों से गुजर भी चुके होंगे, लेकिन कई बार सिरदर्द का कारण आपके उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से भी हो सकता है। इस कारण स्ट्रोक या ब्रेन अटैक होने की आशंका बढ़ सकती

है। हो सकता है कि कई वर्षों पहले आपका रक्तचाप अनियमित रहा हो और अब

यह सिरदर्द के लक्षण के तौर पर सामने आया हो।

यही नहीं, अगर कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज या हाई कोलेस्टेरॉल की समस्या से

ग्रस्त है, तो उसे स्ट्रोक होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।

अन्य लक्षण

स्ट्रोक के कुछ प्रमुख लक्षण ये हैं...

- सिरदर्द के अलावा एक तरफ के हाथ-पैर में

कमजोरी महसूस करना।

- बोलने में या देखने में दिक्कत महसूस करना।

- चलने में संतुलन स्थापित न कर पाना।

खतरनाक स्थिति

उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक के बीच गहरा संबंध

है। जिस व्यक्ति का रक्तचाप जितना अधिक

होगा, उसमें स्ट्रोक होने की आशंका भी उतनी ही

अधिक हो सकती है। उच्च रक्तचाप के कारण

मरीज की रक्त नलिकाओं में सूजन आ सकती है,

जिसे एन्युरिज्म कहा जाता है। इस वजह से ब्रेन

हेमरेज का खतरा बढ़ जाता है।

कारण

जब आपके मस्तिष्क तक पहुंचने वाले रक्त की

आपूर्ति बाधित हो जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त नलिका अवरुद्ध हो जाती है, तो स्ट्रोक की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। रक्त के जरिये मस्तिष्क में आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है, जिससे हमारा मस्तिष्क सुचारु रूप से काम करता है, लेकिन उच्च रक्तचाप के कारण किसी जगह रक्त की आपूर्ति बाधित होने से

वहां की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और

यही स्थिति स्ट्रोक का भी कारण बनती है।

स्ट्रोक के लिए उच्च रक्तचाप एकमात्र सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है और ब्लॉकेज (इस्कीमिक स्ट्रोक) के कारण लगभग 50 प्रतिशत स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। इससे मस्तिष्क

में रक्तस्राव का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसे

हेमरेजिक स्ट्रोक (मस्तिष्क में रक्तस्राव) कहा जाता है।

हालांकि उच्च रक्तचाप के कारण हार्ट अटैक और

अन्य अंगों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा बढ़

सकता है। उच्च रक्तचाप का असर मस्तिष्क

सहित शरीर की सभी रक्त नलिकाओं पर पड़ता

है। यही वजह है कि इस दौरान रक्त संचार

को सुचारु रखने के लिए आपके दिल को

ज्यादा कड़ी मेहनत करनी पड़ जाती है। रक्त

कोशिकाओं की इस तनावपूर्ण स्थिति में कुछ

कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होकर सख्त और संकीर्ण हो जाती हैं। ऐसी स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।

इससे ब्लॉकेज की आशंका बढ़ जाती है और फिर इससे स्ट्रोक या ट्रान्सिएंट इस्कीमिक अटैक

संक्षेप में टीआईए (जिसे मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है) भी हो सकता है।

डॉ.विपुल गुप्ता

इंटरवेंशनल न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट

मेदांता दि मेडिसिटी, गुडगांव


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