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लू और अन्य रोगों से न हों लस्त

उत्तर भारत के अधिकतर भागों में गर्मी के प्रकोप ने अंगडाई लेना शुरू कर दिया है। हर मौसम की अपनी-अपनी खूबियां और खामियां होती हैं। गर्मियों का मौसम कुछ बीमारियों को भी बुलावा देता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप इस मौसम में भी स्वस्थ व सदाबहार बने रह सकते

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 12 May 2015 03:05 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2015 03:08 PM (IST)
लू और अन्य रोगों से न हों लस्त

उत्तर भारत के अधिकतर भागों में गर्मी के प्रकोप ने अंगडाई लेना शुरू कर दिया है। हर मौसम की अपनी-अपनी खूबियां और खामियां होती हैं। गर्मियों का मौसम कुछ बीमारियों को भी बुलावा देता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप इस मौसम में भी स्वस्थ व सदाबहार बने रह सकते हैं...

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हर मौसम अपने साथ बदलाव लेकर आता है, जिसका प्रभाव अच्छा और कभी बुरा भी हो सकता है। आम तौर पर इस मौसम में लू लगने के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आते हैं। इसके अलावा अशुद्ध खाद्य व पेय पदार्र्थों को लेने के कारण फूडप्वॉइजनिंग के मामले भी बढ़ जाते हैं। इसी तरह फोड़े फुंसियों की समस्या और पेशाब में संक्रमण के मामले भी गर्मियों में बढ़ जाते हैं।

1. हीट स्ट्रोक (लू लगना)

लापरवाही बरतने पर लू लगने की समस्या हल्की से गंभीर रूप अख्तियार कर सकती है।

कारण: तेज धूप में बाहर जाना, शरीर में पानी की कमी का होना। अत्यधिक गर्मी के चलते

शरीर अपने तापमान को नियंत्रित कर पाने में विफल रहता है।

इलाज

विभिन्न लक्षणों के अनुसार डॉक्टर लू से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज करते हैं। जैसे बुखार तेज

होने पर पैरासीटामॉल की टैब्लेट दी जाती है। इन सलाहों पर भी अमल करें...

-रोगी को तुरंत गर्म जगह से दूर किसी ठंडे

स्थान पर ले जाएं।

-ठंडे पानी की पट्टी करके शरीर के तापमान को

कम करें या पीडि़त व्यक्ति को ठंडे पानी से

नहला दें।

-रोगी होश में है, तो तरल पदार्थ पीने को दें।

बचाव

1. छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोगों को लू लगने का

खतरा ज्यादा होता है। उनका खास ख्याल रखें।

2. जब तक जरूरी न हो, तब तक गर्मियों में

सुबह 11 बजे से सायंकाल 4 बजे के बीच बाहर

न जाएं।

3. हल्के रंग के खुले सूती कपड़े पहनें।

5. चाय कॉफी और शराब का सेवन न करें।

4. तरल पदार्र्थों में जैसे पानी, नीबू-पानी, सत्तू,

नारियल पानी, लस्सी आदि का सेवन ज्यादा करें। 6. हृदय और गुर्दा रोगी अपने डॉक्टर से मिलें

और मौसम के अनुसार अपनी दवा और खाने-

पीने से संबंधित जानकारी मौसम की शुरुआत

में ही कर लें।

7. धूप में ज्यादा शारीरिक कार्य न करें।

2. दूषित पानी व खाद्य पदार्थ

गर्मियों में हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस ई

के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह

संक्रमण दूषित पानी व खाद्य वस्तुओं को लेने से

होता है।

लक्षण

उल्टी, दस्त, बुखार, पेट में दर्द, पेशाब का कुछ

ज्यादा ही पीला होना। इसके अलावा पेशाब कम

होना, शरीर में पानी की कमी, दस्त में खून व

आंव आने की समस्या भी विभिन्न लक्षणों के तौर

पर सामने आती है।

कारण

गर्मियों में कुछ जीवाणु और वाइरस तापमान के

बढऩे से तेजी से बढऩे लग जाते हैं।

उपचार

- रोगी को घर में बने तरल पदार्थों का सेवन

करवाएं।

- हल्का भोजन दें।

- बुखार और दर्द आदि को दूर करने के लिए

पैरासीटामॉल नामक दवा ले सकते हैं।

- रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं और

सलाह लें।

बचाव

- सुरक्षित जल और भोजन का सेवन करें। यदि

पानी साफ न हो, तो उसे उबालकर ठंडा कर लें।

-बाहर के कटे फल, जूस आदि न पिएं।

- पुराना खाना (बासी भोजन या स्टेल फूड्स)

न खाएं। खाना जरूरत के अनुसार ताजा पकाएं

और तुरंत खाएं या उसे सही प्रकार से रेफ्रिजरेटर

में सुरक्षित स्टोर करें।

-खाना खाने और पकाने से पहले हाथ धोएं।

3. फोड़े-फुन्सियां

यह एक प्रकार का त्वचा का संक्रमण है, जो गर्मी

और पसीने से बढ़ जाता है। इलाज के लिए

डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर की सलाह के बगैर

एंटीबॉयोटिक का उपयोग उचित नहीं है।

बचाव के लिए: साफ-सफाई पर ध्यान दें। सूती

और खुले कपड़े पहनें, रोज स्नान करें, हाथ धोएं

और अपने नाखून समय पर काटें। नाक में उंगली

न डालें।

4. पेशाब में संक्रमण

बैक्टेरिया की वजह से और कम पानी पीने के

कारण पेशाब में संक्रमण हो सकता है।

लक्षण

बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन होना,

पेशाब में खून आना और पेशाब में रुकावट।

इलाज

पेशाब में संकमण की सही जानकारी के लिए

डॉक्टर की सलाह से पेशाब से संबंधित जांचें

कराएं। तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा

मात्रा में करें। इन सब संक्रमणों के अलावा भी

कई तरह के और संक्रमण भी गर्मियों में ज्यादा

होते हैं। जैसे चिकनपॉक्स, हैजा और वायरल

फीवर आदि। अगर हम सावधानियां बरतें तो गर्मी

हो जाएगी और भी खुशियों भरी।

डॉ. सुशीला कटारिया फिजीशियन

मेदांत दि मेडिसिटी, गुडग़ांव


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