डाइबिटीज के हमले से दिल को बचाइए
मधुमेह कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। मधुमेह वालों में उच्च रक्त चाप (हाई ब्लडप्रेशर) की समस्या भी अधिक होती है।
मधुमेह (डाइबिटीज) की समस्या अनियंत्रित होने की स्थिति में कई बीमारियों को बुलावा देती है। इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सात अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम को मधुमेह पर केंद्रित किया है। आइए जानते हैं, मधुमेह के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कैसे दूर किया जा सकता है...
मधुमेह कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। मधुमेह वालों में उच्च रक्त चाप (हाई ब्लडप्रेशर) की समस्या भी अधिक होती है। आम लोगों की तुलना में मधुमेह रोगियों में यह समस्या दोगुनी होती है। मधुमेह के साथ अगर कोई व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त हो, तो हाई ब्लडप्रेशर का खतरा और अधिक हो जाता है।
अनियंत्रित स्थिति में मधुमेह कालांतर में आंखों की समस्या (डाइबिटिक रेटिनोपैथी), किडनी से संबंधित
समस्या और गैंगरीन की समस्या उत्पन्न कर सकता है। गैंगरीन के कारण अंग-भंग की स्थिति आ सकती है।
वहींअधिक वजन, व्यायाम नहीं करने, पारिवारिक इतिहास और तनाव से मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती
है। ब्लड शुगर स्तर के लगातार अधिक रहने पर हृदय वाहिका (ब्लड वेसेल्स) संबंधी समस्याएं और न्यूरोपैथी
नामक समस्या के उत्पन्न होने का खतरा रहता है।
मधुमेह के मरीजों को कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक होने का खतरा चार गुना अधिक होता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे अजन्मे शिशु के लिए मधुमेह (जेस्टेशनल डाइबिटीज) अधिक खतरनाक होता है।
हृदय पर दुष्प्रभाव
मधुमेह का शरीर के जिन महत्वपूर्ण अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है, उनमें हृदय प्रमुख है। सवाल यह है कि मधुमेह का आखिर हृदय पर असर क्यों पड़ता है? दरअसल हमारा हृदय मुख्य तौर पर मांसपेशियों से बना हुआ पंप है, जो पूरे शरीर में फैली धमनियों के संजाल के माध्यम से शरीर के हर अंग-प्रत्यंग में रक्त और ऑक्सीजन भेजता है। हृदय को अनवरत काम करने के लिये हर समय ऑक्सीजन और शुद्ध रक्त की जरूरत होती है। किसी कारण से हृदय को होने वाली इस आपूर्ति में कमी या रुकावट आने पर मायोकार्डियल इनफाक्शन, एंजाइना पैक्टोरोसिस और दिल के दौरे जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
मधुमेह के कारण हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली धमनियों में जमाव की प्रक्रिया तेज हो
जाती है। सामान्य लोगों की तुलना में मधुमेह के मरीजों की रक्त धमनियों में चर्बी या वसा के जमने या संचित होने की प्रक्रिया (एथेरोस्क्लीरोसिस) अधिक तेज होती है। इससे धमनी का रास्ता तंग हो जाता है और उसमें रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इस स्थिति में कोरोनरी हृदय रोग पैदा होते हैं।
हृदय रोग के लक्षणों का प्रकट न होना
मधुमेह के अनेक मरीजों में कोरोनरी हृदय रोग के लक्षण स्पष्ट तौर पर नजर नहीं आते हैं। कई मरीजों को तो दिल
का दौरा पड़ने पर भी सीने में दर्द महसूस नहीं होता है। इसलिए दर्द नहीं होने पर भी सांस फूलने, दिल की धड़कन
के तेज होने, अस्वभाविक घबड़ाहट होने, पसीना आने और उबकाई या मितली होने जैसी शिकायतें होने पर तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा लोगों कोनियमित रूप से चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए ताकि हृदय रोगों की आंशका का पहले से पता चल सके।
मधुमेह के कुछ मरीजों में कोरोनरी धमनियों के स्वस्थ होने के बावजूद उनका हृदय कमजोर पड़ जाता है। ऐसे लोगों की मांसपेशियों में रक्त को पंप करने की शक्ति नहीं रहती है। ऐसी स्थिति में हृदय फैलकर बड़ा हो जाता है। उसके इर्द-गिर्द और फेफड़े में पानी भर जाता है। रोगी की सांस फूलने लगती है, उसे थकान रहती है, पैरों में सूजन आ जाती है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं, जिन्हें डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है। डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी की समस्या में उपयुक्त दवाओं और चिकित्सकीय सलाह की मदद से मरीज को राहत दी जा सकती है, लेकिन हृदय की शक्ति की वापसी के लिये ऑपरेशन ही एकमात्र रास्ता है।
कार्डियोमायोप्लास्टी नामक ऑपरेशन के तहत कुछ मांसपेशियों का प्रत्यारोपण करके दिल को मजबूती प्रदान की जाती है। कुछ मामलों में बाईपास सर्जरी या हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है। विचारणीय समस्या देश में वयस्कों और बच्चों में मधुमेह तेजी से फैलता जा रहा है। मधुमेह के प्रकोप के तेजी से फैलने के लिये व्यस्त और भागमभाग वाली जिंदगी, तनावपूर्ण जीवन-शैली और आनुवांशिक कारण मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं। हालांकि टाइप 1 मधुमेह की रोकथाम नहीं की जा सकती है, लेकिन टाइप 2 मधुमेह अस्वास्थ्यकर जीवन शैली से संबंधित है। टाइप 2 मधुमेह को स्वास्थ्यकर खान-पान के जरिये, वजन को काबू में कर और नियमित व्यायाम कर नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह के बढ़ते खतरे को देखते हुए हमें जनता में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। सरकार को मधुमेह
की रोकथाम के उपायों के बारे में प्रचार अभियान संचालित करना चाहिए।
डॉ. पुरुषोत्तम लाल
निदेशक:मेट्रो हॉस्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट, नोएडा