Move to Jagran APP

हेल्थवॉच

कैंसर के मरीज़ों के लिए उम्मीद की नई किरण ल्यूकोमिया यानी ब्लड कैंसर की वजह से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है। इस समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए एक आशाजनक ख़्ाबर यह है कि अब वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में एक ऐसी कोशिका ढूंढ

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 30 May 2015 04:45 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 04:46 PM (IST)
हेल्थवॉच

कैंसर के मरीज़ों के लिए उम्मीद की नई किरण

loksabha election banner

ल्यूकोमिया यानी ब्लड कैंसर की वजह से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है। इस समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए एक आशाजनक ख़्ाबर यह है कि अब वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में एक ऐसी कोशिका ढूंढ निकाली है, जो ब्लड कैंसर के उपचार में मददगार साबित हो सकती है। अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसी प्रक्रिया ईजाद की है, जो ल्यूकेमिया से ग्रस्त कोशिकाओं को हानिरहित कोशिकाओं में बदल सकती है। अमेरिका स्थित स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर रवि मजेती ने एक मरीज़ के शरीर से कैंसरयुक्त कोशिकाओं को लेकर उन्हें लैब के कल्चर प्लेट में जीवित रखने का प्रयास किया। उसी दौरान उनका ध्यान इस प्रक्रिया की ओर गया। उनका कहना है कि बी-सेल ल्यूकेमिया कोशिकाएं कई मायनों में मूल कोशिकाएं होती हैं, जो अपरिपक्व स्थिति में रहने के लिए मजबूर होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे ख़्ाून में कुछ स्थिर और कुछ तैरती मेक्रो$फे गस कोशिकाएं होती हैं, जो कैंसरयुक्त कोशिकाओं को खाकर पचा जाती हैं। मजेती को आशा है कि जब कैंसरयुक्त कोशिकाएं मेक्रो$फेगस कोशिकाओं में बदलेंगी तो वे न केवल निष्क्रिय हो जाएंगी, बल्कि कैंसर से लड़ाई में भी मददगार होंगी। शोधकर्ता अब ऐसी दवा बनाने का प्रयास करेंगे, जो इस प्रक्रिया को शुरू कर सके। इस नई खोज से ब्लड कैंसर के इलाज की दिशा में नई उम्मीद जगी है।

झटपट निर्णय लेना

दिल के लिए $फायदेमंद

क्या आपको हर काम में टालमटोल की आदत है? हर $फैसला लेने से पहले सौ बार सोचते हैं? ....तो संभल जाएं क्योंकि ऐसे लोगों में हार्टअटैक की आशंका अधिक होती है।केनेडा के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में यह दावा किया गया है कि जीवन व कामकाज से जुड़े $फैसले न लेने वाले आलसी लोगों पर दिल के दौरे का ख़्ातरा झटपट $फैसले लेने वालों की तुलना में ज्य़ादा होता है। यानी दिल की बीमारियों से बचने के लिए झटपट $फैसले लेने की आदत डालें। केनेडा स्थित बिशप्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। शोधकर्ता नातालाइ शूमाकर के मुताबि$क टालने की आदत की वजह सेमस्तिष्क पर बोझ बढ़ता जाता है, जिससे व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। फिर देर से निर्णय लेते समय व्यक्ति के दिल पर ज्य़ादा दबाव पड़ता है, जिससे दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। 980 लोगों से इस सर्वेक्षण में भाग लेने को कहा गया। इन्हें दो समूहों में बांटा गया। नतीजे में पाया गया कि देर से निर्णय लेने वाले ज्य़ादातर लोग हृदय रोग से त्रस्त थे। अगर आप अपने दिल को दुरुस्त रखना चाहते हैं तो $फैसले को टालने की आदत छोड़ दें।

झपकी लें याद्दाश्त बढ़ाएं

अगर आपको दोपहर में थोड़ा झपकी लेने की आदत है तो इसकी वजह से शर्मिंदा न हों क्योंकि हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार झपकी लेने से याद्दाश्त बढ़ती है। नवीनतम शोध के अनुसार कोई नई सूचना याद करने के बाद कुछ देर की झपकी लेने से वह आसानी से याद हो जाती है। जर्मनी की सारलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह शोध किया। इसमें उन्होंने लोगों को 90 सार्थक और 120 निरर्थक शब्द याद करने के लिए कहा। इसके बाद एक समूह को 45 मिनट सोने दिया गया और दूसरे समूह को डीवीडी पर फिल्म या अपनी पसंद का कार्यक्रम देखने के लिए कहा गया। इसमें से जिस वर्ग ने झपकी ली थी, वह मुश्किल से मुश्किल शब्दों को भी यादरखने में कामयाब रहा, जबकि दूसरा वर्ग कम शब्दों को याद रख पाया। शोधकर्ताओं के अनुसार जब दिमा$ग पर जोर डालकर कुछ याद किया जाता है और फिर 45 से 60 मिनट की झपकी ली जाती है तो मस्तिष्क में स्लीप स्पींडेल्स की प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से मस्तिष्क तथ्यों को आसानी से याद कर लेता है। शोधकर्ता एक्सेल मेकलिंग के अनुसार दोपहर की हलकी झपकी याद्दाश्त बढ़ाने में मददगार होती है। इसके अलावा अगर आप अपनी स्मरण शक्ति को मज़बूत बनाना चाहते हैं तो मीठी चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करें। अमेरिका की ऑनलाइन पत्रिका हफिंग्टन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ज्य़ादा मीठे का सेवन इंसुलिन की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह हॉर्मोन मस्तिष्क की उन कोशिकाओं को निष्क्रिय बनाता है, जो हमारी स्मृतियों को सुरक्षित रखने का काम करती हैं। इसलिए अगर याद्दाश्त बढऩी है तो मीठी चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करें।

एंटीबायोटिक्स हो सकते हैं नुकसानदेह

सर्दी-ज़ु$काम और बुख़्ाार जैसी मामूली समस्याएं होने पर कुछ लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स लेने की आदत होती है, जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकती है। ब्रिटेन की हेल्थ मैगज़ीन यूरोपियन जर्नल ऑफ एंड्रोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ एंटीबायोटिक्स बार-बार लेने से डायबिटीज़ टाइप-ढ्ढढ्ढ का ख़्ातरा बढ़ जाता है। लिहाज़ा विशेषज्ञों ने एंटीबायोटिक्सके बिना सोचे-समझे इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है। अमेरिका स्थित पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के गैस्ट्रोएट्रोलॉजी एंड मेडिकल ऑन्कोलॉजी के शोधकर्ता डॉ.बेन ब्यूरिस के अनुसार एंटीबायोटिक्सके कारण आंतों में मौज़ूद गट बैक्टीरिया के सक्रिय होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे शरीर के मेकैनिज़्म पर बुरा असर पड़ता है और मोटापा बढऩे का ख़्ातरा रहता है। ऐसे में इंसुलिन की कार्यक्षमता घट जाती है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने डायबिटीज़ के दौरान एंटीबायोटिक्स के सेवन से होने वाले नुकसानपर अध्ययन किया है। ब्रिटेन में डायबिटीज़ टाइप-ढ्ढढ्ढ से पीडि़त लोगों की मेडिकल हिस्ट्री का गहन अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है।

खट्टे फल देते हैं

त्वचा को सुरक्षा

गर्मी के मौसम में त्वचा और बालों को धूप से का$फी नुकसान पहुंचता है, लेकिन विटमिन सी के सेवन से इनकी रक्षा हो सकती है। ब्रिटेन के न्यूट्रिशनिस्ट जैकलीन न्यूसन ने अपने एक शोध में यह दावा किया है कि इस मौसम में केवल सनस्क्रीन लगाने से त्वचा की रक्षा नहीं होती, बल्कि विटमिन सी से भरपूर खट्टे फलों का सेवन भी ज़रूरी है। उनकी रिपोर्ट के मुताबि$क विटामिन सी धूप से बालों और त्वचा की रक्षा करता है। यह शरीर को यूवी किरणों और तेज़ गर्मी से भी बचाता है। यह प्रदूषण से शरीर को होने वाले नुकसान को भी कम कर देता है। ऐसे फलों में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। इसलिए संतरा, नीबू, मौसमी अंगूर और अनन्नास जैसे फलों के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है। इसके अलावा विटमिन सी के सेवन से शरीर में कोलेजन नामक प्रोटीन का सिक्रीशन बढ़ जाता है। यह प्रोटीन त्वचा को कोमल बनाने में मददगार होता है। अगर आपको अपनी त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाना है तो खट्टेे फलों को अपने खानपान में नियमित रूप से शामिल करें।

बच्चों में ओबेसिटी के

लिए टीवी है जि़म्मेदार

आजकल ज्य़ादातर बच्चे खेलने-कूदने के बजाय घंटों टीवी के आगे बैठे रहते हैं। ऐसी आदत उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। हाल ही में किए गए एक रिसर्च के अनुसार रोज़ाना एक घंटा टीवी देखने की आदत भी आपके बच्चों का वज़न बढ़ाने के लिए का$फी है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया के सहायक प्रोफेसर मार्क डिबोर ने यह अध्ययन किया है। उन्होंने पाया कि रोज़ एक घंटे या इससे ज्य़ादा टीवी देखने वाले बच्चों में मोटापे की आशंका टीवी न देखने वालों से 39त्न ज्य़ादा होती है। इतना ही नहीं, बड़े होने पर इनमें मोटापे की आशंका 86त्न तक बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे मोटापे के शिकार बच्चों को कम से कम समय तक टीवी देखने दें, वरना उनका वज़न और ज्य़ादा हो जाएगा। ग्यारह हज़ार से भी ज्य़ादा स्कूली बच्चों की टीवी देखने की आदतों पर अध्ययन करने के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे।

एचआइवी वैक्सीन बनाने के प्रयास में कामयाबी की उम्मीद

चिकित्सा जगत के लिए चुनौती बने एड्स को जड़ से उखाडऩे की उम्मीद बंधी है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसे अणु का पता लगाया है, जो एचआइवी वायरस के सुरक्षा कवच को तोडऩे वाली कोशिकाओं को सक्रिय बनाने में सक्षम है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नई खोज से एचआइवी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने का रास्ता मिल सकता है। इतना ही नहीं इस नई खोज से एड्स को जड़ से उखाडऩा भी संभव हो सकता है। केनेडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मांट्रियल के प्रोफेसर एंड्रेस फिंजी ने कहा, 'हमने पाया है कि एचआइवी-1 से पीडि़त लोगों में प्राकृतिक तौर पर प्रभावित कोशिकाओं को मारने में सक्षम एंटीबॉडीज़ होते हैं। हमें केवल उन एंटीबॉडीज़ को एक छोटे अणु से ता$कत देने की ज़रूरत है। यह अणु वायरस को एंटीबॉडीज़ के क्षेत्र में पहुंचाने का काम करता है। यह क्रिया वायरस पर हमले के लिए कोशिकाओं और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच पुल का काम करती है।Ó पहले अध्ययन में इन्हीं शोधकर्ताओं ने एचआइवी वायरस के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करने वाले दो प्रोटीन्स की खोज की थी। जीन की संरचना में बदलाव के ज़रिये इन प्रोटीन्स को हटाने से वायरस ख़्ात्म हो जाते हैं। नए प्रयोग में छोटे अणु के जरिये इन्हीं प्रोटीन्स को लक्ष्य किया गया है। वैज्ञानिकों की यह कामयाबी उनकी जीत की दिशा में पहला $कदम साबित होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.