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फाइब्रॉएड जानें वास्तविक जानकारी

महिलाओं में फाइब्रॉइड के संदर्भ में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिन्हें तथ्यों की रोशनी में दूर करना जरूरी है... भ्रांति- फाइब्रॉएड से राहत पाने के लिए गर्भाशय को निकाल दिया जाना चाहिए।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 28 May 2015 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2015 03:54 PM (IST)
फाइब्रॉएड जानें वास्तविक जानकारी

महिलाओं में फाइब्रॉइड के संदर्भ में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिन्हें तथ्यों की रोशनी में दूर करना जरूरी है...

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भ्रांति- फाइब्रॉएड से राहत पाने के लिए गर्भाशय को निकाल दिया जाना चाहिए।

तथ्य- फाइब्रॉएड (रसौली) के सभी मामलों में, यदि पीडि़त महिला अपनी प्रजनन क्षमता को

बनाये रखना चाहती है, तो सिर्फ फाइब्रॉएड को निकाला जा सकता है और गर्भाशय को पूरी तरह

से सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि पीडि़त महिला भविष्य में बच्चे पैदा नहीं करना चाहती

है, तब भी कुछ प्रक्रियाओं की मदद से उसे फाइब्रॉएड से राहत प्रदान कर उसके गर्भाशय

को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके लिए अब लैप ग्रॉस वेजिंग जैसी प्रक्रिया उपलब्ध

है।

भ्रांति- बहुत बड़े फाइब्रॉएड के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव नहीं है और इसलिए बड़े फाइब्रॉएड में ओपन सर्जरी अनिवार्य हो जाती है।

तथ्य- लेप्रोस्कोपी सर्जरी हर मामले में संभव है। हमने लैप्रोस्कोपी की मदद से गर्भाशय को नुकसान पहुंचाए बगैर दुनिया के सबसे बड़े फाइब्रॉएड (3.9 किलोग्राम) को निकाला और उसके बाद उस महिला ने स्वस्थ रहकर गर्भ धारण किया।

भ्रांति- फाइब्रॉएड हमेशा दोबारा होता है और इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है।

तथ्य- हालांकि फाइब्रॉएड की समस्या आम तौर पर दोबारा होती है, लेकिन अब हम लैप्रोस्कोपिक

यूटेराइन आर्टरी क्लिपिंग नामक प्रक्रिया की मदद से 96 प्रतिशत रोगियों में फाइब्रॉएड की

पुनरावृत्ति को रोक सकते हैं।

भ्रांति- यदि रोगी की पहले सर्जरी हो चुकी हो, तो उस रोगी में लेप्रोस्कोपी करना संभव

नहीं है।

तथ्य- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करना हर रोगी में संभव है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रोगी

की अतीत में कितनी बार ओपन सर्जरी (सीजेरियन जैसी) हुई है। इसके लिए सिर्फ सर्जन का विशेषज्ञ होना और अस्पताल में अच्छे लैप्रोस्कोपिक उपकरणों की उपलब्धता जरूरी है।

भ्रांति- फाइब्रॉएड कैंसर में बदल सकते हैं।

तथ्य- फाइब्रॉएड 99 प्रतिशत मामलों में कैंसररहित होते हैं। हालांकि एक प्रतिशत मामले में वे कैंसर युक्त हो सकते हैं। इसलिए फाइब्रॉएड से संबंधित कैंसर के मामले बिल्कुल नहीं के बराबर होते हैं।

भ्रांति- यदि पीडि़त महिला को अधिक रक्तस्राव नहीं होता है, तो उसे फाइब्रॉएड का इलाज कराने की जरूरत नहीं है।

तथ्य- फाइब्रॉएड कई रूप में मौजूद हो सकते हैं और इस रोग में पेल्विस (पेड़ू) में भारीपन, पेशाब करने के लिए जल्दी-जल्दी जाना, कब्ज, कमर दर्द या पेट में बड़ी गांठ जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं, जिनका इलाज कराने की जरूरत होती है। फाइब्रॉएड में गर्भ धारण न कर पाना एक बड़ी समस्या हो सकती है। इस कारण रोगी को फाइब्रॉएड निकलवाने की जरूरत होती है।

डॉ.निकिता

स्त्री रोग विशेषज्ञ व लैप्रोस्कोपिक सर्जन,

नई दिल्ली


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