सिलिकॉन से बनी आखों की पुतलिया
देश-दुनिया के नेत्र रोग विशेषज्ञों के बीच आख की पुतली अब मेडिकल ग्रेड के सिलिकॉन से बनाई जाती है। तकनीक से चिकित्सकों ने एक्सीडेंट में क्षतिग्रस्त आख की आइरिस (आख की पुतली) ट्रासप्लाट कर कमाल कर दिखाया है।
देश-दुनिया के नेत्र रोग विशेषज्ञों के बीच आख की पुतली अब मेडिकल ग्रेड के सिलिकॉन से बनाई जाती है। तकनीक से चिकित्सकों ने एक्सीडेंट में क्षतिग्रस्त आख की आइरिस (आख की पुतली) ट्रासप्लाट कर कमाल कर दिखाया है। इसे अब भारत में सामान्य लोगों में आखों का रंग बदलकर अच्छा दिखने की चाहत के लिए किया जा रहा है। होटल जेपी पैलेस में शुरू हुए नेत्र रोग विशेषज्ञों के 72वें राष्ट्रीय अधिवेशन में इस पर चिकित्सकों के बीच बहस छिड़ी है। आख क्षतिग्रस्त होने पर आइरिस ट्रासप्लाट होती है। पहले यह प्लास्टिक से बनी होती थी। इसका मूवमेंट भी नहीं होता था। मगर अब आइरिस ट्रासप्लाट में चमत्कारिक बदलाव हुआ है। इसमें मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन आइरिस का इस्तेमाल कर ट्रासप्लाट किया जा रहा है। यह हूबहू आख की तरह ही लगती है। इसका मूवमेंट भी होता है। इसकी सफलता के बाद आइरिस ट्रासप्लाट को सामान्य लोगों में आखों का रंग बदलने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। तमिलनाडु के नेत्र रोग विशेषा डॉ. शिबू वार्के ब्राइटऑकूलर आइरिस ट्रासप्लाट कर रहे हैं। फैशन और ग्लैमर जगत से जुड़े लोग आखों का रंग बदलने के लिए उनसे सर्जरी करा रहे हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों की कॉन्फ्रेंस में आइरिस ट्रासप्लाट बहस का विषय बना हुआ है। वहीं, आइरिस ट्रासप्लाट के लिए अपनी तकनीक से पहचान बना चुके इटली के डॉक्टर केसरे फोरलिनी का कहना है कि वे एक्सीडेंट के केस में ही आइरिस ट्रासप्लाट करते हैं। उनका सामान्य लोगों में आइरिस ट्रासप्लाट को लेकर स्पष्ट रुख नहीं है। वहीं, ऑल इंडिया ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसायटी (एआइओएस) के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ. डी. रामामूर्थी का कहना है कि आइरिस ट्रासप्लाट एक्सीडेंट और मेडिकल प्रॉब्लम होने पर किया जाना चाहिए। आखों का रंग बदलने के लिए किया जा रहा आइरिस ट्रासप्लाट गलत है।
चार से पाच लाख में बदला जा रहा आखों का रंग:
अच्छा दिखने के लिए आखों का रंग बदलने का चलन बढ़ा है। इसके लिए लोग लैंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में आखों का परमानेंट रंग बदलने के लिए किए जा रहे आइरिस ट्रासप्लाट के प्रति भी लोग आकर्षित हो रहे हैं। इस तरह की सर्जरी में भारत में चार से पाच लाख रुपये लिए जा रहे हैं। इसे करने में एक घटे का समय लगता है। खासतौर से एनआरआइ अमेरिका और इंग्लैंड में रहने पर इस तरह की सर्जरी कराने के इच्छुक हैं।
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