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जानिए कैसे होगा डीहाइड्रेशन दूर?

मानव शरीर में दो तिहाई भाग पानी है। पानी मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत आवश्यक है। जब शरीर से पानी अधिक मात्रा में निकल जाता है या पानी पर्याप्त मात्रा में नहींपिया सकता, तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस स्थिति को निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) कहा जाता है। इन दिनों उत्तर भा

By Edited By: Published: Tue, 13 May 2014 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 13 May 2014 12:54 PM (IST)
जानिए कैसे होगा डीहाइड्रेशन दूर?

मानव शरीर में दो तिहाई भाग पानी है। पानी मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत आवश्यक है। जब शरीर से पानी अधिक मात्रा में निकल जाता है या पानी पर्याप्त मात्रा में नहींपिया सकता, तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस स्थिति को निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) कहा जाता है। इन दिनों उत्तर भारत के ज्यादातर भागों में गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। डीहाइड्रेशन का सबसे बड़ा कारण गर्मियां ही हैं।

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मुख्य कारण

कुछ रोग और कुछ स्थितियां डीहाइड्रेशन के लिए उत्तरदायी हैं..

आंतों का संक्रमण: आंतों में संक्रमण के कई कारण हैं। जैसे प्रदूषित पानी, आंत ज्वर, हैजा, कटे हुए फल आदि। इस वजह से दस्त, उल्टी व बुखार के कारण अधिक मात्रा में पानी शरीर से बाहर निकल जाता है।

मधुमेह: डाइबिटीज या मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति में डिहाइड्रेशन का खतरा कहीं अधिक होता है। मधुमेह की दवाइयां शरीर में पानी का अधिक मात्रा में प्रयोग करती हैं। इस कारण मधुमेह रोगी को बार-बार पेशाब आता है और इस वजह से पानी की कमी हो सकती है।

पसीना: शरीर के तापमान को सामान्य रखने के लिए पसीना आना आवश्यक है। अधिक व्यायाम करने, सूरज की गर्मी में काम करने, तेज चलने और तेज बुखार के कारण आवश्यकता से अधिक मात्रा में पानी शरीर से निकलता है और पर्याप्त मात्रा में पानी न लेने से इसकी कमी हो जाती है।

पानी कम मात्रा में लेना: पानी का आवश्यकता से कम मात्रा में लेना भी शरीर में पानी की कमी होने का बहुत महत्वपूर्ण कारण है।

लक्षण

डीहाइड्रेशन के लक्षण इस प्रकार हैं।

-प्यास लगना, मुंह और होंठ का सूख जाना।

-अधिक थकान महसूस करना।

-चक्कर आना और सिरदर्द होना।

-पेशाब कम मात्रा में होना और इसका रंग पीला हो जाना।

-नस चढ़ जाना और नस का ऐंठना।

-पसीना न आना।

आपातकालीन लक्षण

-अधिक थकान महसूस करना, चक्कर आना, बेहोशी की हालत और इसके बाद दौरे पड़ना।

-आठ घंटे के अंतराल के बाद भी पेशाब न होना।

-चिड़चिड़पन महसूस होना।

-दिल की धड़कन का अधिक बढ़ जाना।

-आंखों से आंसू न आना।

-चुटकी से पकड़ने पर त्वचा का आसानी से ऊपर आ जाना।

बचाव के उपाय

-पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है।

-अगर रोगी तेज बुखार, दस्त और उल्टियों से पीड़ित है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में पानी और ओआरएस का घोल देते रहें। अगर दस्त और अन्य समस्याएं थम नहींरही हों, तो शीघ्र ही पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं।

-शरीर में पानी और तरल पदार्थ बने रहें, इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को फलों का रस और सूप दें। इसके अलावा ऐसे फलों को दें, जिनमें पानी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हो। जैसे खीरा, ककड़ी और तरबूज आदि।

बच्चों पर विशेष ध्यान

बच्चों में डीहाइड्रेशन के लक्षण वयस्कों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर हो सकते हैं। बच्चा जितना छोटा होगा या बच्चे का वजन जितना कम होगा, उतना ही अधिक खतरा बढ़ेगा।

वस्तुत: बच्चे अधिक कोमल होते हैं। इसलिए उनका खास ध्यान रखने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन (2013) से पता चला है कि देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में विभिन्न रोगों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण डीहाइड्रेशन है।

(डॉ.नीलम मोहन, सीनियर गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव)


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