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रसहीन भोजन की जरूरत नहीं

यह गलत धारणा कि मधुमेह के साथ जी रहे लोग स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खा ही नहीं सकते। हां अन्य लोगों की तुलना में उन्हें खानपान में थोड़ा संयम बरतना पड़ता है...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 03:11 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 03:15 PM (IST)
रसहीन भोजन की जरूरत नहीं

यह गलत धारणा कि मधुमेह के साथ जी रहे लोग स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खा ही नहीं सकते। हां अन्य लोगों की तुलना में उन्हें खानपान में थोड़ा संयम बरतना पड़ता है...

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जन जीवन के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए आवश्यक है। हरेक शख्स को आम तौर पर स्वादिष्ट भोजन पसंद है, लेकिन मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त लोग भी स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाना चाहते हैं।

स्वादरहित भोजन, उबली सब्जियां और दालों का

नाम सुनकर वे परेशान हो जाते हैं। वास्तव में यह सच नहीं है। मधुमेह का आहार अन्य लोगों की तुलना में प्रतिदिन के खान-पान से थोड़ा

ही अलग है।

थोड़ी मात्रा में आहार लें

प्रत्येक घर में इस्तेमाल होने वाली कटोरी भिन्न-भिन्न होती है। इसलिए

खाए हुए भोजन की ऊर्जा भी भिन्न होती है। मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति जरूरत से जरा भी ज्यादा भोजन कर ले, तो उसकी रक्तशर्करा (ब्लड

शुगर) में तुरंत वृद्वि होती है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन और उपयुक्त अंतर से भोजन लेना बहुत आवश्यक है। इस प्रकार से मरीज भूखा

नहीं रहता, भोजन की पाचन क्रिया उचित होती है।

क्या है ग्लाइसिमिक इंडेक्स

अनेक अन्न व खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा

में तुरंत वृद्वि करते हैं और कुछ धीमी

गति से। इस गति को ग्लाइसिमिक

इंडेक्स कहा जाता है। चीनी, गुड़, शहद

और मैदा जैसे पदार्थ रक्त शर्करा में

तुरंत वृद्वि करते है, जबकि

सब्जियां, बाजरा व दाले नहीं। इसलिए

रक्त शर्करा में धीमी गति से बदलाव

लाने वाले पदार्थ का सेवन करना

उचित है। कितनी तेजी से रक्त शर्करा

बढ़ती है, यह बात भोजन के रूप पर

भी निर्भर है। जैसे फल रक्त शर्करा में

धीमी गति से वृद्धि करते हैं, लेकिन

फलों का रस इसे तेजी से वृद्धि करता

है। इसी प्रकार गेहूं के मैदा से रक्त

शर्करा में तेजी से वृद्धि होती है, लेकिन

दलिया में धीमी गति से।

गलत धारणा करें दूर

एक गलत धारणा यह है कि मधुमेह का व्यक्ति फल सेवन नहीं कर सकता। ऐसे व्यक्ति भोजन के 2 घंटे के बाद फलों का सेवन करें, लेकिन अधिक शर्करा वाले फल न खाएं।

फाइबर का महत्व

फाइबर आहार का एक महत्वपूर्ण घटक है। फाइबर से रक्त शर्करा में वृद्धि नहीं होती। फाइबर-अनाज, सब्जियों और फलों में पूर्ण रूप से

मौजूद है। सब्जी और फलों के अधिक सेवन से फाइबर तो मिलता ही है, साथ ही विटामिन और लौह तत्व (आयरन) जैसे अन्य पोषक तत्व

भी मिलते हैं।

प्रोटीन की मात्रा

भारतीय शाकाहारी भोजन में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है। प्रोटीन का सेवन करने से रक्त शर्करा में धीमी गति से वृद्धि होती है।

शाकाहारी भोजन में सभी प्रकार की दालों और पनीर में प्रोटीन पाया जाता है। मांसाहारी भोजन में अंडे की सफेदी और मछली प्रोटीन के स्रोत हैं। प्रोटीन को हजम होने में वक्त लगता है। इससे व्यक्ति को शीघ्र भूख नहीं लगती।

वसा की मात्रा कितनी हो मधुमेह वालों के लिए वसा (फैट) बिलकुल न खाना ठीक नहीं है।

प्रतिदिन 15 ग्राम या फिर चाय की तीन चम्मच मात्रा में वसा का सेवन किया जाना चाहिए। सरसों का तेल, कनोला तेल और ऑलिव ऑयल

मधुमेह वालों के लिए लाभप्रद हैं। ध्यान दें कि एक बार गर्म किए जा चुके तेल को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसे तेल के उपयोग

से रक्त शर्करा में वृद्धि होती है।

अगर डाइबिटीज भोजन से न जुड़ी होती, तो

शायद ही किसी व्यक्ति का शुगर बढ़ा रहता।

अक्सर हमें अपने खाने की स्वतंत्रता का ज्ञान

ही नहीं होता। इसलिए हम दुखी होकर कोसते

रहते हैं। लगभग सारी की सारी चीजें हम खा

सकते हैं। आवश्यकता है, जानकारी की और

खाने की मात्रा के उचित नियंत्रण की।

शिल्पा जोशी

डाइटीशियन एंड डाइबिटीज एजूकेटर, डाइट एन्ड हेल्थ सेंटर, मुंबई


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