अब पेट की समस्याओं से न हों परेशान
गर्मियों में पेट संबंधी समस्याओं के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। मौजूदा मौसम में आम तौर पर पेट से संबंधित ये बीमारिया होती हैं.. 1.पेट में जलन होना या अम्ल (एसिड) का ज्यादा बनना, जिसे एसिडिटी कहते हैं। 2. पेट में दर्द। 3. दस्त व उल्टियां आना। 4. हेपेटाइटिस होना। 5. बदहजमी ह
गर्मियों में पेट संबंधी समस्याओं के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। मौजूदा मौसम में आम तौर पर पेट से संबंधित ये बीमारिया होती हैं..
1.पेट में जलन होना या अम्ल (एसिड) का ज्यादा बनना, जिसे एसिडिटी कहते हैं।
2. पेट में दर्द।
3. दस्त व उल्टियां आना।
4. हेपेटाइटिस होना।
5. बदहजमी होना।
6. टाइफॉइड होना।
कारण
गर्मियों में जीवाणुओं (बैक्टेरिया)की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। 25 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान जीवाणुओं के पनपने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आप जानते हैं कि गर्मियों में बाहर रखा खाना जल्दी ही दूषित हो जाता है। इस मौसम में प्रदूषित पानी और दूषित खाद्य पदार्र्थो को खाने के कारण पेट संबंधी समस्याएं ज्यादा होती हैं।
लक्षण
पेट से संबंधित विभिन्न बीमारियों के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। मुख्य तौर पर पेट के रोगों के लक्षण इस प्रकार हैं..
-पेट में दर्द होना।
-पेट में फुलाव होना।
-भूख न लगना।
-दस्त लगना।
-मल में आंव का आना।
-पेट में जलन होना।
-कब्ज होना।
-आंखों का पीला होना।
बचाव
गर्मियों में थोड़ी सावधानी बरतने से आप स्वस्थ रहकर मौसम का आनंद ले सकते हैं। इस मौसम में सेहत बरकरार रखने के लिए इन बातों पर अमल करें..
-थोड़ा खाएं। दिन में चार-पांच बार हल्का आहार लें। एक बार में ज्यादा खा लेने से पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है।
-तरल पदार्थ जैसे पानी, नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी या घर में तैयार जूस या ओआरएस का घोल पिएं। ऐसा करने से आप डीहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) से बचे रह सकते हैं।
-रसदार फल लें। जैसे खीरा, ककड़ी, खरबूजा व अन्य फल।
-मसालों का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
इनसे पेट में जलन और अन्य शिकायतें हो सकती हैं।
-ताजा खाना खाएं। ज्यादा देर तक रेफ्रिजरेटर के बाहर रखा खाना बैक्टेरिया और फंगस के सक्रिय हो जाने के कारण खराब हो जाता है।
-बिजली के बार-बार आने और जाने से फ्रिज में रखा खाना यदि ज्यादा समय से रखा गया है, तो वह भी खराब हो सकता है।
-बाहर खुले में रखे कटे फल और सब्जियां न खाएं। स्ट्रीट फूड्स से परहेज करें।
-ढीले व हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें।
-स्वच्छ व फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
उपचार
पेट से संबंधित रोगों के उपचार के लिए ओआरएस का घोल दें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। पेट में जलन दूर करने के लिए 'एंटाएसिड' युक्त तरल पदार्थ पी सकते हैं। समय रहते डॉक्टर की सलाह लें। टाइफाइड, हेपेटाइटिस और हैजे के टीके के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
यह है दस्त का आयुर्वेदिक इलाज
दूषित खाद्य पदार्र्थो और प्रदूषित जल ग्रहण करने से पतले दस्त आने लगते हैं। दस्त से बचाव के लिए ताजा सुपाच्य गर्म खाना और स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिए। कुछ सामान्य घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं..
-आधी कच्ची और आधी भुनी सौंफ पीस लें और इसका 1/4 भाग चीनी मिला लें। 1 से 2 चम्मच पानी के साथ दिन में दो से तीन बार लें।
-सौंफ, जीरा, धनिया और ईसबगोल की भूसी समान मात्रा में पीसकर ठीक से मिला लें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। आधा से एक चम्मच दिन में 3 से 4 बार मट्ठे के साथ सेवन करें।
-यदि दस्त के साथ खून आता हो, तो सौंफ, धनिया, अनारदाना और मिश्री मिलाकर रखें। आधा से एक चम्मच दिन में 3-4 बार लें।
-कच्चे बेल का चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह- शाम लेने से लाभ होता है।
-बेल का गूदा और गुड़ मिलाकर लेने से लाभ होता है।
-सूखे आंवले का चूर्ण और काला नमक समान मात्रा में मिलाएं। आधा चम्मच दिन में 3-4 बार पानी से लें।
-आंव और खूनी दस्त होने पर प्याज और दही खाने से लाभ होता है।
-दस्त में अनार, सेब और केला का प्रयोग लाभप्रद है।
-सोंठ, सौंफ और चीनी समान मात्रा में पीसकर एक -एक चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लें।
-शतपुष्पादि चूर्ण, विल्वादि चूर्ण और कुटजारिष्ट आदि औषधियों का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।
(डॉ. सतीश चंद्र शुक्ल वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक)