अब सर्वाइकल कैंसर को हराएं
गर्भाशय ग्रीवा या मुख के कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) से दुनिया के किसी भी अन्य देशों की तुलना में भारत में कहीं अधिक महिलाओं की मौतें होती हैं। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के प्रवेश द्वार का कैंसर है। ग्रीवा, गर्भाशय के निचले भाग का संकीर्ण भाग है। यह कैंसर 30 साल से अधिक उम्र
गर्भाशय ग्रीवा या मुख के कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) से दुनिया के किसी भी अन्य देशों की तुलना में भारत में कहीं अधिक महिलाओं की मौतें होती हैं। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के प्रवेश द्वार का कैंसर है। ग्रीवा, गर्भाशय के निचले भाग का संकीर्ण भाग है। यह कैंसर 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में सबसे अधिक होता है।
कारण :
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का सबसे आम कारण ह्रूमैन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) को माना जाता है। यह रोग इस वाइरस से पीड़ित किसी व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है। हालांकि एचपीवी वायरस कई प्रकार के होते हैं, लेकिन सभी प्रकार के एचपीवी गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर पैदा नहीं करते।
लक्षण :
-शारीरिक संपर्क के दौरान योनि से रक्तस्त्राव।
-शारीरिक संसर्ग के दौरान पेट के निचले भाग (पेड़ू या पेल्विक) में दर्द।
-माहवारी के समय में परिवर्तन और दो माहवारी के दरमियान रक्तस्राव होना।
-रजोनिवृत्ति(मैनोपॉज) के बाद रक्तस्राव।
-योनि स्राव के साथ रक्त का आना, जिसमें बदबू हो सकती है।
जांचें :
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का शुरुआती अवस्था में ही पता चल जाने पर इसका कहीं अधिक सफलतापूर्वक इलाज होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह है कि सभी महिलाओं को 21 साल की उम्र से ही गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच करानी शुरू कर देनी चाहिए। 21 से 29 साल की महिलाओं को हर साल पैप स्मियर परीक्षण कराना चाहिए। 30 साल की उम्र या इससे अधिक उम्र की महिलाओं को 65 साल की उम्र तक हर पांच साल में एक बार एचपीवी परीक्षण कराना चाहिए।
उपचार:
इस कैंसर का उपचार पीड़ित महिला के कैंसर की अवस्था और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर निर्भर करता है।
सर्जरी:
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के प्रारंभिक अवस्था में होने पर गर्भाशय को निकालने (हिस्टेरेक्टॅमी) के लिए सर्जरी की जाती है। हिस्टेरेक्टॅमी गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय को निकालने के लिए की जाने वाली एक सर्जरी है, जबकि रैडिकल हिस्टेरेक्टॅमी में गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय, दोनों अंडाशय, योनि का भाग और उस क्षेत्र में लिम्फ नोड्स को सर्जरी के जरिये हटाना शामिल है।
रेडिएशन:
इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और ट्यूमर को हटाने के लिए एक्स-रे का प्रयोग किया जाता है। रेडिएशन थेरेपी को सर्जरी व कीमोथेरेपी के साथ सम्मिलित रूप से भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कीमोथेरेपी के अंतर्गत कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। कीमोथेरेपी की कुछ प्रकार की दवाएं पीड़ित महिला में कुछ साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकती हैं। डॉक्टर के परामर्श और नियमित रूप से पैप स्क्रीनिंग और एचपीवी टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। (डॉ. मालविका सभरवाल वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, नई दिल्ली)
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