फिक्रमंद हों सशंकित नहीं
नवजात शिशु की देखभाल का अनुभव न होने के कारण मां-बाप अक्सर सहज रूप में कुछ गलतियां कर बैठते हैं। सही जानकारी हो तो बचा जा सकता है इस स्थिति से
नवजात शिशु की देखभाल का अनुभव न होने के कारण मां-बाप अक्सर सहज रूप में कुछ गलतियां कर बैठते हैं। सही जानकारी हो तो बचा जा सकता है इस स्थिति से
हर बात पर घबरा उठना
मां की कोख में सुरक्षित शिशु जब जन्म लेता है तो उसे वातावरण के साथ सामंजस्य बिठाने में कुछ वक्त लगता है। नवजात शिशु की प्रत्येक शारीरिक हरकत पर मां-बाप अक्सर घबरा उठते हैं, जो कि ठीक नहीं है। शिशु को समुचित पोषण प्राप्त हो रहा है अथवा नहीं? क्या उसका थूक ज्यादा निकल रहा है, कहीं यह उल्टी तो नहीं? उसे भोजन भली प्रकार पचता है या नहीं? उसे दस्त की परेशानी तो नहीं हो रही? नवजात शिशु के मम्मी-पापा अक्सर उपरोक्त बातों को लेकर चिंतित हो उठते हैं। इस कारण वह बच्चे के पालन-पोषण के दौरान मिलने वाली सुखद अनुभूति को खो देते हैं।
शिशु को रोने न देना
माता-पिता को लगता है कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि उनका बच्चा रोए नहीं। वे सोचते हैं कि बच्चे को कुछ तकलीफ है, जिसकी वजह से वह रो रहा है, जबकि हकीकत कुछ अलग होती है। सच तो यह है किबच्चों का रोना भी स्वाभाविक होता है। आपने उनका डायपर भली प्रकार बदला है। उन्हें समुचित पोषण भी मिला है। इसके बावजूद वे रोते हैं। दरअसल अपनी बात कहने का शिशुओं का यह अपना तरीका होता है। हां, उस दशा में आपकी चिंता उचित कही जाएगी, जब चुप कराने के बावजूद बच्चा एक घंटे से ज्यादा समय तक लगातार रोता रहे और उसे बुखार आ जाए। उल्टी, नाभि में सूजन या अन्य कोई असामान्य लक्षण दिखाई दे तो शिशु को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
स्तनपान के लिए जगाना
स्तनपान करने वाले शिशु सामान्यत: रातभर अच्छी नींद सोते हैं। उन्हें बीच में नहीं उठाना चाहिए। इस संबंध में अक्सर लोग गलत धारणा के शिकार होते हैं कि मां का दूध इतना गाढ़ा नहीं होता कि बच्चा रातभर भूख से मुक्त रह सके। इसलिए नींद से उठाकर उन्हें रात में स्तनपान कराना चाहिए, जबकि नवजात और मां दोनों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह लाभदायक होगा कि उन्हें रात भर अच्छी नींद मिले।
थूक-उल्टी में गलतफहमी
बच्चा थूक निकाल रहा है या उल्टी कर रहा है, यह उसकी तेजी से नहीं, बल्कि फ्रीक्वेंसी से जांचना संभव है। अगर बच्चा गैस की तकलीफ के कारण उल्टी कर रहा है तो उसे प्रत्येक आधे घंटे या 45 मिनट पर उल्टी आएगी। इस संदर्भ में स्तनपान से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जबकि बच्चे का थूक निकालना स्तनपान से संबंधित है।
बुखार को न समझना
बच्चे की जिंदगी के शुरुआती तीन माह की समयावधि यदि उसे सौ फारेनहाइट से अधिक बुखार आता है तो यह फिक्रका विषय है। हां, पहले टीकाकरण के बाद आने वाला बुखार इस संबंध में अपवाद है। अक्सर अभिभावक यह कहते हुए देखे जाते हैं कि उनके बच्चे का शरीर आमतौर पर गर्म रहता है। उनका यह सोचना भूल है। शिशु का प्रतिरोधक तंत्र किसी भी संक्रमण से स्वत: बचाव के लिए तैयार नहीं होता। अगर आपके शिशु का शरीर गर्म रहता है और तापमान सौ से अधिक दर्ज होता है तो बिना देरी के उसे डॉक्टर को दिखाएं।
दांतों व मुंह की देखभाल
मां-बाप अक्सर बच्चे के दातों और मुंह की देखभाल के बारे में जब सोचना शुरू करते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। सच तो यह है कि शुरू से ही उन्हें इसका ख्याल रखना चाहिए। जब दांत निकलने लगें तो दूध पिलाने के बाद साफ गीले कपड़े से उसका मुंह और मसूड़े अवश्य साफ करें, इससे कैविटी होने का खतरा नहीं रहेगा। इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे को पर्याप्त मात्रा में फ्लूराइड मिले। पानी में फ्लूराइड प्राकृतिक अवस्था में पाया जाता है, जो कि दातों को सडऩ से दूर रखता है।
आपसी लड़ाई-झगड़ा
अक्सर मां-बाप यह सोचते हैं कि शिशु उनके बीच लड़ाई-झगड़े व रिश्ते में तनातनी को कहां समझ सकेगा? यहां वे गलत होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार तीन माह का शिशु भी माहौल को महसूस कर सकता है। शिशु न सिर्फ प्यार की भाषा समझते हैं, बल्कि रिश्तों में खिंचाव और लड़ाई-झगड़े को भी महसूस करते हैं। अगर आप उनके सामने रोजाना एक-दूसरे पर चीखते-चिल्लाते हैं तो नन्हें शिशु पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उसका विकास प्रभावित होता है। बेहतर होगा कि शिशु के सामने लड़ाई-झगड़े से दूर रहें।
देविका आहूजा