अब खून चढ़ाने से पहले नहीं करनी होगी ब्लडग्रुप की फिक्र
टोरंटो। किसी को खून चढ़ाने से पहले ब्लडग्रुप की सीमा हमेशा से परेशानी का सबब रही है। भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के एक दल ने किसी भी ग्रुप के खून को 'ओ' ग्रुप खून में बदलने की तकनीक ईजाद करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। 'ओ' ग्रुप का
टोरंटो। किसी को खून चढ़ाने से पहले ब्लडग्रुप की सीमा हमेशा से परेशानी का सबब रही है। भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के एक दल ने किसी भी ग्रुप के खून को 'ओ' ग्रुप खून में बदलने की तकनीक ईजाद करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। 'ओ' ग्रुप का खून सभी को चढ़ाया जा सकता है।
कई मामलों में मरीज के ब्लडग्रुप से मिलता जुलता खून ब्लडबैंक में नहीं होता। ऐसी स्थिति वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से चुनौती रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एंजाइम तैयार किया है जो इस समस्या को दूर कर सकता है। यह एंजाइम ग्रुप ए और बी खून से एंटीजेन को निकालता है। अगर ए या बी ग्रुप के खून से एंटीजेन निकाल दिए जाएं तो यह ग्रुप 'ओ' जैसा हो जाता है। प्रमुख शोधकर्ता डेविड क्वान ने कहा कि हमने इस प्रक्रिया में सक्षम एंजाइम बनाने की दिशा में कामयाबी हासिल की है। इसे बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने खास तकनीक का इस्तेमाल किया है जिसमें एंजाइम की कोडिंग करने वाले जीन में पहले बदलाव किया जाता है। फिर ऐसे बदलाव को चुन लिया जाता है जो ज्यादा प्रभावी हो।
भारतीय मूल के सहायक प्रोफेसर जयचंद्रन और उनकी टीम इस एंजाइम की मदद से टाइप ए और बी खून से कई एंटीजेन को हटाने में सफल रही। हालांकि चिकित्सकीय रूप से प्रयोग से पहले वैज्ञानिकों के सामने खून से सभी एंटीजेन को निकालने में एंजाइम को पूरी तरह सक्षम बनाने की चुनौती अभी शेष है।