सर्वाइकल कैंसर हिम्मत हारने की जरूरत नहीं
महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसरों में गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। महिलाओं की प्राय: सभीस्वास्थ्य समस्याओं में यह कैंसर तीसरे नंबर पर शुमार किया जाता है। इस कैंसर को कैसे किया जा सकता है परास्त...
महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसरों में गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। महिलाओं की प्राय: सभीस्वास्थ्य समस्याओं में यह कैंसर तीसरे नंबर पर शुमार किया जाता है। इस कैंसर को कैसे किया जा सकता है परास्त...
सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) गर्भाशय का ही भाग है, जिसकी जांच योनि मार्ग से की जा सकती है। सर्विक्स की चौड़ाई एक इंच से भी कम होती है और इसकी लंबाई लगभग डेढ़ इंच होती है। सर्विक्स एक विशेष प्रकार की मांसपेशियों से घिरा होता है और यह सतह की कोशिकाओं (सरफेश सेल्स) की एक पतली पर्त से ढका होता है। सरफेश सेल्स में ही गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर विकसित होता है। यह कैंसर सबसे पहले असामान्य तरीके से प्रीकैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होता है। लगभग 10 साल के बाद ये प्रीकैंसरस सेल्स वास्तविक कैंसर कोशिकाओं में तब्दील हो जाती हैं। ये कैंसर कोशिकाएं सर्विक्स की मांसपेशियों, निकटवर्ती टिश्यूज और शरीर के अन्य अंगों में फैल जाती हैं।
प्रमुख कारण
सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस है। यौन संपर्क से ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस सर्विक्स में संक्रमण पैदा कर देता है। इस संक्रमण के बाद सर्विक्स की प्रीकैंसरस सेल्स तेजी से बढऩे लगती हैं। अन्य कारणों में नियत समय से पहले माहवारी
होना, किशोरावस्था में गर्भवती होना, कई लोगों केसाथ शारीरिक संबंध होना या फिर ऐसा सेक्स पार्टनर जिसके अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबध हों। इसके अलावा धूम्रपान करना और यौन संपर्क से होने वाली बीमारियां भी सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ाती हैं।
किशोरियों को ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस से ग्रस्त होने का जोखिम कहीं ज्यादा होता है।
लक्षण
सर्विक्स में प्रीकैंसरस सेल्स होने पर कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। वस्तुत: सर्वाइकल कैंसर में उस वक्त तक लक्षण प्रकट नहीं होते, जब तक कि यह कई सालों बाद बढ़ी हुई अवस्था में न पहुंच जाए। फिर भी कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं...
- शारीरिक संपर्क के बाद योनि से रक्त स्राव होना।
-दो माहवारी के बीच में रक्तस्राव होना।
- योनि से गुलाबी रंग का स्राव निकलना।
- जब कैंसर अन्य टिश्यूज में फैलने लगता है, तो पेट के नीचे दर्द भी शुरू हो जाता है।
रोकथाम
ह्यूयूमैन पैपीलोमा वाइरस से बचाव करना सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए आवश्यक है। बाजार में सर्विक्स कैंसर की रोकथाम के लिए दो वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। इन वैक्सीन्स की तीन डोज दी जाती हैं, जो आजीवन सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये वैक्सीन्स किशोरियों और उन महिलाओं को भी लगायी जा सकती हैं, जिनकी उम्र 30 साल से कम हैं और जो शारीरिक संपर्क स्थापित करती हैं। याद रखें, वैक्सीन से सर्विक्स कैंसर से 70 फीसदी तक बचाव किया जा सकता है।
डायग्नोसिस
सर्वाइकल कैंसर उन कैंसरों में से एक है,
जिसका पता कैंसर विकसित होने से पहले ही
चल सकता है। इसका कारण यह है कि सर्विक्स
की सतह से सेल्स आसानी से प्राप्त की जा सकती
र्हैं और जिनका माइक्रोस्कोप से निरीक्षण किया जा सकता है। पैप स्मीयर टेस्ट के जरिये प्रीकैंसरस सेल्स की भी जांच की जा सकती है। पैप स्मीयर टेस्ट एक ओपीडी प्रक्रिया है, जो ज्यादातर क्लीनिकों और हॉस्पिटल में उपलब्ध है। अगर पैप स्मीयर प्रक्रिया में कोई असामान्यता सामने आती है, तब फिर कॉल्पोस्कोप के जरिये बॉयोप्सी की जाती है।
उपचार
सर्वाइकल कैंसर का इलाज उस अवस्था (स्टेज) पर निर्भर करता है, जिस स्थिति में कैंसर का पता चलता है। आमतौर पर शुरुआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर
के इलाज में सर्जरी का विकल्प खुला रहता है।
ऑपरेशन के जरिये गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, जिसे हिस्टेरेक्टॅमी कहा जाता है। जिन महिलाओं का कैंसर शुरुआती अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है, उनके लिए इलाज में कीमोथेरेपी-रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से भी सर्विक्स कैंसर का इलाज किया जाता है।
डॉ.अंशुमाला शुक्ला कुलकर्णी
वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ व लैप्रोस्कोपिक सर्जन
कोकिलाबेन-धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई