आंसू-पसीने के जरिये भी फैल सकता है जीका
वैज्ञानिकों ने पाया है कि जीका से पीडि़त व्यक्ति के आंसू या पसीने के जरिये संपर्क में आया दूसरा व्यक्ति भी जीका से पीडि़त हो सकता है।
जेएनएन, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने पाया है कि जीका से पीडि़त व्यक्ति के आंसू या पसीने के जरिये संपर्क में आया दूसरा व्यक्ति भी जीका से पीडि़त हो सकता है। ऐसा पहली बार पता चला है। इससे पहले जीका म'छर काटने से होने वाली बीमारी ही मानी जाती थी।
वैज्ञानिकों की जिस टीम ने इस बारे में पता किया है, उनमें एक भारतवंशी डॉ. शंकर स्वामीनाथन भी हैं। इस टीम के लोग अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ यूटाह स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधार्थी हैं। डॉ. स्वामीनाथन विश्वविद्यालय के संचारी रोग विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर हैं। इनलोगों की शोध रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी है।
कैसे चला पता:
73 साल के एक व्यक्ति ने दक्षिण पश्चिम मैक्सिको का दौरा किया था। यहां जीका फैला हुआ है। लौटने के आठ दिनों बाद उन्हें पेट में दर्द रहने लगा और बुखार चढ़ आया। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया तो उनका ब्लड प्रेशर लो था, हृदय गति तेज थी, उनकी आंखें लाल थीं और उनसे लगातार पानी गिर रहा था। थोड़े ही दिनों बाद उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनकी मृत्यु हो गई।
जब यह सज्जन अस्पताल में थे तो उन्हें देखने एक व्यक्ति गए। उन्होंने बुजुर्ग की आंखों का पानी पोछा और उन्हें बेड पर करवट लेने में मदद की। बुजुर्ग की मृत्यु के सात दिनों बाद इस व्यक्ति को भी जीका से पीडि़त पाया गया। यह व्यक्ति कभी ऐसे इलाके में नहीं गए जो जीका प्रभावित हो। पाया गया कि इस बुजुर्ग के अलावा वह जीका से बीमार किसी अन्य व्यक्ति से भी नहीं मिले।
क्या कहना है डॉक्टरों का:
डॉ. स्वामीनाथन का कहना है कि जिस बुजुर्ग का निधन हो गया, उनके खून में जीका के वायरस बुरी तरह फैल गए थे। इससे पसीना और उनकी आंखों से निकलने वाला पानी भी संक्रामक हो गया था। यह ऐसा उदाहरण है जिससे पता चलता है कि जीका प्रभावित क्षेत्र में जाए बिना भी कोई व्यक्ति जीका से प्रभावित हो सकता है। जीका से बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से भी यह बीमारी होने की आशंका रह सकती है। उन्होंने बताया कि यह भले ही पहला मामला हो लेकिन इस तरह की जानकारी मिलने के बाद हमें जीका को रोकने वाली दवा के बारे में ज्यादा गंभीरता से शोध करना होगा।