गठिया आएगा काबू में
गठिया के अनेक प्रकार हैं, लेकिन सभी प्रकार के गठिया का प्रतिकूल असर शरीर के जोड़ों पर पड़ता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर गठिया को काबू में रखा जा सकता है...
गठिया के अनेक प्रकार हैं, लेकिन सभी प्रकार के गठिया का प्रतिकूल असर शरीर के जोड़ों पर पड़ता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर गठिया को काबू में रखा जा सकता है...
सर्दियों में जोड़ों (ज्वाइंट्स) की सूक्ष्म धमनियों के सिकुड़ जाने के कारण व्यक्ति की दर्द सहने की क्षमता कम हो जाती है। इसी कारण जोड़ों की गठिया का दर्द सर्दियों में अधिक कष्टकारी होता है। अधिक देखभाल की जरूरत
सर्दी का प्रभाव उन जोड़ों पर अधिक होता है, जो त्वचा के नीचे सीधे महसूस किये जा सकते
हैं। जैसे उंगलियां, कलाई, घुटने और टखने। इस कारण से सर्दियों में मामूली गठिया से ग्रस्त
जोड़ों की अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। खासकर ऑस्टियो-अर्थराइटिस और
र्यूमेटॉइड अर्थराइटिस से पीडि़त लोगों को अधिक कष्ट उठाना पड़ता है। प्राय: हॉस्पिटल में
आने वाले गठिया के 50 प्रतिशत मरीज कहते हैं कि सर्दियों में उनके जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।
एक रिसर्च में यह पाया गया कि सर्दियों में जोड़ों के भीतर का द्रव पतला और क्षीण हो जाता है।
फलस्वरूप जोड़ों के घर्षण के कारण क्षरण, सूजन और दर्द बढ़ जाता है।
कसरत करें
घुटने की गठिया से प्रभावित कई लोगों को यह भ्रांति होती है कि चलने से घुटने की सतह घिसकर और खराब होती है, जबकि जोड़ों को चलाने से उनमें अधिक रक्त प्रवाह होता है। जोड़ों को चलाने से इनमें अधिक ऑक्सीजन पहुंचती है, जो हड्डियों, लिगामेंट्स, और मांसपेशियों आदि को और सशक्त बनाती है।
इसलिए घुटने और कूल्हे आदि की गठिया से प्रभावित लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि
उन्हें अपने जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए लगभग 30 से 40 मिनट तक रोज साइकिल
चलाना चाहिए। इसके अलावा तैरना या फिर समतल सतह पर चलना नितांत आवश्यक है।
लाभप्रद खानपान
गठिया से ग्रस्त व्यक्तियों को खानपान में ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्र्थों (अलसी,
अखरोट, सालमन और ट्युना फिश आदि) को वरीयता देनी चाहिए।
विटामिन युक्त हरी सब्जियां (जैसे पालक, पत्ता गोभी जो दर्द कम करने के गुणों के लिए
जानी जाती हंै) और विटामिन सी से भरपूर संतरे, नीबू, आंवला, टमाटर और मीठी लाल मिर्च आदि
को भी वरीयता देनी चाहिए। ये खाद्य पदार्थ जोड़ों के कार्टिलेज के क्षरण (क्षीण होने की प्रक्रिया)
को रोकने में सहायक हैं।
इसी प्रकार खाने-पीने में ओमेगा-6 फैटी एसिड वाली चीजें जैसे कॉर्न ऑयल, अधिक
बादी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ जैसे बंैगन, फूलगोभी, कटहल, भिंडी और दही या दही से
बनी वस्तुएं नहीं खाना चाहिए।
इलाज
यदि कोई व्यक्ति काफी समय से घुटने की गठिया से पीडि़त है और दवाओं से उसे राहत
नहीं मिल रही है और उसे ऑपरेशन की सलाह दी गयी है, तो जाड़े का समय उसके
लिए सर्वोत्तम होता है। मौजूदा संदर्भ में यहां यह समझ लेना आवश्यक होगा कि घुटने की
गठिया में आर्थोस्कोपी, स्टेम सेल थेरेपी, ज्वाइंट स्पेसर, हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी, यूनी
कॉन्डाइलर नी (आंशिक घुटना प्रत्यारोपण) और पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण आदि प्रकार के ऑपरेशनों
द्वारा इलाज होता है। यहां यह समझ लेना भी आवश्यक है कि आधुनिक मेडिकल साइंस के
युग में हाथ की उंगलियों के जोड़ों, कलाई, कुहनी, कंधे और गर्दन की गुरियों (वर्टिब्रा) के
जोड़, कमर की वर्टिब्रा के जोड़, कूल्हे, घुटने, और पैर के टखने आदि जोड़ों का पूर्ण प्रत्यारोपण
किया जा रहा है।
जहां तक घुटने की गठिया के इलाज का सवाल है, वहां यह स्पष्ट रूप से समझने की
आवश्यकता है कि कब कौन-सी सर्जरी कारगर होगी। मूलरूप से घुटने की गठिया की अवस्था,
जोड़ का कौन सा कितना भाग क्षतिग्रस्त है, घुटने में कोण (एंगल) विकार है या नहीं और चाल
कैसी है आदि बातों पर इलाज की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है।
डॉ. आर. के. सिंह
सीनियर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन