अब कोई भी बन सकता है यूनिवर्सल डोनर
चौंकिए मत। भारतीय मूल के एक ब्रिटिश शोधकर्ता समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को यूनिवर्सल ब्लड डोनर बनाया जा सकता है। केनेडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया और सेंटर फॉर ब्लड रिसर्च के वैज्ञानिकों
चौंकिए मत। भारतीय मूल के एक ब्रिटिश शोधकर्ता समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को यूनिवर्सल ब्लड डोनर बनाया जा सकता है। केनेडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया और सेंटर फॉर ब्लड रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया एंजाइम विकसित किया है, जो ब्लड ग्रुप टाइप ए और बी से एंटीजेंस निकाल देता है। इससे यह ब्लड ग्रुप 'ओ'जैसा बन जाता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि इस ग्रुप का ब्लड हर ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है। शोधकर्ता जयचंद्रन और डेविड वान के मुताबि$क इस कामयाबी के बाद घायल या गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए डोनर ढूंढने की परेशानी दूर हो जाएगी।
कोलोन कैंसर को बढने से रोकता है अखरोट
एक ताजा शोध के अनुसार अखरोट का रोजाना सेवन कोलोन कैंसर फैलने की र$फ्तार को कम करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अखरोट के सेवन से कुछ ऐसे जेनेटिक बदलाव होते हैं, जो कैंसर के ट्यूमर को बढऩे से रोकते हैं। शोध के दौरान इस बात का परीक्षण किया गया कि क्या अखरोट का सेवन हमारी जीन माइक्रो-आरएनए में बदलाव लाने में सक्षम है। अमेरिका स्थित हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ता क्रिस्टोस मेंटजोरोंस का कहना है कि अखरोट के सेवन से कोलोन कैंसर ऊतकों से संबद्ध माइक्रो-आरनए में व्यापक बदलाव होता है। साथ ही यह ट्यूमर के आसपास सुरक्षित फैटी एसिड भी एकत्र करता है। अखरोट में पाया जाने वाला अल्फा लिनो लेनिक एसिड शरीर की कई महत्वपूर्ण क्रियाओं में सहायक होता है। अखरोट में कई ऐसे तत्व हैं, जो कैंसर युक्त ट्यूमर के विस्तार को रोकते हैं।