ये 10मंत्र देंगे आपको खुशी
इस धरती पर मनुष्य सबसे श्रेष्ठ प्राणी है। श्रेष्ठ इसलिए कि ईश्वर ने उसे बुद्धि दी है। सुखी जीवन जीने के लिए जरूरी है कि हम दूसरे लोगों से प्यार, दया और सहानुभूति का भाव बनाए रखें। वेदों में भी सुखी जीवन के ऐसे कुछ खास मंत्र दिए गए हैं, जिनका पालन करके हम सुखी जीवन जी सकते हैं। 1. धै
इस धरती पर मनुष्य सबसे श्रेष्ठ प्राणी है। श्रेष्ठ इसलिए कि ईश्वर ने उसे बुद्धि दी है। सुखी जीवन जीने के लिए जरूरी है कि हम दूसरे लोगों से प्यार, दया और सहानुभूति का भाव बनाए रखें। वेदों में भी सुखी जीवन के ऐसे कुछ खास मंत्र दिए गए हैं, जिनका पालन करके हम सुखी जीवन जी सकते हैं।
1. धैर्य बनाए रखें
वेदों के अनुसार किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धैर्य की बहुत आवश्यकता होती है। कभी-कभी हमारे जीवन में ऐसी विषम परिस्थितियां आती हैं, जो हमें डराती हैं तथा लक्ष्य से भटकने पर मजबूर करती हैं। ऐसे समय में धैर्यपूर्वक आगे बढ़ने से ही सफलता मिलती है।
2. क्षमा करना
दूसरों को क्षमा करना सबसे बड़ा गुण है। हमें किसी से भी बदले की भावना से कोई कार्य नहीं करना चाहिए तथा सभी के लिए क्षमा भाव रखना चाहिए। यह क्रोध को नियंत्रित करने तथा ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की अचूक दवा है। इसे जीवन में अपनाकर देखें। आपको शांति और शक्ति मिलेगी।
3. संयम रखें
मन और मन की उड़ान को नियंत्रित करने की विधा को संयम कहते हैं। हमें संयम से रहते हुए ही हमेशा सारे कार्य करने चाहिए तथा अधर्म और बुरे कार्यों व विचारों से बचना चाहिए।
4. चोरी न करना
वेद हमें धोखे से, चालाकी से, ठगी से, चोरी से और अन्य गलत तरीकों से धन अर्जन न करने की सलाह देते हैं। हमें इसका पालन करना चाहिए।
5. पवित्रता का ध्यान
वेद हमें हमारे व्यवहार, विचार, सोच व कार्य में स्वच्छता व पवित्रता बनाने रखने की सलाह देते हैं। मानव जीवन का निर्माण उसकी सोच पर ही निर्भर है। हम जैसा सोचेंगे वैसा ही बनेंगे। अत: हमें हमेशा अपनी सोच की पवित्र बनाए रखना चाहिए।
6. इंद्रियों पर नियंत्रण
हमारा मन और हमारा शरीर पांच इंद्रियों द्वारा नियंत्रित होता है। वे इस प्रकार हैं
आंखें: किसी वस्तु को देखने में हमारी मदद करती हैं।
कान: हमें ध्वनि का ज्ञान कराते हैं।
नाक: हमें सुगंध और दुर्गंध का अनुभव कराती है।
जीभ: हमें स्वाद का अनुभव कराती है।
त्वचा: हमें स्पर्श का ज्ञान कराती है।
ये पांचों इंद्रियां हमारे मन और शरीर में संचार के माध्यम हैं तथा ये नियमित रूप से हमारे मस्तिष्क को बाहरी संसार के बारे में सूचनाएं भेजते रहते हैं। अत: इन पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण करके हम अपने मन व शरीर को नियंत्रित कर सकते हैं।
7. बुद्धिमान बनो
वेद हमें किसी भी कार्य को बुद्धिपूर्वक करने की सलाह देते हैं तथा बुद्धिमान बनने की प्रेरणा देते हैं। हमारी सद्बुद्धि हमारी संगति पर निर्भर करती है। अत: हमें हमेशा सही लोगों की संगति करनी चाहिए और कुसंगति से बचना चाहिए।
8. विद्या अर्जन
हमारे जीवन में विद्या का विशेष महत्व है। विद्या ही हमें हमारे आसपास व सुदूर समस्त ब्रम्हांड का ज्ञान कराती है। विद्या हमें प्रसन्नता प्रदान करती है। विद्या अर्जन से हमारे मन में अच्छे विचार पैदा होते हैं तथा हम ज्ञान अर्जन कर पाते हैं।
9. सच का साथ
वेद हमें सत्य और प्रिय सत्य बोलने की सलाह देते हैं। हालांकि कड़वा सच बोलने से रोकते हैं तथा झूठ न बोलने की भी प्रेरणा देते हैं। आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने तथा उन्हें बेहतर बनाए रखने में सच का विशेष महत्व है। यदि हम वास्तव में सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो हमें सच का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
10. क्रोध न करना
वेद हमें क्रोध से दूर रहने तथा सहनशीलता को आत्मसात करने की सलाह देते हैं। वेद हमें शत्रुओं के प्रति भी क्रोध भावना न रखने की सलाह देते हैं।
यदि हम उपरोक्त दस सूत्रों को पालन करने का संकल्प लेते हैं तो निश्चित ही हमारे आने वाले दिन व जिंदगी सुखमय हो जाएगी। आइये इन्हें अपनाने का संकल्प करें।