श्रद्धालुओं को सुनाया परीक्षित के जन्म का वृत्तांत
संवाद सहयोगी, सरस्वतीनगर : सरस्वती धाम स्थित सीताराम मंदिर में महंत हरिदास के नेतृत्व में चल रह
संवाद सहयोगी, सरस्वतीनगर : सरस्वती धाम स्थित सीताराम मंदिर में महंत हरिदास के नेतृत्व में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को कथाव्यास पं. विपिन बिहारी शास्त्री ने कहा कि शुकदेव के जन्म, महाभारत प्रसंग और परीक्षित के जन्म का वर्णन किया।
शास्त्री ने कहा कि कलियुग के प्रभाव के कारण राजा परीक्षित ने लोमस ऋषि का अपमान करने पर श्रृंगि ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया कि सातवें दिन तक्षक सर्प के डसने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। इसलिए राजा परीक्षित राज पाट का त्याग कर देते हैं और इसके बाद शुकदेव जी का आगमन होता है। कथा के अंतिम प्रसंग में उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि व्यक्ति को जीवन मे अधिक से अधिक सत्य को स्वीकार करना चाहिए। सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं और असत्य से बड़ा कोई अधर्म नहीं होता। इसलिए जीव को सत्य का आश्रय अवश्य लेना चाहिए। सत्य को स्वीकार करने से ही व्यक्तित्व में निखार आएगा। इस मौके पर सुशी बंसल, अनिल गोयल, भूपेंद्र गोयल, बसंत, अमरचंद गोयल, जोनी, भूरा सैनी, विनोद वर्मा आदि उपस्थित थे।