एक-एक नोट को तरस रहे अन्नदाता
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नोटबंदी के बाद यमुनानगर-जगाधरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक-एक
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नोटबंदी के बाद यमुनानगर-जगाधरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक-एक नोट के लिए धरतीपुत्र तरस रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भले ही कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए हों, लेकिन बड़ा असर आम ¨जदगी पर भी पड़ रहा है। जिले में तीन-चार माह पहले जहां मानसून ने जमकर कहर बरपाया था, वहीं अब नोटबंदी से नया संकट आ गया। सबसे बड़ी समस्या नकदी की है। गेहूं बिजाई का सीजन चल रहा है, लेकिन किसानों के पास खाद-बीज तक के लिए पैसे नहीं है। ऐसे में सुबह खेत पर जाने के बजाय बैंक जा रहे हैं। फसल के साथ ही उन्हें अपने परिवार का गुजारा करने की ¨चता भी सता रही है।
पैसे के अभाव में किसानों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा परेशानी उन किसानों को है जिनके गांवों में बैं की व्यवस्था नहीं है। गांवों के नजदीक कोऑपरेटिव बैंक शाखाएं हैं। इन शाखाओं में तो नोट चलते नहीं। इसलिए उनको पैसे के लेन-देन के लिए शहर की दौड़ लगानी पड़ती है। इसके अलावा डाकघर में भी कई किसानों ने अपने खाते खोल रखे हैं, क्योंकि हर गांव में तथा दो से पांच किलोमीटर की दूरी पर डाकघर बने हैं। सहूलियत के अनुसार किसानों ने अपने खाते खोल रखे हैं। किसानों का कहना है कि बैं से निराश होकर लौटने पर वह डाकघर का चक्कर लगाते हैं। किसानों की माने ताो डाक घर में अब तक नकदी नहीं पहुंचाई गई। इससे उनके सारे कार्य बीच में लटके हुए हैं। पैसों के अभाव में बिजाई कार्य प्रभावित हो रहा है। वह बीज, खाद की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं। जो पैसे बचाकर रखे थे वह अब तक विभिन्न कार्यो में खर्च हो गए। बातचीत में किसानों ने अपने विचार व्यक्त किए।
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बिजाई के सीजन में जेब खाली
बिलासपुर के किसान जंगशेर ¨सह का कहना है कि बिजाई का सीजन चल रहा है। यह कार्य बिना पैसों के संभव नहीं है। वह पैसे के लिए पिछले कई दिन से खुद बैं की लाइन का सामना करना पड़ रह है। उनका कहना है कि वह सरकार के साथ है। थोड़ी बहुत दिक्कत तो झेलनी पड़ती है।
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पहले इंतजाम करना चाहिए था
बिलासपुर के अमर ¨सह का कहना है कि बदलाव के साथ परेशानी तो उठानी ही पड़ रही है। सरकार को पहले से ही इसकी व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी। सरकार थोड़ा और वक्त देती तो इतनी परेशानी झेलनी नहीं पड़ती। फिर भी इसका लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा।
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पैसे के लिए खा रहा हूं धक्के
रादौर के किसान बाबूराम का कहना है कि नई करंसी के लिए वह धक्के खाने को मजबूर हैं। गांव के नजदीक बैंों की शाखा नहीं है। जिन गांवों में है, वहां स्थिति बेहतर नहीं है। कैश के लिए वह दूसरे लोों की तरह भटक रहे हैं। वह भी पैसे के लिए बैं गए थे, उनको बदले में नहीं मिले। केवल जमा कराने के बाद लौटे हैं।
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परेशानी का सामना करना पड़ रहा यमुनानगर के किसान हरपाल का कहना है कि किसानों को और छूट सरकार को देनी चाहिए। इस समय नोटबंदी के 25 दिन बीत चुके हैं। काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान सरकार ने कभी कोई ऐसी घोषणा नहीं की जो किसानों के हित में रही हो। वह खुद भी पैसे के लिए इस समय परेशान हैं। उनके पास छोटी करंसी थी जो अब खत्म हो चुकी है। इसलिए निर्णय से पहले सरकार को अच्छी तरह विचार विमर्श करना चाहिए था। शादी के लिए खरीदारी में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।