विस अध्यक्ष के गोद लिए गांव तक नहीं पहुंची उज्ज्वला
अमरदीप गुप्ता, यमुनानगर विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर के गोद लिए चांदपुर गांव में रसोई को ध्
अमरदीप गुप्ता, यमुनानगर
विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर के गोद लिए चांदपुर गांव में रसोई को धुआंरहित करने के दावों को अभी तक धरातल नहीं मिल पाया हैं। कुल आबादी के करीब आधी रसोईघरों तक आज तक भी गैस सिलेंडर और चूल्हा नहीं पहुंचा रहा है। मौके पर जाकर जब इसकी पड़ताल की गई तो किसी को योजना की जानकारी नहीं है तो कोई आर्थिक तंगी बता रहा हैं। हालांकि योजना के तहत सरकार की ओर से कुल 1600 रुपये में सिलेंडर, चूल्हा रेगुलेटर आदि दिए जा रहे हैं, लेकिन गृहिणियां लकड़ियों से आग जलाकर चूल्हे ही खाना पका रही हैं।
वर्ष-2011 की जनसंख्या के मुताबिक जिले में करीब 32 हजार परिवारों तक गैस सिलेंडर पहुंचाना है, लेकिन उज्ज्वला योजना के दायरे में आने वाले करीब 17 हजार परिवारों को लाभ मिल पाया है। इस योजना के दायरे में वह लोग आते हैं जो बीपीएल राशन कार्ड धारक हैं और पहले से गैस कनेक्शन न ले रखा हो। एक कनेक्शन लेने के लिए 1600 रुपये अदा करने पड़ते हैं और शेष राशि राज्य सरकार वहन कर रही है।
चांदपुर में यह हालात
चांदपुर गांव अराइयांवाला ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है और करीब पांच की आबादी है। उज्ज्वला योजना को शुरू किए कई माह बीत जाने के बावजूद यहां गृहिणियां जंगल से लकड़ियां चुनकर लेकर आती हैं और उन्हीं को जलाकर खाना तैयार करती हैं। कई रसोई घरों में तो हालात ऐसे हैं कि चूल्हे से धुआं क्रॉस होने का भी रास्ता नहीं है। खाना बनाते समय पूरी रसोई धुआं-धुआं हो जाती है। ऐसे हालात में परिवार के लिए खाना तैयार करना गृहिणियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
फोटो : 18
घर में नहीं सिलेंडर : रहिशा
मुस्तकीम की पत्नी रहिशा ने बताया कि उन्होंने न तो मायके में सिलेंडर देखा और न ही ससुराल में। आज भी लकड़ी से चूल्हा जलाकर खाना बनाती हैं। उज्ज्वला स्कीम क्या है, इस बारे में तो वह नहीं जानती, लेकिन पिछले दिनों जब सिलेंडर लेने के लिए गए तो वोटर कार्ड न होने के कारण उनको कनेक्शन नहीं मिला। दिक्कत तो होती है, लेकिन क्या करें, लाचारी है।
फोटो : 19
गर्मी में तो बुरा हाल हो जाता
गफूर की पत्नी मीना कहती हैं कि सिलेंडर न होने से खाना लकड़ी और उपलों को जलाकर ही बनाती हैं। सर्दी में तो इतनी दिक्कत नहीं होती, लेकिन गर्मियों में तो बुरा हाल हो जाता है। गफूर ने बताया कि उसकी पहली पत्नी का देहांत हो गया था और स्कीम के तहत उन्हीं के नाम सिलेंडर मिलना था। अब सोच रहे हैं कि जल्दी की सिलेंडर लेकर आएंगे।
फोटो : 20
नहीं करते ठीक से बात : सलमा
तौयब की पत्नी सलमा का कहना है कि वोटर कार्ड न होने से उनको सिलेंडर नहीं मिल पाया। खाना बनाते समय पूरा घर धुआं-धुआं हो जाता है। बहुत परेशानी होती है। जब गैस एजेंसी पर सिलेंडर के लिए जाते हैं तो कोई सीधे नाक बात भी नहीं करता। कई बार तो तबीयत भी खराब हो जाती है।
फोटो : 21
योजना गांव तक नहीं पहुंची : रजिया
रजिया का कहना है कि उज्ज्वला योजना उनके गांव तक नहीं पहुंची है और उनके सहित गांव में ऐसे कई परिवार हैं, जो सिलेंडर से वंचित हैं। घरवाले दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और उनको इस बारे में जानकारी नहीं हैं। कई बार गैस एजेंसी में गए, लेकिन सिलेंडर नहीं मिला।
फोटो : 22
स्वास्थ्य पर पड़ता असर : रुकसार
आसिफ अली की पत्नी रुकसार का कहना है कि करीब एक वर्ष शादी को हुआ है। नया वोटर कार्ड नहीं बना है। योजना के बारे में तो उनको जानकारी है, लेकिन रसोई में खाना लकड़ी जलाकर ही बनता है। अब गैस सिलेंडर मंगवाने की कोशिश करेंगे। लकड़ियां जलाकर खाना बनाना बहुत मुश्किल है। आंखें खराब हो जाती हैं और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
इनसेट
फोटो : 23
योजना की जानकारी नहीं : सरवरी
सरवरी का कहना है कि किसी भी योजना की जानकारी उनको नहीं मिल पाती। उज्ज्वला योजना क्या है और सिलेंडर कैसे मिलेगा, इस बारे भी उनको जानकारी नहीं है। सरकार को चाहिए कि ग्रामीणों को योजना की जानकारी दें और जो गरीब परिवार हैं, उनको भी सिलेंडर की सुविधा मुहैया कराए।
इनसेट
उज्ज्वला योजना के तहत योग्य पात्रों तक सिलेंडर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। करीब 17 हजार पात्रों को लाभ दिया जा चुका है। कुछ लोग स्वयं ही दिलचस्पी नहीं दिखाते। अब सरपंचों से गांवों में विशेष जागरूकता कैंप लगवाए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ दिया जा सके। विभाग की कोशिश है कि हर रसोई तक गैस सिलेंडर पहुंचे।
- सुरेंद्र धौलरा, डीएफएससी।
सरकार की इस योजना का लोगों को लाभ मिल रहा है। जिन घरों में आज भी लकड़ी में खाना पकता है, जल्द से जल्द उन घरों में सिलेंडर व गैस चूल्हा पहुंचे इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
- कंवरपाल गुर्जर, विस अध्यक्ष।