पड़ोसी राज्य की मिलीभगत से तैयार हो रही मिलावटी मिठाई
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मिलावटी मिठाई भले ही दुकानों पर बिक रही हो, लेकिन मिलावट
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मिलावटी मिठाई भले ही दुकानों पर बिक रही हो, लेकिन मिलावट का सामान पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आ रहा है। नकली खोया रोडवेज की बसों और ट्रेनों से शहर लाया जा रहा है। यहां से इसे बड़ी सावधानी से दुकानों ओर बड़े प्रतिष्ठानों तक पहुंचा दिया जाता है। यह काम रात में या सुबह ही होता है, ताकि किसी को पता भी न चले।
12 बसें जाती उत्तर प्रदेश
हरियाणा रोडवेज के यमुनानगर डिपो की 12 बसें उत्तर प्रदेश जाती हैं। अंतिम बस हरिद्वार से साढ़े चार बजे चलती है, जो रात को आठ बजे के बाद ही यमुनानगर आती है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश डिपो की भी कई बसें यमुनानगर आती हैं। ये बसें यमुनानगर से होकर चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि जगह जाती हैं। इन बसों में कट्टों में भर कर खोया शहर में लाया जाता है, लेकिन इसे बस स्टैंड के बजाय बीच रास्ते में ही उतार दिया जाता है।
सामान की नहीं होती जांच
सच तो ये है कि बसों में उत्तर प्रदेश से आने और जाने वाले सामान की चै¨कग ही नहीं की जाती। यहां तो नकली खोया की बात हो रही है। हो सकता है कोई संदिग्ध सामान भी आता-जाता हो। रोडवेज परिचालक तो बस सामान का किराया लेकर खानापूर्ति कर लेते हैं। भले ही सामान कोई भी हो। परिचालक एक बार भी नहीं पूछते की जो सामान कट्टे में बंद है उसमें क्या है।
बाइक और कार का भी होता इस्तेमाल
मिलावटी खोया की छोटी दुकानों पर ज्यादा है, क्योंकि ज्यादातर छोटे दुकानदार रेडीमेड मिठाई खरीद कर दीपावली पर बेचते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे दुकानें ज्यादा देखने को मिलती हैं। इसलिए मिलावटखोर बाइक या फिर कार में नकली खोया इन दुकानों पर सप्लाई करते हैं।
मिलावट का गणित खुद लगाएं
शहर में दूध 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अमूमन एक किलो शुद्ध दूध में दो सौ ग्राम खोया बनता है। यानी एक किलो खोया तैयार करने के लिए कम से कम पांच किलो दूध लेना पड़ेगा। इसकी कीमत 250 रुपये होती है, लेकिन बाजार में भी खोया 250 रुपये प्रति किलो है। अब सवाल यह उठता है कि दूध के रेट में खोया कैसे बिक रहा है, जबकि दूध से खोया निकालने में ईधन और लेबर का प्रयोग होता है वह अलग से है। यह कैसे संभव है। जाहिर है इस खोये की सफेदी पर गोरखधंधे की कालिख है।
कैसे होती है मिलावट
नकली खोया कास्टिक सोडा, यूरिया, रदी कागज और आलू को मिलाकर बनाया जाता है। नकली दूध से नकली खोया बनाना बेहद आसान है। नकली खोया बनाने के लिए पहले नकली दूध बनाया जाता है। मिलावटखोर पहले कुछ हिस्सा असली दूध का लेते हैं। फिर उसमें कास्टिक सोडा, यूरिया, रिफाइंड आयल मिलाकर आग में डाला जाता है। दूध में मलाई आ जाए, इसके लिए आरारोट डाला जाता है। दूध को सफेद करने के लिए सफेद स्याही डाली जाती हैं। अब अगर दूध को खोया बनाना है, तो उसमें आलू या फिर सोख्ता कागज मिलाकर उसे जलाया जाता है। यही नहीं मिलावटी खोया सूखे दूध यानी पाउडर से भी बनता है। पाउडर में रिफाइंड या डालडा मिलाया जाता है। इसके बाद मिश्रण की ¨पडी तैयार की जाती है। मिलावटी खोये की ये ¨पडियां फिर बाजार में बेचने के लिए सप्लाई की जाती हैं।
ये किया जा सकता है
- कलानौर बार्डर पर बसों से आ जा रहे सामान की चे¨कग होनी चाहिए।
- ट्रेनों यात्रियों के सामान की जांच होनी चाहिए।
- अधिकारियों को चाहिए रोडवेज चालकों व परिचालकों को इस बारे सचेत करे।
- बस स्टैंड पर रात के अंधेरे में आने वाली बसों पर नजर रखनी चाहिए। हो सके तो इसके लिए त्योहार के सीजन में अलग से कर्मचारी लगाए जा सकते हैं।
बार्डर पर चे¨कग हो : डॉ. जैन
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वीके जैन का कहना है कि ट्रेनों व बसों से भी मिलावटी खोया आ सकता है, इसलिए इनकी बार्डर पर ही चै¨कग की जानी चाहिए। शहर में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए हमने सैंपल लेने का अभियान चलाया हुआ है।