भगवान कृष्ण ने तोड़ा इंद्र का अभिमान : ईश्वरदयाल
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : व्रजवासियों पर जब भी संकट आया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनको संकट
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : व्रजवासियों पर जब भी संकट आया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनको संकट को दूर किया। उन पर जल बरसाने वाले इंद्र के अहंकार को भी भगवान ने तोड़ा। ये बातें कैंप स्थित श्री सनातन धर्म मंदिर में चल रही संगतमयी श्रीमद्भागवत कथा के दौरान पं. ईश्वरदयाल पांडेय ने कहीं। शनिवार की कथा का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी रमेश शर्मा ने किया।
उन्होंने कहा कि व्यास जी ने ऋषियों को बताया भगवान श्रीकृष्ण ने पांच वर्ष की आयु में ही कई अहंकारियों के अभिमान को दूर किया। उनमें इंद्र भी शामिल थे। जब उसने अपने सामवर्तक मेघों को बृज में महाप्रलय के लिए भेजा, तब कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से मेघ को काट दिया। उसका सारा जल अगस्त मुनि ने ग्रहण कर लिया। उससे बृज में एक भी बूंद पानी की नहीं गिरा। उन्होंने कहा भगवान ने बाल्य अवस्था में ही अपनी ऊंगली पर गिरिराज पर्वत को सात दिनों तक धारण कर सभी को हैरान किया। उन्होंने कहा इस पर इंद्र ने स्वयं आकर प्रभु से माफी मांगी। इसके उपरांत भगवान ने पापी कंस का वध कर अपने नाना उग्रसेन और माता देवकी एव पिता वासुदेव को जेल से बाहर निकाला। उन्होंने कहा कि कथा का भाव यह है कि जो व्यक्ति प्रभु को सदैव अपने ह्दय में रखता है, वह बंधक मुक्त हो जाता है, जो व्यक्ति माया को अपने पास रखता है, वह बंधन में बंध जाता है। जो भगवान की भक्ति करता है, वह कष्टों से मुक्त हो जाता है। उसे जीवन के अंत समय में आनंद मिलता है, इसलिए मनुष्य को हमेशा भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए, जो उसके पापों को नष्ट कर जीवन को उज्ज्वल बनाती है। अंत में उन्होंने अपने भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किया। भजन मंडली के सदस्यों में श्रीराधा कृष्ण शास्त्री, कन्हैया लाल, सत्यदेव शर्मा, अशोक शर्मा, रमेश पांडे, आरती पांडे, बाल व्यास आदि शामिल रहे।