छोटा तस्कर चार हजार तो बड़ा 10 हजार क्विंटल बेचता खैर की लकड़ी
अमरदीप गुप्ता, यमुनानगर जिले में खैर की लकड़ी की तस्करी छोटे पैमाने से शुरू होकर बड़े
अमरदीप गुप्ता, यमुनानगर
जिले में खैर की लकड़ी की तस्करी छोटे पैमाने से शुरू होकर बड़े पैमाने तक पूरे सिस्टम से चल रही है। उसे रोकने के लिए कोई खासा प्रयास भी नहीं किया गया। एक माह पूर्व जिले में आई डीएफओ ने सख्ती कर एक के बाद एक गाड़ियां पकड़ीं। कार्रवाई से उन्होंने साफ चेता दिया कि अब खैर की तस्करी नहीं होने देंगे। लगातार दैनिक जागरण के मुद्दा उठाने के बाद से अधिकारी तो सतर्क हुए ही साथ ही खैर तस्करों में हड़कंप मचा हुआ है।
इस जिले के खैर तस्कर हर तरीके से हावी हैं। तस्करी में पहला व्यक्ति वे है, जो जंगल से लकड़ी काटकर गांव के बड़े तस्कर को बेचता है। गांव का ही बड़ा तस्कर खैर की लकड़ी इकट्ठा होने पर करीब साढ़े चार हजार रुपये प्रति क्विंटल में जगाधरी और यमुनानगर के तस्करों तक पहुंचाता है। यहां बैठे तस्कर उसे ट्रक या कैंटर में लोड कर प्रति क्विटल 10 हजार रुपये के हिसाब से उसे सोनीपत, कैथल आदि जिलों में चल रही फैक्टरियों में बेच देता है। यहां से भेजने वाले खैर माफिया की अन्य जिलों में से¨टग रहती है, जिससे उनकी गाड़ी कहीं भी नहीं पकड़ी जाती।
20 वर्ष पूर्व डीएफओ समेत कई आरओ हुए थे सस्पेंड
जानकारों की माने तो 20 साल पूर्व बंशीलाल की सरकार में वर्ष 1996 में ड्यूटी में कोताही बरतने पर यमुनानगर के डीएफओ समेत कई रेंज अफसर सस्पेंड किए गए थे। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई लंबे समय तक चली थी। इसके बाद यहां बतौर डीएफओ आलोक वर्मा को तैनात किया गया। उन्होंने तस्करों पर पूर्ण रूप से शिकंजा कसा था और खैर की लकड़ी की तस्करी पर पूर्ण अंकुश लग गया था। तीन वर्ष बाद डीएफओ का तबादला होते ही फिर से खैर तस्करी शुरू हो गई। लगातार जंगल कटते रहे और भारी मात्रा में खैर कट गया। उसके बाद से आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब कोई अफसर ड्यूटी में कोताही पर सस्पेंड किया गया हो।
इन गांवों के लोग काटते पेड़
सूत्रों के मुताबिक छछरौली और खिजराबाद क्षेत्र के एक विशेष समुदाय के अधिकांश लोग खैर तस्करी के कार्य में लिप्त हैं। जंगलों से खैर काटने से लेकर तस्करी करने में मुख्य रूप से कलेसर, फैजपुर, नागल, जाट्टोवाला, बागपत, खिल्लोवाला आदि गांव मशहूर हैं। इन गांवों में कई लोग ऐसे हैं, जो बड़े पैमाने में तस्करी में लिप्त हैं, बड़े नेटवर्क को चलाते हैं। इन गांवों से संबंधित कई मामले सामने आ चुके हैं। कलेसर गांव में एक विशेष समुदाय के कई माफिया सक्रीय हैं।