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कर्मचारियों की कमी सीवर लाइन की सफाई में बनी बाधा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कर्मचारियों की कमी सीवर लाइन की सफाई में बाधा बनी हुई है। स

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 03:01 AM (IST)
कर्मचारियों की कमी सीवर लाइन की सफाई में बनी बाधा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कर्मचारियों की कमी सीवर लाइन की सफाई में बाधा बनी हुई है। सफाई के अभाव में सीवर लाइन जाम रहती हैं, जिससे थोड़ी सी बरसात से कालोनियों के साथ घरों में दो से तीन फुट तक पानी जमा हो जाता है। शक्तिनगर में डाली गई सीवर लाइन की अर्से से सफाई नहीं की गई है, जिससे यहां के लोगों को बरसात में भारी आíथक नुकसान पहुंचता है। विभागीय अधिकारियों के आपसी तालमेल नहीं होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।

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गंदे पानी की निकासी के लिए डाली गई सीवर लाइन में शासन और प्रशासन की अनदेखी अड़ंगा बनी हुई। जनसंख्या के लिहाज से लाइन छोटी पड़ गई है और कर्मचारियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। पानी निकासी के लिए डाली गई सीवर लाइन, नियमित सफाई के अभाव में यह सुविधा के बजाय दुविधा बन गई। इससे विभाग के किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित होने लगे हैं।

यमुनानगर और जगाधरी दोनों पुराने शहर हैं। यहां पर ज्यादातर एरिया में सीवर लाइन डाली हुई है, लेकिन सीवर लाइन में जो पाइप लाइन डाले गए हैं, वह कनेक्शनों के सामने छोटे पड़ने लगे हैं। साथ ही अलग से सीवरेज ¨वग तो बनी है, लेकिन कर्मचारी इतने कम हैं कि नियमित सफाई नहीं हो पाती। हर साल नए क्षेत्र में सीवर लाइन तो डाली जाती है, लेकिन लोग कनेक्शन नहीं लेते। इससे भी कहीं न कहीं उद्देश्य पूरा नहीं होता। साथ ही विभाग के पास सीवर लाइन सफाई करने के लिए दो मशीनें हैं। जगाधरी की तंग गलियों में गाड़ी नहीं आ जा सकती। इससे भी काम प्रभावित होता है। नालों की जिम्मेदारी जहां नगर निगम पर है, वहीं सीवर लाइन की सफाई की जिम्मेदारी जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की सीवरेज ¨वग पर है, लेकिन दोनों में तालमेल की भी कमी दिखाई दे रही है। विभाग के अधिकारी की माने तो एक वर्ष पहले ही नालों की सफाई के लिए कह दिया गया था। किसी ने रुचि नहीं दिखाई, देरी का परिणाम सभी के सामने है। जिन क्षेत्रों में सीवर लाइन ब्लाकेज की ज्यादा समस्या है, वहां पर बार बार ब्लाकेज की समस्या बनी रहती है, जो विभाग के लिए मुसीबत है। विभाग के पास इसका स्थायी समाधान नहीं है। हेल्प लाइन तो है, लेकिन उस पर शिकायत दर्ज होने पर भी काम नहीं होता। इससे हेल्प लाइन भी समस्या हल नहीं कर पाती।

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यह है स्थिति

ट्विनसिटी के यमुनानगर में 417 किलोमीटर की सीवर लाइन है, जबकि जगाधरी में 200 किलोमीटर की सीवर लाइन है। यहां पर सीवर लाइन की देखरेख का काम विभाग की ओर से ठेके पर दिया हुआ है। बात अगर सीवर कनेक्शन की कि जाए तो जगाधरी में 6600 सीवर कनेक्शन हैं अब इससे अधिक हो चुके हैं। 15 मई से चले अभियान के दौरान 2550 सीवर के नए कनेक्शन जोड़े गए। साथ ही पानी के 1311 कनेक्शन वैध किए गए। इससे सरकार को 46 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। यमुनानगर में 18 हजार कनेक्शन हैं, लेकिन कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है। कर्मियों की कमी बाधा बनी है।

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यहां है ज्यादा परेशानी

यहां एक दो कालोनी नहीं है, जहां पर सीवर जाम की समस्या है। कई कालोनियां हैं, जहां पर सीवर लाइन ब्लाक की दिक्कत है। जगाधरी की मनोहर कालोनी, रूपनगर, झंडा चौक, पंसारी बाजार, पुराना छछरौली रोड, तेजली खेल स्टेडियम आदि मे सीवर लाइन ब्लाक की समस्या सामने आती है। वहीं अगर बात यमुनानगर की कि जाए तो आजादनगर, गुलाबनगर, कैंप क्षेत्र, चांदपुर, मॉडल टाउन, शक्तिनगर, वर्कशाप, सिटी सेंटर रोड में यह समस्या काफी है।

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बढ़ती हैं परेशानी

सीवर लाइन जाम होने से गंदा पानी गलियों में बहता। उससे न केवल आम-जनमानस की परेशानी बढ़ती हैं बल्कि वातावरण भी दूषित होता है। नालों पर जाली की व्यवस्था करवाना नगर निगम का काम है, लेकिन निगम इसे हल्के में ले रहा है। दूसरा, आबादी के मुताबिक सीवरेज व्यवस्था नहीं है और नियमित सफाई न होने के कारण अकसर अवरुद्ध हो जाते हैं। गंदगीयुक्त जल को सड़कों पर बहते हुए अकसर देखा जा सकता है। यमुनानगर व जगाधरी से औद्योगिक इकाइयों व निकासी के पानी को ट्रीट करने के लिए तीर्थ नगर व कैंप में दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हुए हैं, लेकिन क्षमता कम होने के कारण प्रतिदिन डिस्चार्ज हो रहा पानी ट्रीट नहीं हो पाता।

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तालमेल की है कमी

विभागों में तालमेल की बेहद कमी है। पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की सीवर लाइनों का गंदा पानी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में चला जाता है। वहां से पानी ट्रीट होकर नहर में जाता है। वहीं नगर निगम के नालों का गंदा पानी बिना ट्रीट हुए नहर में जाता है। पूरे शहर में सीवर लाइन नहीं है। जिस क्षेत्र में सीवर लाइन नहीं है, वहां का पानी नालों में बहता है। दोनों विभागों में गंदे पानी की निकासी को लेकर तालमेल नहीं है, जो नहर को साफ रखने में गतिरोध पैदा करता है। वहीं नदियों के किनारे या पूजा पाठ कर गंदगी डालने वालों को रोकने की जिम्मेदारी नहरी विभाग की है, लेकिन उनकी ओर से सिर्फ बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए हैं। किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। इसलिए नहर को साफ रखने में अड़ंगा पड़ा हुआ है।

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मिल सकती है समस्या से निजात

- सभी विभागों में तालमेल हो।

- ज्यादा से ज्यादा घरों में सीवरेज कनेक्शन हों।

- जगह-जगह गिर रहे गंदे पानी के नालों को बंद किया जाए।

वर्जन

जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के एक्सईएन अर¨वद रोहिला का कहना है कि सीवर लाइनों की नियमित सफाई की जाती है। यदि किसी भी क्षेत्र की कोई शिकायत होती है, तो उसे तुरंत दूर करा दिया जाता है। हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।


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