स्कूल संभालें या कुर्सी का भार
यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र : जिले में खंड शिक्षा अधिकारियों के छह में से पांच पद खाली पडे़ हैं। खाली पडे़ पांच पदों का अतिरिक्त कार्यभार राजकीय स्कूलों के मुख्याध्यापकों को सौंपा गया है, जिससे उन पर काम का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में वे न तो अपने स्कूल में पूरा समय दे पा रहे हैं और न ही बीईओ कार्यालय में। हालांकि सभी बीईओ अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं, लेकिन उन पर पडे़ काम के अतिरिक्त बोझ को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जिले में खंड शिक्षा अधिकारियों के छह पद हैं, जिनमें से केवल मुस्तफाबाद के बीईओ का पद ही स्थायी है। शेष बीईओ का कार्यभार स्कूल के प्रिंसीपल संभाल रहे हैं। बिलासपुर, साढौरा, छछरौली, रादौर, जगाधरी खंडों में शिक्षा अधिकारी के पद काफी समय से रिक्त पडे़ हैं। एक साथ दो चार्ज होने से वे कभी स्कूल तो दूसरी बीईओ कार्यालय में होते हैं।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि वे दोनों पदों पर जिम्मेदारी समझते हुए कार्य कर रहे हैं, लेकिन काम का बोझ काफी बढ़ गया है। अध्यापकों के वेतन का बजट, सरकारी योजनाओं की प्लानिंग, स्वच्छता अभियान, स्कूल में बच्चों का दाखिला, फाइलों पर हस्ताक्षर सहित कई ओर कार्य बीईओ के होते हैं। इसके अलावा डीईओ तो कभी अन्य अधिकारियों की मीटिंग में भी उन्हें जाना पड़ता है। उन्हें स्कूल को भी संभालना होता है, क्योंकि स्कूल में अगर कुछ गलत होता है तो उसकी गाज प्रिंसीपल पर ही गिरती है। ऐसे में दोनों तरफ ध्यान लगाना काफी मुश्किल कार्य है। हालांकि प्रिंसीपल दोनों पदों पर खुश हैं, लेकिन उनकी मजबूरी ये है कि वे इस बारे में खुलकर किसी को बता नहीं सकते। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी इससे अच्छी तरह से वाकिफ हैं, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं है।
परेशान होते हैं अभिभावक :
लोगों का कहना ये है कि जब वे कोई शिकायत लेकर बीईओ कार्यालय में जाते हैं तो पता चलता है कि वे स्कूल में गए हैं। ऐसे में परेशानी अभिभावकों को भी झेलनी पड़ रही है, क्योंकि उन्हें भागदौड़ ज्यादा करनी पड़ रही है।
निदेशक को लिखा हुआ है : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत कौर ने बताया कि बीईओ के छह में से पांच पद खाली हैं। इनके बारे में शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र लिख कर अवगत कराया हुआ है। स्थायी पदों को भरना उन्हीं के हाथ में हैं।
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