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दम तोड़ रही शहर को कैटल फ्री बनाने की मुहिम, खुलेआम घूम रहे लावारिस पशु

जागरण संवाददाता, सोनीपत: शहर की विभिन्न सड़कों और कॉलोनियों में घूम रहे लावारिस पश

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 02:55 PM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 02:55 PM (IST)
दम तोड़ रही शहर को कैटल फ्री बनाने की मुहिम, खुलेआम घूम रहे लावारिस पशु
दम तोड़ रही शहर को कैटल फ्री बनाने की मुहिम, खुलेआम घूम रहे लावारिस पशु

जागरण संवाददाता, सोनीपत: शहर की विभिन्न सड़कों और कॉलोनियों में घूम रहे लावारिस पशु कैटल फ्री नगर बनाने के प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल रहे हैं। बीच सड़क घूमते इन पशुओं की वजह से सड़कों पर अक्सर जाम लग जाता है, वहीं कई आवासीय कॉलोनियों में तो लावारिस पशुओं का इस कदर जमावड़ा लगा रहता है कि लोगों को घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। ऐसे पशुओं की शहर में बढ़ती तादाद को देखते हुए हरसाना गांव में नंदीशाला भी बनाई गई। एक मुहिम के तहत शहर की सड़कों से कुछ गोवंश वहां छोड़े भी गए, मगर अभी भी शहर के कैटल फ्री होने जैसी कोई बात देखने को नहीं मिल रही है।

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इस समय भी शहर के पॉश इलाकों से लेकर कॉलोनी में पशु घूमते रहते हैं। लावारिस घूमते गोवंश को लेकर सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब वह आपस में लड़ने लगते हैं तो काफी खूंखार हो जाते हैं। इसी लड़ाई की चपेट में कोई राहगीर आ जाता है तो वह घायल भी हो जाता है। पिछले दिनों इसी वजह से एक व्यक्ति को जान से भी हाथ धोना पड़ा था।

सुस्त पड़ गई है गोवंश पकड़ने की मुहिम

शहर की कॉलोनियों के लोगों का कहना है कि अब गोवंश पकड़ने की मुहिम दम तोड़ने लगी है। ककरोई चौक निवासी तरुण और रोहित ने बताया कि कुछ समय पहले सड़क और कॉलोनियों में घूम रहे पशुओं को गाड़ी में चढ़ाकर ले जाया गया था। कहा जा रहा था कि इन्हें नंदीशाला छोड़ा जाएगा। अब शहर में कहीं भी लावारिस पशुओं का जमावड़ा देखने को नहीं मिलेगा, मगर उन्हें पकड़ने की यह मुहिम तीन से चार दिन तक ही चल सकी। स्थानीय निवासियों ने बताया कि आसपास के इलाके में सैकड़ों लावारिस पशु हैं। यह तीन से चार दिन तक चंद पशु पकड़ने पर कम नहीं होंगे। इसके लिए एक बड़ी मुहिम चलाने की जरूरत है।

नई सब्जी मंडी के आसपास है सबसे बड़ा जमावड़ा

यूं तो लावारिस पशु शहर के हर हिस्से में आसानी से देखे जा सकते हैं, मगर इनका सबसे बड़ा ठिकाना नई सब्जी के आसपास वाले क्षेत्र में है। यहां लगते जटवाड़ा, सैनीपुरा और ओल्ड हाउ¨सग बोर्ड कॉलोनी के साथ ही मुरथल अड्डा के पास यह सबसे अधिक संख्या में देखे जाते हैं। लावारिस पशु मंडी और उसके आसपास फेंके जाने वाले सड़े गले फल और सब्जियों को खाने के लिए यहां इकट्ठा रहते हैं। पेट भरने के बाद पशु कॉलोनियों की ओर रुख कर लेते हैं। यहां पड़े खाली प्लाटों में इनका खास ठिकाना होता है। ओल्ड हाउ¨सग बोर्ड, हाउ¨सग बोर्ड एक्सटेंशन और ऋषि कॉलोनी में अलग-अलग झुंड में आराम फरमाते देखे जा सकते हैं। यहां के निवासियों का कहना है कि तंग गलियों में जब पशुओं का झुंड निकलता है तो सबसे बड़ी समस्या बच्चों को लेकर होती है, क्योंकि यह पशु किसी भी समय लड़ने लगते हैं। इसकी वजह से कई लोग इनकी चपेट में आकर घायल हो चुके हैं। इसके अलावा यह घर के बाहर खड़े वाहनों को भी कई बार नुकसान पहुंचा चुके हैं।

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पशुओं को पकड़ना लगातार जारी है। हरसाना नंदीशाला में साढ़े पांच सौ पशुओं को रखने की ही जगह है, जोकि पूरी हो चुकी है। इसी बीच में यह मुहिम थोड़ी मंद हो गई थी। कुमासपुर स्थित नंदीशाला में काम पूरा नहीं हो सका है। यहां केवल दो शेड ही तैयार हुए हैं और अभी तक कुल 530 लावारिस पशु यहां छोड़े जा चुके हैं। पूरे संसाधन होने पर यहां दो हजार तक पशु रखे जा सकेंगे। हमने अपने स्तर पर पशु पकड़ने की मुहिम को अब तेज कर दिया है।

- विनोद मेहरा, ईओ, नगर निगम


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