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कभी सूखा था तालाब अब रहता है लबालब

संवाद सहयोगी, गोहाना : सालभर पहले तक गांव खंदराई के लोग पीने के पानी और अपने पशुओं को पानी पीलाने

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 05:59 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 05:59 PM (IST)
कभी सूखा था तालाब अब रहता है लबालब
कभी सूखा था तालाब अब रहता है लबालब

संवाद सहयोगी, गोहाना : सालभर पहले तक गांव खंदराई के लोग पीने के पानी और अपने पशुओं को पानी पीलाने को लेकर चिंतित थे। गांव में पहले जो दूरसर वाला तालाब था उसकी हालत काफी खस्ता थी। उसकी तलहटी में में थोड़ा सा पानी बचा था। यह पानी ग्रामीण किसी भी तरह उपयोग में नहीं ला सकते थे। इस पानी को पशु तक पी सकते थे। ग्रामीणों के पीने की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती।

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गांव के लोग परेशान थे कि वे अपने पशुओं पानी कहां से पिलाएं। उनके पीने के पानी की गंभीर समस्या थी। पिछले साल दैनिक जागरण ने 'तलाश तालाबों की' अभियान चलाया। इस अभियान के तहत गांव में जीर्ण-शीर्ष अवस्था पड़े तालाब, अवैध कब्जे, अस्तित्व खो चुके तालाब की सुध ली गई थी। इस अभियान का लाभ यह हुआ कि विभिन्न गांवों की पंचायतों ने अपने-अपने क्षेत्र में स्थित तालाबों की सुध ली। पंचायतों ने जीर्ण-शीर्ष तालाबों का जीर्णोद्धार किया। अवैध कब्जे हटवाए और जो तालाब अस्तित्व खो चुके थे उन्हें फिर धरातल पर लाकर पंचायत के उपयोग लायक बनाया गया।

इसी अभियान से प्रेरित होकर गांव खंदराई की पंचायत ने तालाब को सुधारने का संकल्प लिया था। संकल्प को पूरा करने के लिए खंदराई गांव के सरपंच परवार ¨सह ने पंचायत फंड से तालाब के लिए ट्यूबवेल लगवाया। अब तालाब में गर्मी के दिनों में भी पानी भरा हुआ था। पंचायत के प्रयास और ग्रामीणों की जागरूकता से तालाब की सूरत ही बदल गई है।

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गांव में भी दी जाती है सप्लाई

ट्यूबवेल से जहां तालाब में पानी भरा जाता है, वहीं गांव में भी सप्लाई दी जाती है। इससे गांव में कुछ हद तक पीने के पानी की समस्या का समाधान हो गया है। तालाब में जब पानी कम हो जाता है तो ट्यूबवेल चला दिया जाता है।

'पर्याप्त नहरी पानी न मिलने से तालाब को भरने की समस्या बनी रहती थी। गर्मी के मौसम तालाब का पानी सूख जाता था, जिससे ग्रामीणों को पशुओं को पानी पिलाने व नहलाने में परेशानी होती थी। पंचायत ने ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए ट्यूबवेल लगवाया। इस ट्यूबवेल से गांव में पीने के पानी की आपूर्ति भी जाती है। जरूरत पड़ने पर तालाब में भी पानी भर दिया जाता है।'

परवार ¨सह, सरपंच, खंदराई।


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