प्रतिभा के परचम पर 'कुसुम'
संवाद सहयोगी, खरखौदा: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। लगन के साथ मेहनत की जाए तो गरीबी के रूप में
संवाद सहयोगी, खरखौदा: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। लगन के साथ मेहनत की जाए तो गरीबी के रूप में जकड़ी जंजीरों को तोड़कर इंसान कामयाबी के सोपान पर कदम रख सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गांव बिधलान की दरी बनाने वाली विधवा मां कर्मवती की बेटी कुसुम ने, जिसने मजबूरियों को खुद पर हावी नहीं होने दिया। अपनी मेहनत के बल पर बारहवीं कक्षा में ब्लाक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया। दरी बनाकर पढ़ाई करवा रही अपनी मां के विश्वास को डगमगाने नहीं दिया। आज मां को भी लाड़ली पर गर्व महसूस हो रहा है।
गांव बिधलान के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कुसुम ने कला संकाय में न केवल स्कूल स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया, बल्कि 466 अंक पाकर ब्लाक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। कुसुम ने आर्थिक तंगी की बेड़ियों से भी ऊपर उठकर अपनी छाप छोड़ने का काम किया है।
कुसुम के पिता का एक वर्ष पहले लकवे की बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया। बेटी की जिम्मेदारी विधवा मां कर्मवती पर आ गई। दरी बनाकर
बेटी का पालन-पोषण कर रही मां का कहना है कि बेटी पैदा होने पर खुद उसे व उसके पति को खूब खुशी हुई थी। बेटी को पूरी मेहनत के साथ पढ़ा रही हूं। मेहनत का फल बेटी ने अदा किया है। कुसुम कहती हैं कि जिस शिक्षा के बल पर आज उसकी पहचान बनी है। उसी शिक्षा रूपी दिए से एक शिक्षिका बनकर वह समाज में और उजाला करना चाहती है।