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सुरक्षा के लिए मांगी 30 कंपनी

जागरण संवाददाता,सोनीपत: जाट आरक्षण पर गरमाती राजनीति ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। इससे निप

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 05:38 PM (IST)
सुरक्षा के लिए मांगी 30 कंपनी
सुरक्षा के लिए मांगी 30 कंपनी

जागरण संवाददाता,सोनीपत: जाट आरक्षण पर गरमाती राजनीति ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। इससे निपटने के लिए प्रशासन ने सरकार से सुरक्षा के लिए 30 कंपनियां मांगी है। जिले में पुलिस की नौ कंपनी पहले ही तैनात है। इसके साथ ही प्रशासन ने दंगा निरोधी फोर्स भी तैयार की है।

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प्रशासन ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर धरने-प्रदर्शन में कोई अप्रिय घटना हुई तो पूरी जिम्मेदारी आयोजकों की होगी। धरना स्थल की जमीन के मालिक पर ऐसी कोई घटना होने पर गाज गिरेगी। प्रशासन आसपास के गांवों के लोगों से भी संपर्क कर ऐसी किसी भी घटना में शामिल न होने की अपील कर रहा है।

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खाप प्रतिनिधियों ने की अधिकारियों से मुलाकात :

कई खाप प्रतिनिधियों ने प्रशासन से बातचीत कर शांतिपूर्ण धरने की अनुमति मांगी है। हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी कुछ तय नहीं हुआ है। समुदाय प्रतिनिधि पहले ही 26 जनवरी को छोटूराम धर्मशाला में पंचायत कर इस पर फैसला लेने का मन बना चुके हैं। फिलहाल आरक्षण आंदोलन को लेकर समुदाय अभी भी दो गुटों में बंटा नजर आ रहा है। ऐसे प्रशासन को भी दिक्कत आ रही है किस गुट से बात की जाए।

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तीन जोन में बांटा हाईवे, मुनक नहर पर भी नजर :

पिछली बार आरक्षण आंदोलन के दौरान हाईवे क्षेत्र रण का मैदान बना था। इसी के मद्देनजर प्रशासन ने हाईवे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंधन करने की तैयारी की है। प्रशासन की ओर से हाईवे को तीन भागों में बांटा गया है। जहां अर्ध सैनिक बलों के साथ पुलिस जवान व अधिकारी अलग-अलग भाग में गश्त करेंगे। वह स्थिति पर नजर रखेंगे। पिछली बार जब आरक्षण आंदोलन हुआ तो मुनक नहर का पानी रोक दिया गया था। जिले में मुनक नहर का 21 किलोमीटर का क्षेत्र जिले में पड़ता है। जिस पर नजर रखने के लिए इसे भी तीन भागों में विभाजित किया गया है। ताकि निच्रानी अच्छे से हो सके। पीडब्ल्यूडी, नहरी विभाग के अधिकारियों को भी संसाधनों के साथ तैयार रहने के निर्देश जारी किए गए हैं।

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दागदार अधिकारियों पर भी रहेगी नजर :

जिला प्रश्चसन के उच्च अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पिछली बार के संदिग्ध अधिकारियों को जिम्मेदारियां तो सौंपी जाएगी, लेकिन उन पर कड़ी नजर भी रखी जाएगी। निगरानी में ही संदिग्ध अधिकारी काम करेंगे। गौरतलब है कि पिछली के आरक्षण आंदोलन के दौरान कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। जिन पर कार्रवाई भी हुई थी। हालांकि बाद में अधिकारी दोबारा सेवा में आ गए।

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सुरक्षा के लिए 30 कंपनियों की मांग की गई है। सुरक्षा के लिहाज से इंतजाम किए गए हैं। जल्द ही डीजीपी व गृह सचिव से वीडियो कांफ्रे¨सग के जरिए बात होगी। अधिकारियों को स्टेशन न छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।

के एम पांडुरंग, जिला उपायुक्त।


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