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ग्रामीणों के विरोध को दरकिनार कर जोहड़ पर किया अतिक्रमण

जागरण संवाददाता, सोनीपत : गांव की पहचान कहे जाने वाले तालाब धीरे-धीरे अतिक्रमण की भेंट चढ़ते चले

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 01:02 AM (IST)
ग्रामीणों के विरोध को दरकिनार कर जोहड़ पर किया अतिक्रमण

जागरण संवाददाता, सोनीपत : गांव की पहचान कहे जाने वाले तालाब धीरे-धीरे अतिक्रमण की भेंट चढ़ते चले गए। इसी कड़ी में गांव राठधाना का प्राचीन तालाब भी शामिल है, जहां ग्रामीणों के विरोध के बावजूद बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए तालाब के बीच ही रास्ता बना दिया। हालांकि ग्रामीणों ने उस समय भी इसका पुरजोर विरोध किया था, लेकिन विभागों की मिलीभगत व बिल्डर से सांठगांठ के कारण ग्रामीणों के विरोध को दरकिनार कर तालाब पर अतिक्रमण कर लिया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास शिकायत भी गई थी, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। इतना ही नहीं दो माह पहले सीएम ¨वडो में शिकायत देने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर ग्रामीण लामबंद हो रहे हैं।

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गांव राठधाना के ग्रामीणों का आरोप है कि दो साल पहले गांव की पंचायत, हुडा और प्रशासन ने निजी बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए धार्मिक स्थल दादा भैया के तालाब का अधिग्रहण कर उससे रास्ता निकाल दिया था। नरेला रोड से जीटी रोड को जोड़ने के लिए निजी बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए तालाब का अधिग्रहण किया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि कि निजी बिल्डरों ने तालाब के आसपास की जमीन खरीद रखी थी। अगर दूसरी जगह से रोड निकाला जाता तो अन्य प्लाट रोड के बीच में आ रहे थे। इस कारण तालाब का अधिग्रहण कर रोड निकालने का निश्चय किया।

जिस समय तालाब का अधिग्रहण किया गया था, उस समय तालाब में बहुत पानी था। तालाब पर गांव के पशु पानी पीते थे और अन्य कार्यो में भी इस तालाब के पानी का उपयोग होता था। ग्रामीणों ने इसका बहुत विरोध किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा से गुहार लगाई। मुख्यमंत्री के निर्देश से मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि ऐसा नहीं होगा।

इस संबंध में ग्रामीण धीर ¨सह ने बताया कि जब ग्रामीणों ने ज्यादा आपत्तियां दर्ज करवाई तो योजनाकार विभाग ने नया नक्शा तैयार किया था। उसी के अनुसार रास्ता निकालना तय किया गया। गांव के तत्कालीन सरपंच व अन्य पंचों ने निजी बिल्डर से सांठगांठ कर तालाब पर रास्ता बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया था।

ग्रामीणों ने बताया कि हुडा के माध्यम से तालाब का अधिग्रहण किया गया। इसके बाद कुछ समय बाद नए सिरे से पुन: तालाब का का अधिग्रहण करने का काम शुरू कर दिया गया। इस दौरान सरकार भी बदल गई। वर्ष 2014 में उस तालाब पर रास्ता बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। जब ग्रामीणों ने ज्यादा विरोध किया तो बिल्डर द्वारा ग्रामीणों को दूसरा तालाब बना कर देने की बात कही। धीर ¨सह ने बताया कि उस तालाब से रास्ता निकालने के बाद मंदिर के पास छोटा सा तालाब बनाया था। यह तालाब अब बहुत खस्ताहाल है इसमें न पानी रुकता है और न इसका उपयोग किसी अन्य प्रकार हो रहा है। ग्रामीण धीर ¨सह ने बताया कि फरवरी और मार्च में इस मामले की जांच करवाने के लिए सीएम ¨वडो में शिकायत भी दी है।

तालाब पर कोई अतिक्रमण नहीं किया था। यह तालाब स्वयं पंचायत ने निजी बिल्डरों को सौंपा था। सभी कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में हुई थी। इसमें हुडा की कोई भूमिका नहीं थी।

-दीपक गोयल, कार्यकारी अभियंता, हुडा।


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