पैकेज---स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की जरूरत
----फोटो-14 से 16----- --हरियाणा दिवस पर विशेष :- - पंद्रह लाख की आबादी की तुलना में स्वास्थ्य क
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--हरियाणा दिवस पर विशेष :-
- पंद्रह लाख की आबादी की तुलना में स्वास्थ्य केंद्र कम
- सरकार शहरी क्षेत्र में स्थापित करे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
जागरण संवाददाता, सोनीपत
सोनीपत शहर वैसे तो एनसीआर क्षेत्र में शुमार हैं, मगर यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो यहां के तमाम सरकारी अस्पताल 'रेफरल यूनिट' बनकर रह गए हैं। सरकारी मशीनरी ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर गंभीरता से प्रयास नहीं किए। यहां के अस्पतालों में विशेषज्ञ न के बराबर हैं। सामान्य चिकित्सकों की संख्या भी सृजित पदों की तुलना में बहुत कम है। हालात ये है कि यहां सामान्य बीमारियों का बमुश्किल इलाज हो पाता है। बीमारी के भयावह होने पर या तो मरीज को रोहतक स्थित पीजीआइ मेडिकल कॉलेज की राह पकड़नी पड़ती है या फिर दिल्ली की ओर।
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जिला अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी बनाने का प्रयास
पिछली सरकार ने जिले के एकमात्र अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी की तर्ज पर विकास का प्रयास किया था। जिसके तहत अस्पताल की बिल्डिंग को नया लुक प्रदान किया गया तथा कई आधुनिक चिकित्सीय यंत्र प्रदान किए गए। इसमें हृदय रोग से लेकर अन्य भयावह रोगों की जांच संबंधी मशीनें थी। इस तरह के चिकित्सीय उपकरण को चलाने के लिए भी निजी स्तर पर कारिंदों को भी लेने की प्रक्रिया चली थी। मगर नियमित तौर पर विशेषज्ञों की तैनाती नहीं होने से संबंधित उपकरण कबाड़ बन गए। बाद में उन मशीनों में से कुछ गोहाना स्थित महिला मेडिकल कॉलेज भेज दिए गए तो कुछ अन्य जिलों में शिफ्ट कर दिया गया।
गोहाना के मेडिकल कॉलेज ने दी सेवाओं को संजीवनी
गोहाना के मेडिकल कॉलेज ने काफी हद तक जिलेवासियों को संजीवनी प्रदान की है। इस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्राओं द्वारा मरीजों का उपचार भी किया जा रहा है। जिससे आसपास के ग्रामीणों को राहत मिली है।
ये है जिले की स्थिति
वर्ष 2014
कुल जनसंख्या- 15 लाख
1. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- 7
मानक : लगभग 1.20 लाख की जनसंख्या पर एक केंद्र।
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- 28
मानक : प्रति 30-40 हजार की जनसंख्या पर एक केंद्र।
3. सब सेंटर- 165
मानक : पांच से सात हजार की जनसंख्या पर एक।
4. आंगनबाड़ी- 1400
मानक : एक हजार की आबादी जनसंख्या पर एक।
आशा वर्कर- 1470
मानक: एक हजार की आबादी पर एक।
कुल चिकित्सक- 124
मानक: 100 की आबादी पर एक चिकित्सक।
लक्ष्य
- सामान्य अस्पताल से गंभीर रूप से बीमार मरीज को ही पीजीआइ रेफर किया जाए।
-सिविल अस्पताल में अविलंब विशेषज्ञ चिकित्सकों की होनी चाहिए तैनाती।
-जिले के दूसरे सामान्य अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी खाली पड़े चिकित्सकों के पदों को जल्द भरा जाए।
-सड़क हादसे के शिकार मरीजों
का बेहतर उपचार।
-गंभीर बीमारियों के इलाज से संबंधित दवाइयों की अस्पताल में व्यवस्था।
-सामान्य अस्पताल की आपातकालीन सेवा को आधुनिक सुविधाओं से किया जाए सुसज्जित।
चुनौती
- जीटी रोड के किनारे बसे शहर में ट्रामा सेंटर के लिए कोई सरकारी प्रयास नहीं होना।
- जीटी रोड के गांव बढ़खालसा जैसे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए सरकारी बिल्डिंग का नहीं होना।
- गांव जुआं व माहरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बने दो साल होने के बावजूद चिकित्सक तैनात को लेकर कदम नहीं उठाना।
- ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत खुले डिलीवरी हट में पर्याप्त संसाधन व कर्मचारी के लिए समुचित नियम का अभाव।
- विशेषज्ञ चिकित्सकों की निदेशालय स्तर पर नियुक्ति नहीं होना।
- कई इलाज जैसे हृदय रोग, डायबिटिज, उच्च रक्तचाप आदि से जुड़ी बीमारियों के इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं हैं।
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''जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए अस्पतालों की संख्या बढ़ानी चाहिए। इसी तरह अस्पतालों में चिकित्सकों की मौजूदगी का भी प्रावधान होना चाहिए। जिससे सभी रोगियों का इलाज संभव हो सके तथा किसी को निराश होकर निजी अस्पताल की ओर रुख नहीं करना पड़े।'
- सतपाल अहलावत, संरक्षक, साई जन सेवा समिति, सोनीपत।
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''प्रत्येक जिले में एक तो एम्स के स्तर का अस्पताल होना चाहिए। जिससे एक ही छत के नीचे मरीजों को सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया हो सके। कई बार अस्पताल में इलाज तो मिल जाता है लेकिन कई बीमारियों को लेकर टेस्ट बाहर करवाना पड़ता है। '
- डा. एलसी जिंदल, सेवानिवृत दंत चिकित्सक, महाराजा अग्रसेन सेवा मंडल के अध्यक्ष।
''कई बार गरीबों को अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल में जाना होता है। इस तरह के कारणों की पड़ताल करनी चाहिए। सरकारी सिस्टम को सभी स्तर पर उन्नत बनाने की जरूरत है।'
- डा. अशोक खत्री, बेटी बचाओ अभियान के संयोजक व सर्व जातीय खाप के प्रधान।
'' जिले के कम से कम एक सरकारी स्तर के बड़े अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर सुविधाओं से लैस करना चाहिए। ऐसे में सभी आने वाले मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। कई बार छोटी बीमारियों के विशेषज्ञों की कमी अस्पताल में हो जाती है। इस तरह की कमी के होने पर तत्काल उसकी पूर्ति के उपाय करने चाहिए। जिस तरह से जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है, सरकार को ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य केंद्र को सिर्फ टीकाकरण या फिर जच्चा-बच्चा के लिए उपयुक्त बनाने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उसे हर तरह की बीमारियों का कम से कम प्राथमिक स्तर पर जांच करने का केंद्र बनाना चाहिए। जो आम तौर पर निजी अस्पतालों में देखा जाता है। '
- डा. एचबीडी अरोड़ा, सेवानिवृत सिविल सर्जन।