इंचियोन से पदक लेकर लौटे अमित का हुआ भव्य स्वागत
----फोटो: 14 ---- -इंचियोन में पाई थी दोहरी सफलता -परिजनों व साथियों ने दी बधाई जागरण संवाद
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-इंचियोन में पाई थी दोहरी सफलता
-परिजनों व साथियों ने दी बधाई
जागरण संवाददाता, सोनीपत:
इंचियोन फतह कर लौटे गांव बैंयापुर के लाडले अमित सरोहा का गांव में पहुंचने पर परिजनों ने भव्य स्वागत किया। परिजनों व साथियों ने अमित को बधाई दी है। अमित ने पैरा एशियन खेलों की क्लब थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण व डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश को रजत पदक दिलाया था। अमित ने बुखार से पीड़ित होने के बाद भी अपना हौसला नहीं खोया था और देश को दो पदक दिलाए हैं।
बुधवार को दक्षिण कोरिया के शहर इंचियोन से दो स्वर्ण पदक लेकर लौटे अमित सरोहा को परिजनों ने सिर-आंखों पर बैठा लिया। अमित ने 24 अक्टूबर तक चले पैरा एशियन खेलों की क्लब थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण व डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश को रजत पदक दिलाया था। अमित के बड़े भाई सुमित ने कहा कि उसे अपने छोटे भाई पर नाज है। उसके भाई की उपलब्धियों ने उसे शिखर पर पहुंचा दिया है। उसके बावजूद उसका भाई कभी अहम नहीं करता। अमित की मां
दर्शना कहती है कि उसके लाडले से सदा कड़ी मेहनत की है। जिसके बलबूते ही आज वह विश्व भर में छा चुका है। उसके लाडले के साथ हुए इतने बड़े हादसे के बाद भी वह संभलने में कामयाब रहा।
अमित का हौसला है उसकी ताकत
अमित के साथी देवेंद्र सरोहा, अनिल खोखर, अमरजीत मलिक, नरेंद्र, वेदप्रकाश, ओमप्रकाश कहते हैं कि अमित का हौसला ही उसकी ताकत है। उसने कभी भी अपने जीवन में हौसला नहीं खोया। जिसके चलते ही आज वह कोहिनूर बन चुका है। उसने देश के लिए लगातार पदक जीते है।
अब तक कई पदक जीत चुका अमित
अमित सरोहा इससे पहले पंचकूला में हुए नेशनल गेम्स में डिस्कस थ्रो व शाटपुट में गोल्ड मेडल जीत चुका है। जिसके आधार पर उसका चयन राष्ट्रमंडल खेलों में हुआ था। हालांकि वह वर्ष 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में पदक नहीं दिला सके, लेकिन उसके एक माह बाद ही चाइना के ग्वांग्झू में हुए एशियन खेलों में उसने रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा मनवाई। उसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 में लंदन पैरा ओलंपिक में भाग लिया। वर्ष 2013 में फ्रांस में विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। इतना ही नहीं वह अमित सरोहा को वर्ष 2013 में अर्जुन अवार्ड व वर्ष 2014 में भीम अवार्ड मिल चुका है।