सोनीपत विस: निर्दलीय ने निभाई 'वोटकटवा' की भूमिका
- एक भी निर्दलीय नहीं छू सके हजार का आंकड़ा जागरण संवाददाता, सोनीपत : सोनीपत विधानसभा चुनाव निर्दल
- एक भी निर्दलीय नहीं छू सके हजार का आंकड़ा
जागरण संवाददाता, सोनीपत : सोनीपत विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए महज निराशाजनक साबित हुआ। एक तरह से सभी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में 'वोटकटवा' की भूमिका में नजर आए। यहां तक कि एक भी निर्दलीय प्रत्याशी जमानत राशि बचाने में भी सफल नहीं हो पाए तथा वे हजार तक का आंकड़ा भी छू नहीं पाए। वोटरों के इस तरह की प्रतिक्रिया ने निर्दलीय की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हजार के क्लब में शामिल नहीं हो सके वोटकटवा
1. विमल किशोर- 514
2. रमेश खत्री- 280
3. सुरेंद्र सैनी-361
4. डा. आदिश जैन- 317
5. संत धर्मवीर चोटीवाला- 211
6. जगबीर सिंह- 204
7. राकेश शर्मा- 171
8. रामभज- 151
9. राकेश कुमार- 108
हजार के क्लब में नहीं शामिल हो पाए पार्टी प्रत्याशी
1. हजकां- अरुण कौशिक- 895
2. सीपीआइ- राजीव वर्मा- 755
3. सोशलिस्ट यूनिटी कम्यूनिस्ट आफ इंडिया(कम्यूनिस्ट)- जयभगवान- 281
4. हरियाणा लोकहित पार्टी-मंजीत- 133
5. राष्ट्रीय आर्य राज्य सभा- संदीप- 89
थोड़ी लोकप्रियता को बड़ा करने का प्रयास हुआ विफल
राजनीतिक जानकार संतराम देशवाल ने कहा कि थोड़ी लोकप्रियता के बल पर बड़ा होने की चाहत ही निर्दलीय तौर पर उम्मीदवारी को जन्म देती है। भारतीय लोकतंत्र का यह सबसे बड़ा हथियार है कि कोई भी व्यक्ति जनता के सामने अपनी उम्मीदवार को पेश कर सकता है। मगर विगत चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारी को एक तरह से 'वोट कटवा' की भूमिका में बदल दिया है, जिसमें खड़े होने वाले प्रत्याशी एक विशेष वर्ग को लक्ष्य में रखकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होते हैं। ऐसे में यह निर्दलीय उम्मीदवारी का लोकतांत्रिक हथियार का गलत रूप में इस्तेमाल हो रहा है।