कमजोर मानसून ने किसानों की परेशानी बढ़ाई
जागरण संवाददाता, गोहाना:
इस बार क्षेत्र में बारिश न होने पर किसानों की चिंता बढ़ गई है। बारिश के अभाव में खेतों में धान, ईख व ज्वार की फसल सूखनी शुरू हो गई हैं। काफी किसानों ने अपनी धान की फसल को राम भरोसे छोड़ते हुए सिंचाई तक बंद कर दी है। इस बार मानसून पूरी तरह से कमजोर पड़ने से किसानों का हौंसला भी जवाब दे गया है। क्षेत्र में हजारों एकड़ में किसानों ने
धान की फसल की रोपाई कर रखी है। काफी किसान ऐसे है जिनके खेतों में नहरी पानी की सिंचाई का उचित प्रबंध है। ऐसे किसानों की संख्या भी कम नहीं है जिनके खेतों में केवल टयूबवेलों से ही सिंचाई हो पाती है। कमजोर मानसून ने उन किसानों को परेशानी में डाल दिया है जिनके खेतों में नहरी पानी की सिंचाई का उचित प्रबंध नहीं है। ऐसे किसानों के धान के खेत में मोटी-मोटी दरारे पड़ चुकी है। दरारे पड़ने के चलते सिंचाई के बाद भी पानी का ठहराव नहीं हो पा रहा है।
धान के पौधों में अपेक्षाकृत कम फुटाव हो रहा है। डीजल में अधिक पैसे खर्च होने और टयूबवेलों से कम पानी निकलने के चलते किसानों की पसीने छूट रहे है। बारिश के अभाव में धान की फसल में भी बढ़त नहीं हो पा रही है और तरह-तरह की बीमारिया भी पैर पसरा रही है। कमजोर मानसून से केवल धान की फसल में ही नुकसान नहीं हुआ। इससे किसानों की खेतों में ज्वार तक की फसलें सूख गई। गन्ने की फसल में भी अपेक्षाकृत बढ़त नहीं हो पा रही है। कपास की फसल भी तरह-तरह की बीमारियों की पकड़ में आ चुकी है। कुछ जगह तो कपास की फसल सूख भी चुकी है। कमजोर मानसून से सभी फसलों में किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना बन गई है। कुछ किसानों ने अपनी फसलों को राम भरोसे छोड़ दिया है।
कृषि विभाग के एसडीएओ डा. राजेंद्र प्रसाद कमजोर मानसून का धान के साथ सभी फसलों पर असर पड़ा है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वह धान की फसल में पानी खड़ा न रखकर केवल नमी बनाए रखने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि किसानों को जिस भी फसल में बीमारी नजर आए उसको लेकर कृषि अधिकारियों से तुरत संपर्क करे।