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अस्पताल पार्क में दिया बच्ची को जन्म

By Edited By: Published: Wed, 16 Apr 2014 09:15 PM (IST)Updated: Wed, 16 Apr 2014 09:15 PM (IST)
अस्पताल पार्क में दिया बच्ची को जन्म

शिशु की मौत, महिला की हालत गंभीर

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परिजनों का आरोप चार घंटे तक न बेड मिला और न ही इलाज

जागरण संवाददाता, पानीपत : यहां सामान्य अस्पताल में एक बार फिर घोर लापरवाही सामने आई है। प्रसव पीड़ा से छटपटा रही महिला को चार घंटे तक बेड नहीं मिला और न ही इलाज हुआ। अस्पताल परिसर के पार्क में उसने बच्ची को जन्म दिया। बच्ची की मौत हो गई और महिला की हालात भी बिगड़ गई। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है तो अस्पताल प्रशासन कहा कहना है कि महिला गर्भपात की दवा लेकर आई थी। बच्ची की मौत गर्भ में ही हो गई।

घटना बुधवार सुबह आठ बजे की है। सींक गांव के बुजुर्ग चंद्र सिंह ने बताया कि उसकी छह संतान हैं। बड़े बेटे से छोटी 22 वर्षीय सोनिया की शादी 4 जनवरी को सोनीपत के रविंद्र के साथ हुई थी। वह 20 दिन पहले ही सोनिया को अपने घर लाया था। उसको चार माह का गर्भ था। सुबह करीब पांच बजे सोनिया के पेट में दर्द हुआ तो वह सींक पीएचसी में गया। वहां पर डॉक्टर न होने पर वह उसे सामान्य अस्पताल ले आया। यहां पर डॉक्टरों ने समय पर सोनिया का इलाज नहीं किया और उसको खानपुर पीजीआइ रेफर कर दिया। वह रेफर स्लिप की फोटो कॉपी कराने गया था। इस बीच उसकी पत्नी रोशनी बेटी सोनिया को लेकर अस्पताल के पार्क में ले आई। वहीं पर सोनिया को प्रसव पीड़ा हुई और बच्ची का जन्म हुआ। बच्ची मर चुकी थी। बगैर पोस्टमार्टम किए बच्ची का शव नाना चंद्र प्रकाश के हवाले कर दिया गया।

सोनिया ने मृत बच्ची को जन्म दिया

गर्भवती सोनिया में पांच ग्राम खून पाया गया। खून की कमी की वजह से डॉ. सुखदीप कौर ने उन्हें पीजीआइ खानपुर रेफर कर दिया। ओपीडी पर्ची भी समय पर कटी थी। परिजन उसे पार्क में लेकर बैठे रहे। तभी सोनिया ने मृत बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का सिर व शरीर के कई अंग गल चुके थे। इसमें प्राथमिक दृष्टि से डॉक्टर की लापरवाही नहीं है। संदेह है कि सोनिया ने गर्भपात की टेबलेट खा रखी थी। फिर भी तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित कर दी है जो कि मामले की जांच करेगी। जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. इंद्रजीत धनखड़, सिविल सर्जन, सामान्य अस्पताल

डॉ. साहब, मेरी बेटी को बचा लो : चंद्र

बुजुर्ग चंद्र सिंह की दोनों आंखों में मोतियाबिंद है। उसे दिखाई भी कम देता है। दोहती की मौत की खबर सुनकर वे व्यथित हो गए और लेबर रूम में बार-बार डॉक्टरों से मिन्नत कर रहे थे कि मेरी नातिन को तो आप बचा नहीं पाए कम से कम मेरी बेटी को बचा लो। यह सुनकर आसपास के मरीजों की आंखें भी नम हो गई। चंद्र ने बताया कि उन्होंने सोनिया के ससुराल वालों को सूचना नहीं दी है।

मेरी बेटी डेढ़ घंटा तड़पती रही, किसी ने सुध नहीं ली : रोशनी

लेबर रूम में सोनिया का इलाज चल रहा था। मां रोशनी उसकी देखभाल में लगी रही। बेटी की हालात देख वह रोने लगी तो डॉक्टरों ने उसे बाहर बैठा दिया। वह सीधे आरोप लगा रही थी कि बेटी सोनिया चार घंटे से दर्द के मारे न बैठ पा रही थी औैर न लेट। उसकी पर्ची बनवाने में काफी देर लगी। फिर वह उसे लेबर रूम में लेकर आई और बेड नंबर 24 पर लेटा दिया, लेकिन उसकी डेढ़ घंटे तक न तो नर्स और न ही डॉक्टर ने संभाल की। महिला डॉक्टर आई और इलाज किए बगैर पीजीआइ रेफर करके चली गई। अगर मेरी बेटी का समय पर उपचार हो जाता तो यह नौबत नहीं आने वाली थी। मेरी बेटी ने गर्भपात के लिए टेबलेट नहीं खाई है। हम भला ऐसा पाप क्यों करेंगे।

इलाज में नहीं की देरी, सोनिया में थी खून की कमी : डॉ. कौर

डॉ. सुखदीप कौर ने कहा कि मेरी ड्यूटी ओपीडी में थी। मेरे पास गर्भवती महिला सोनिया को उसके परिजन 10:45 बजे लेकर आए और उसकी जांच की तो खून 5 ग्राम मिला। इतने कम खून में डिलीवरी करने में खतरा रहता है। इसलिए मैंने उसको 11:00 बजे पीजीआइ खानपुर रेफर कर दिया। एक घंटे बाद पता चला कि सोनिया ने मृत बच्ची को जन्म दिया है। बच्ची करीब सात महीने की थी। सोनिया के इलाज में कोई देरी नहीं की है। महिला में डिलीवरी के समय 9 से ज्यादा ग्राम खून होना चाहिए।

चौकीदार ने कहा पीएचसी बंद, सिविल सर्जन का दावा खुली थी

चंद्र सिंह ने बताया कि जब अपने गांव की पीएचसी में गया था तो बाहर ताला लगा था। मौके पर चौकीदार कर्ण सिंह ने बताया कि पहले पीएचसी खुली होती थी, लेकिन कुछ महीने पहले सरकार ने इसको बंद करवा दिया है। रही बात एंबुलेंस बुलवाने की तो आठ माह से ज्यादा की गर्भवती के लिए सरकारी एंबुलेंस आती है। वहीं सिविल सर्जन डॉ. इंद्रजीत धनखड़ का दावा है कि सींक की पीएचसी खुली हुई हैं। वहां पर डॉक्टर व नर्स की ड्यूटी है। अगर डॉक्टर नहीं था तो इसकी भी जांच होगी। बुधवार को सभी पीएचसी की नर्सो को ट्रेनिंग के लिए सामान्य अस्पताल बुला रखा है, ताकि गर्भवती महिलाओं का वे ठीक से प्राथमिक उपचार कर सकें।

डॉक्टरों की टीम मामले को सुलझाने में जुटी

सोनिया की बच्ची की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। इस बारे में न तो नर्स और न ही डॉक्टर कुछ बताने के लिए तैयार थे। हर कोई चुप्पी साधे हुए था। सिविल सर्जन डॉ. भूपेश चौधरी ने भी जानकारी देने से गुरेज रखा। मामले की गंभीरता को देखते हुए चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. आलोक जैन और डॉ. योगेश लेबर रूम में पहुंचे और महिला डॉक्टरों व नर्स से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की। सोनिया के पिता चंद्र सिंह बार-बार डॉ. जैन से ओपीडी पर्ची देने की मांग कर रहे थे। डॉ. ने उसे काम खत्म होने का बाद कागजात देने को कहा। इससे तैश में आकर चंद्र सिंह ने इसकी शिकायत एसडीएम से कर देने के धमकी भी दी।

समय पर खून मिलता को बच सकती थी बच्ची की जान

सामान्य अस्पताल में ब्लड यूनिट नहीं है। अगर सोनिया को अस्पताल में दाखिल कर समय पर खून चढ़ा दिया जाता तो उसकी बच्ची की जान बच सकती थी। शहर में रेडक्रास में ब्लड यूनिट है। इसलिए गर्भवती महिला में खून की थोड़ी सी कमी होती है तो डॉक्टर परिजनों को रेडक्रास भेजे देते हैं। अक्सर रेडक्रास में खून समय पर नहीं मिल पाता है। बाद में डॉक्टर मरीजों को पीजीआइ खानपुर व रोहतक रेफर कर देते हैं, जबकि पड़ोसी जिले सोनीपत के सामान्य अस्पताल में ब्लड यूनिट है इसलिए वहां मरीजों को खून लेने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है। सवाल ये है कि पानीपत के अस्पताल में ब्लड यूनिट क्यों नहीं है।

ऐसे चला दर्दनाक घटनाक्रम

- 5:00 बजे सोनिया के पेट में दर्द हुआ।

- 6:00 बजे चंद्र सिंह पीएचसी सींक पहुंचा। एंबुलेंस नहीं मिली। खाली हाथ लौटा।

- 8:00 बजे सोनिया को सामान्य अस्पताल लाया गया। यहां पर दो घंटे तक उसकी सुध नहीं ली गई।

- 10:45 बजे महिला डॉ. सुखदीप कौर ने सोनिया की जांच की।

- 11:00 बजे सोनिया को खून की कमी की वजह से पीजीआइ खानपुर रेफर कर दिया।

- 11:20 बजे परिजन सोनिया को अस्पताल परिसर स्थित पार्क में लेकर पहुंचे।

- 11:50 बजे चंद्र सिंह एंबुलेंस लेने पहुंचे।

- 11:55 बजे एंबुलेंस अस्पताल में भीम सैन सच्चर की प्रतिमा के पास पहुंची।

- 12:02 बजे सोनिया को प्रसव पीड़ा हुई और बच्ची का जन्म हुआ। इसके बाद बच्ची मर गई।

- 12:10 बजे सोनिया को लेबर रूम में दाखिल कराया गया।


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