चुनाव परिणामों को लेकर विधायकों का 'रक्तचाप' बढ़ा
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-विधायकों को सौंपी गई थी विशेष जिम्मेदारी
शांतिभूषण, सोनीपत :
लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद अब प्रत्याशियों को परिणाम का इंतजार हैं। प्रत्याशियों के साथ-साथ मौजूदा विधायक भी परिणाम को लेकर बेसब्र है। परिणाम से विधायकों की कार्यप्रणाली भी तय होगी। नतीजों के बाद पता चलेगा कि किस विधायक ने अपनी पार्टी के प्रत्याशी के लिए अपने-अपने हलकों में कितना काम किया या फिर मतदाताओं पर उनकी पकड़ कैसी है। अपने हलके में पार्टी प्रत्याशी के प्रदर्शन को लेकर विधायकों का भी 'रक्तचाप' बढ़ा हुआ है। अगर उनकी पार्टी काप्रत्याशी उनके हलकों से ही हार गया, तो इसके लिए उन्हें जबाव तो देना ही पड़ेगा?
सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में इस वक्त नौ विधायक हैं। गोहाना से काग्रेस विधायक जगबीर मलिक खुद लोकसभा प्रत्याशी है तो गन्नौर से काग्रेस के कुलदीप शर्मा, राई से काग्रेस विधायक जयतीर्थ, खरखौदा से जयवीर, बरौदा से श्रीकिशन हुड्डा विधायक है। सोनीपत विस से भाजपा की विधायक कविता जैन है। जींद विधानसभा से इनेलो के डा. हरीचंद मिडढा, सफीदों से कलीराम पटवारी तथा जुलाना से परमिंद्र सिंह ढ़ुल विधायक है। सभी विधायक यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अपने हलके में प्रत्याशी को जिताने के लिए मेहनत की है और उनके हलके से उनके प्रत्याशी अच्छी बढ़त हासिल करेंगे।
प्रत्याशियों को असंतोष व गुटबाजी का खामियाजा!
अगर देखा जाए तो नौ विधानसभाओं में से पाच पर काग्रेस, तीन पर इनेलो और एक पर भाजपा का कब्जा है। अब प्रत्याशियों की तरफ से समीक्षा की जाए तो काग्रेस को पाच विधानसभा और इनेलो को तीन विधानसभाओं से बढ़त मिलनी चाहिए। जबकि भाजपा का कम से कम एक सीट पर बेहतर प्रदर्शन होना चाहिए। लेकिन यहा टिकट वितरण को लेकर समीकरण ऐसे बने कि कई प्रत्याशी असंतोष, भीतरघात व गुटबाजी का शिकार हो गए। भाजपा के पूर्व सासद स्व. किशन सिंह सागवान के पुत्र प्रदीप सागवान ने तो टिकट न मिलने से नाराज होकर काग्रेस का दामन थाम लिया। कई दावेदार इस दौरान परिदृश्य से ही गायब रहे। काग्रेस में हुड्डा गुट को छोड़कर अन्य बड़े क्षत्रपों के समर्थकों ने काग्रेस प्रत्याशी से किनारा किए रखा। कई बड़े नेता व पूर्व विधायक अनमने से सक्रिय दिखाई दिए। इनेलो में भी टिकट के कई दावेदार पूरे प्रचार के दौरान नदारद रहे, यह तभी नजर आए जब कोई स्टार प्रचारक आया।
प्रत्याशी हारा तो जवाब देंगे विधायक!
सभी पार्टियों ने विधायकों को उनके हलकों से अधिक वोट दिलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही सौंपी थी। विधायकों को अपनी पार्टी के प्रत्याशी को न केवल अपने हलके से बढ़त दिलानीथी, बल्कि अपने प्रभाव से दूसरे हलकों से भी सहयोग करना था। विधायकों ने मेहनत तो की है। राजनीतिक जानकार जितेंद्र गहलावत बताते है कि अब 16 मई को मतगणना के परिणाम बताएंगे कि उन्होंने जनता के लिए क्या काम किया है, जनता ने उनको कितना रिस्पास दिया। प्रत्याशी पिछड़ा तो विधायकों को इसकी वजह बतानी पड़ सकती है। इससे यह भी साबित होगा कि पिछले पाच साल में विधायक ने लोगों का कितना विश्वास अर्जित किया और प्रत्याशी की जीत के लिए कितना प्रयास लगाया गया।
विधानसभा चुनाव 2009 के परिणाम:
विस विधायक
गन्नौर कुलदीप शर्मा
राई जयतीर्थ
खरखौदा जयवीर
सोनीपत कविता जैन
गोहाना जगबीर मलिक
बरौदा श्रीकृष्ण हुड्डा
जुलाना परमिंद्र सिंह ढुल
सफीदो कलीराम पटवारी
जींद डा. हरीचंद मिडढा
पार्टी प्राप्त मत
काग्रेस 42,180
काग्रेस 35,514
काग्रेस 43,684
भाजपा 37,954
काग्रेस 35,249
काग्रेस 56,225
इनेलो 45,576
इनेलो 36,618
इनेलो 34,057