यहां ट्रैक्टर वर्कशॉप संचालक वकैंटर चालक हैं बेटियों के दंगल के द्रोण
संवाद सहयोगी, डबवाली : गांव लंबी की उभरती बेटियों के सपने साकार करने के लिए ट्रैक्टर वर्कशॉप संचाल
संवाद सहयोगी, डबवाली :
गांव लंबी की उभरती बेटियों के सपने साकार करने के लिए ट्रैक्टर वर्कशॉप संचालक पृथ्वी ¨सह तथा कैंटर चालक लालचंद खूब मेहनत कर रहे हैं। अपना काम छोड़कर मैदान में घंटों अभ्यास करवाते हैं। यहीं नहीं राज्य स्तरीय खेलों में बेटियों को लेकर जाते हैं। वहीं पंचायत का कहना है कि अगर सरकार खेल स्टेडियम बनाने की पहल करती है तो पंचायत चार एकड़ जमीन देने को तैयार है। सरपंच के अनुसार स्टेडियम बनने से बेटियों को खेल सुविधाएं मिलेगी। जिससे प्रदर्शन सुधरेगा।
खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी होशियार
गांव लंबी निवासी छोटूराम व सुमित्रा की बेटी पूनम आठ बार कुरूक्षेत्र, कैथल, सोनीपत, यमुनानगर, भिवानी में राज्य स्तर पर खेलने जा चुकी है। मां-बाप खेतिहर मजदूर हैं। ऐसे में यह बेटी सीजन में उनके साथ कार्य करने के लिए भी जाती है। खेल के साथ-साथ पढ़ाई में होशियार यह बेटी 10वीं में 87 फीसद अंक लेकर पास हुई थी। पूनम के अनुसार वह पुलिस में भर्ती होना चाहती है। गांव लंबी की दो सगी बहनों की कबड्डी में तूती बोलती है। मजदूर वर्गीय परिवार से संबंधित हरबंस कौर तथा बंसो रानी कई बार राज्य स्तर पर खेलने जा चुकी हैं। दोनों का सपना एक है इंडियन आर्मी। बीकॉम कर रही बंसो रानी पानीपत, जींद तथा रोहतक में खेल चुकी है। जबकि 11वीं में पढ़ रही हरबंस कौर आठ बार स्टेट खेल चुकी है। वहीं हंसा ¨सह के परिवार की बेटियों की बात ही निराली है। ¨रकू, वीरपाल, अक्को, अमरो पर पूरा गांव फक्र करता है। खेल के साथ-साथ चारों बहनें पढ़ाई में धमाल मचाए हुए हैं। सपना एक ही है कुछ बनना। ऐसी कई बेटियों के सपनों को साकार करने के लिए पृथ्वी ¨सह तथा लालचंद खूब मेहनत कर रहे हैं।
सूरज ढलते ही शुरु होता है दंगल
सूरज ढलते ही रामदेव मंदिर के सामने कबड्डी का 'दंगल' शुरू हो जाता है। बेटियों के इरादों, आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए उनका मुकाबला बेटों से करवाते हैं। गांव के सरपंच ओमप्रकाश यादव भी दोनों की हरसंभव मदद करते हैं। लालचंद के अनुसार गांव की बेटियों को खेलों के प्रति तैयार करने में पीटीआई विष्णु दत्त का अहम रोल रहा है। स्कूल समय के बाद भी वे बेटियों को कबड्डी खिलाते रहे। अब प्रमोशन के बाद नियुक्ति गांव सुकेराखेड़ा हो गई। इसके बावजूद भी वे समय-समय पर खेल करवाने लंबी आते हैं।
:::::::: स्टेट या फिर नेशनल खेलने का पूरा खर्च पंचायत उठाती है। अगर खिलाड़ी मेडल लेकर आता है तो उसे सम्मानित भी किया जाता है। बेटियों को सम्मान देने के लिए बेटों की तरह जन्म पर कुआं पूजन किया जाता है। अगर सरकार खेल स्टेडियम बनाती है, तो पंचायत चार एकड़ जमीन देने को तैयार है।
-ओमप्रकाश यादव, सरपंच, गांव लंबी