श्रद्धालुओं ने सुना समुद्र मंथन वृतांत
जागरण संवाददाता, सिरसा श्री बंशीवट मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं. सुग
जागरण संवाददाता, सिरसा
श्री बंशीवट मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं. सुगन शर्मा ने समुद्र मंथन का वृतांत सुनाया। उन्होंने बताया कि देवताओं और दानवों के सागर मंथन के दौरान जो विष निकला उसे भगवान शकर ने अपने कंठ में धारण किया जिससे उनका शरीर नीला हो गया। वे नीलकंठ कहलाए। देवों का संकट हरा, गरल कंठ में धार, गरल कंठ में धार जहर की गर्मी रोकी, वे नहीं करते दया तो भस्म होती त्रिलोकी.. ऐसा वर्णन हमारे शास्त्रों में है। कथाव्यास सुगन शर्मा ने कैलाश के निवासी नमो बार.. भजन भी प्रस्तुत किया जिसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध और भाव विभोर हो उठे। कथा के दौरान भगवान के मत्स्य अवतार, सरियाती की सुकन्या च्यवन ऋषि को देने व राजा हरिश्चंद्र का वर्णन भी हुआ। गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा सुनाते हुए कथाव्यास ने गंगा स्नान की संपूर्ण विधि बताई और गंगा के महत्व का वर्णन किया। इसके उपरात उन्होंने राजा दशरथ के घर चार पुत्रों के उत्पन्न होने का वृतात बड़े सुंदर शब्दों में सुनाया व कैकेयी के वचन मागने पर भगवान राम का वनवास और स्वर्ण मृग लेने जाने के बाद रावण द्वारा सीता के हरण की मार्मिक कथा सुनाई तो दर्शकों की आखों में आसू उतर आए। राम द्वारा रावण के संहार का भी वर्णन कथाव्यास ने अपनी कथा के दौरान किया। राम द्वारा लंका का राज्य विभीषण को देने, राम के राज्यभिषेक, अश्वमेघ यज्ञ और लव कुश द्वारा यज्ञ का अश्व पकड़ने तक की तमाम कथा का वर्णन कथाव्यास ने अपने प्रवचनों के दौरान किया।