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खतरे से कम नहीं तीरंदाजी का अभ्यास, टारगेट के पीछे तीरों को रोकने के लिए नहीं दीवार

जागरण संवाददाता, सिरसा तीरंदाजी के लिए अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों की जरा सी भी चूक किसी की जान पर

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 07:58 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 07:58 PM (IST)
खतरे से कम नहीं तीरंदाजी का अभ्यास, टारगेट के पीछे तीरों को रोकने के लिए नहीं दीवार

जागरण संवाददाता, सिरसा

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तीरंदाजी के लिए अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों की जरा सी भी चूक किसी की जान पर भारी पड़ सकती है। इसकी वजह शहीद भगत सिंह खेल स्टेडियम में तीरंदाजी अभ्यास मैदान की चारदीवारी न होना है। यहां निशाना साधने के लिए टारगेट स्थापित किए गए हैं। टारगेट बोर्ड के पीछे किसी भी प्रकार की दीवार नहीं है जो अनियंत्रित तीर को रोक सके। ऐसे में न जाने कब किस के साथ हादसा हो जाए जिसके बाद विभाग के पास भी इसकी जिम्मेवारी लेने के लिए कोई जवाब नहीं होगा।

शहीद भगत सिंह स्टेडियम में विभिन्न प्रकार के खेल मैदान है जो अलग-अलग स्थान पर बनाए गए है। लेकिन उनमें से एक मैदान जो तीरंदाजी के लिए है, लेकिन इस मैदान में टारगेट के पीछे कोई निर्धारित दीवार या स्पॉट नहीं जो तीर को रोक सके। यहां आने वाले खिलाड़ी खुले में लगाए गए टारगेट पर ही बिना कोच के अभ्यास करते नजर आते है। यहां पर पार्क होने व हरी घास होने के चलते बच्चे व अन्य भ्रमण के लिए भी आते हैं। उन्हें इस बात का आभास नहीं होता कि यहां हादसा भी हो सकता है। ऐसे में बिना कोच की देखरेख व किसी दीवार न होने के कारण कभी भी किसी के साथ बड़ी दुर्घटना या हादसा हो सकता है जिसमें किसी की जान भी जा सकती है।

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विभाग के अधिकारी भी नहीं दे रहे ध्यान

हैरत की बात है कि यह खतरनाक खेल है। जिसमें जरा सी चूक होने पर हादसा हो सकता है। लेकिन विभाग द्वारा आज तक इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दिया गया और हर बार खेल प्रतियोगिताएं व अभ्यास यहां पर निरंतर होता रहता है।

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टम्परेरी तौर पर खिलाड़ी करते हैं अभ्यास : सैनी

जिला खेल अधिकारी लक्ष्मण सैनी का कहना है कि तीरंदाजी के लिए न तो कोच है और न ही खेल स्टेडियम। यहां पर केवल टम्परेरी तौर पर खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। वैसे एक एसोसिएशन है जिसके माध्यम से तीरंदाजी का प्रशिक्षण दिया जाता है। भगत सिंह खेल स्टेडियम में खुले में अभ्यास करना गलत है।


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