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फसल में बीमारियों की रोकथाम के लिए विभाग सक्रिय

संवाद सूत्र, रानियां : खंड रानिया में डा. सतबीर सिंह रगा के नेतृत्व में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 11:53 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 11:53 PM (IST)
फसल में बीमारियों की रोकथाम के लिए विभाग सक्रिय

संवाद सूत्र, रानियां : खंड रानिया में डा. सतबीर सिंह रगा के नेतृत्व में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में खंड रानिया के कृषि विभाग अधिकारी डा. राजेन्द्र कुमार, रामकुमार, फूलाराम गेदर, भागीरथ दूसाद की टीम गाव गाव में जाकर किसानों को नरमा, कपास व ग्वार की फसल में लगने वाली बीमारियों व कीड़ी की रोकथाम के प्रति जागरूक कर रहे है।

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खंड कृषि तकनीकी अधिकारी फूला राम गेदर ने कहा कि जब तक किसानों को फसल में लगने वाले कीटों की पहचान नहीं होगी तब तक उनका सही समय पर उपचार नहीं हो सकता है। सही व अच्छे ढग से उपचार के लिए किसानों को पहले फसल में लगने वाले कीडों का पता होना जरूरी है। उन्होंने बताया की फसल में लगने वाले कीड़े दो प्रकार के होते है। एक रस चूसक कीड़े (तेला, चेपा, सफेद मक्खी व थ्रीप्स) व दूसरे कुतर कर चबाने वाले कीड़े (सभी प्रकार की सुंडी व ग्रास होपर/टिडा) होते है। उन्ही के आधार पर दवाइया भी दो प्रकार की होती है। सिस्टेमिक व कोन्टेक्ट दवाइया। उन्होंने बताया कि बीटी कपास आने के बाद ज्यादातर फसल पर रस चूसने वाले कीड़ों का प्रकोप होता है। रस चूसक कीटों से फसल को बचाने के लिए सिस्टेमिक दवाइयों जैसे रोगोर, एकटारा, कन्फीडोर, डायफेनथायूरान, ओबरोन इत्यादि का ही हर दस दिन बाद छिड़काव करे।


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