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कौशल विकास पर खर्च लाखों, रोजगार एक को भी नहीं

जागरण संवाददाता, सिरसा : कौशल विकास के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी एक भी

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2015 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2015 10:07 PM (IST)
कौशल विकास पर खर्च लाखों, रोजगार एक को भी नहीं

जागरण संवाददाता, सिरसा : कौशल विकास के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी एक भी बेरोजगार युवक-युवतियों को अभी तक रोजगार नहीं मिल पाया। अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय सिरसा द्वारा कंप्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर बरती गई अनियमितताओं की जांच होगी। राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के मिशन निदेशक ने सिरसा के एक व्हिसल ब्लोअर की शिकायत पर जाच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए थे।

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एडीसी कार्यालय द्वारा शहरी गरीब परिवारों के शिक्षित युवाओं को स्वरोजगार दिलाने के लिए कंप्यूटर ट्रेनिंग कोर्स करवाए गए थे। इस मद में लाखों रुपये की राशि खर्च की गई। आरोप हैं कि स्वरोजगार के लिए करवाए गए इन कोर्सो में भारी अनियमितता बरती गई थी। इस बारे में चतरगढ़ पट्टी निवासी व्हिसल ब्लोअर इद्रजीत ने मई 2014 में राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के मिशन निदेशक को शिकायत की गई थी। मिशन निदेशक की ओर से 30 जून 2014 को शहरी मिशन प्रबंधन यूनिट के अध्यक्ष एवं जिला उपायुक्त को पत्र भेजकर मामले की जाच करने के निर्देश दिए गए थे। नौ माह से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद इस शिकायत का निपटारा नहीं किया गया है।

सीएम विंडो पर की शिकायत

एडीसी कार्यालय द्वारा ट्रेनिंग सेंटरों के नाम पर बरती गई अनियमितता और उपायुक्त कार्यालय द्वारा जाच में किए जा रहे विलंब को लेकर सीएम विंडो में शिकायत की थी। उन्होंने ट्रेनिंग सेंटर के नाम पर की गई सरकारी धन की बर्बादी को लेकर जाच शीघ्र करवाने की माग की गई है। पत्र में राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के मिशन निदेशक के आदेश पत्र की पालना में विलंब करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की भी माग की गई थी।

प्रशिक्षण के नाम पर लाखों का घोटाला

अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय के अधीन डूडा द्वारा बीपीएल परिवारों को स्वरोजगार के साधन मुहैया करवाने के लिए विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग दिलवाई गई। आरोप है कि ट्रेनिंग के नाम पर अनियमितता बरती गई और सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया गया। जिन एजेसियों को ट्रेनिंग की जिम्मेवारी सौंपी गई उन्होंने नियम कायदों की कोई परवाह नहीं की। ट्रेनिंग के लिए युवाओं के चयन हेतु कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। प्रशिक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति की गई। प्रशिक्षण के कार्य को सबलेट कर दिया गया। इसके साथ ही मंदिर-मस्जिद जैसी जगहों पर ट्रेनिंग की खानापूर्ति की गई।

नहीं उठा एक भी गरीब का जीवन स्तर

सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। करोड़ों रुपये की राशि ट्रेनिंग के नाम पर खर्च की गई। हजारों युवाओं को कंप्यूटर कोर्स, महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीशियन का कोर्स करवाया गया। मगर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद एक भी बीपीएल परिवार का जीवन स्तर ऊंचा नहीं उठाया जा सका।


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