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बाल विवाह मामले में नहीं हो पा रही सुनवाई

नवीन कुमार, सिरसा जिस उम्र में बालिका का शारीरिक व मानसिक विकास भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है वह

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 10:47 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 10:47 PM (IST)
बाल विवाह मामले में नहीं हो पा रही सुनवाई

नवीन कुमार, सिरसा

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जिस उम्र में बालिका का शारीरिक व मानसिक विकास भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है वह उस उम्र में डोली में बैठ रही है। मदद की गुहार के बाद भी न ही संबंधित विभाग सामने आ रहा है और न ही पुलिस महकमा। नतीजतन बालिका को वधू बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

सरकार द्वारा जब से बाल विवाह निषेध अधिकारी के पद समाप्त करने की घोषणा की गई है। तब से बाल विवाह निषेध अधिकारी के पास सूचना आने के बाद भी समय पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पुलिस घंटों बाद विवाह स्थल पर तो दस्तक देती है लेकिन वधू की विदाई के बाद। जिसकी वजह से पुलिस केवल कागजी कार्रवाई पूरा कर वापस लौट जाती है। पहला मामला 10 अक्टूबर 2014 को सामने आया था। कंगनपुर में 15 साल की नाबालिग लड़की की शादी उसके सौतेले पिता द्वारा करने की शिकायत बाल विवाह निषेध अधिकारी के पास समय पूर्व आई थी। लेकिन अधिकारी द्वारा देरी से विवाह स्थल पर पहुंचने के कारण शादी हो चुकी थी। दूसरा मामला 17 सितंबर को सामने आया था। एक 17 साल की नाबालिग ने वधू बनाने की बात कहीं थी। साथ ही उसने इस मामले में पुलिस कार्रवाई करने की भी बात कही थी। तीसरा मामला

हिसार रोड स्थित 4 दिसंबर को सामने आया था। एक बालिका को वधू बनाये जाने का मामला सामने आया था। समय पर सूचना के बाद भी पुलिस या बाल विवाह निषेध अधिकारी नहीं पहुंची। नतीजतन इस बालिका का भी विवाह हो गया और बालिका को ससुराल भेज दिया गया। चौथा मामला 12 दिसंबर को अबूबशहर में सामने आया था। इस मामले में दो नाबालिग की शादी होने के एक दिन पहले की बाल विवाह निषेध अधिकारी के पास सूचना आ गई थी। लेकिन बाल विवाह निषेध अधिकारी मौके पर नहीं पहुंची।

जिले में बाल विवाह के कई मामले सामने आ चुके हैं। यह मामला तब उजागर हुआ है जब एक बालिका बनाने की सूचना संबंधित कार्यालय व पुलिस चौकी को पहले ही मौजूद थी। लेकिन इन मामलों में कार्रवाई न होने से एक बालिका को वधू बनने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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इस बारे में बाल विवाह निषेध अधिकारी बताती है कि सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि बाल विवाह निषेध अधिकारी के पद को समाप्त कर दिया जाए। इस कारण पूरे राज्य में किसी भी अधिकारी के तीन साल का अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया गया। जिसके कारण बाल विवाह निषेध अधिकारी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती और वह शादी रूकवाने के लिए मौके पर नहीं जा सकती। लेकिन पुलिस अधिकारी बताते हैं कुछ जिलों में तो बाल विवाह निषेध अधिकारी ने दफ्तर का कार्य पूरी तरह बंद कर दिया है और वह अपना कार्यभार सौंप चुकी है। मगर सिरसा में अभी भी बाल विवाह निषेध अधिकारी अपने पद पर बनी हुई है। दफ्तर में आये मामले को सुलझा रही है और वह अपना हाजिरी भी बना रही है। इसके कारण उसका न करना अनुचित हैं। नियमानुसार शादी रूकवाने के लिए पुलिस की मदद बाल विवाह निषेध अधिकारी ले सकती है। चूकी यह मामला महिला से जुड़ा हुआ होता है इसलिए सीधे तौर पर पुलिस कुछ नहीं कर सकती।

हमारे पास इसकी सूचना बाद में आई थी। कुछ मामलों में तो इसकी सूचना आई ही नहीं है। इस कारण विवाह स्थल पर शादी रुकवाने नहीं जा सकी। वैसे इस मामले में उनके पास कुछ विशेषाधिकार भी नहीं है।

साधना मित्तल

जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी, सिरसा


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